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स्कैब के बाद सेब की फसल को लगा वूलीएफिड का रोग, बागवानों की बढ़ी चिंता - सेब की फसल

जिले में सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाले भरमौर क्षेत्र में बागवानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. स्कैब की रोकथाम के बीच ही अब वूलीएफिड नामक बीमारी ने पौधों को जकड़ना शुरू कर दिया है.

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Published : Jul 5, 2019, 3:20 PM IST

चंबा: जिले में सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाले भरमौर क्षेत्र में बागवानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. स्कैब की रोकथाम के बीच ही अब वूलीएफिड नामक बीमारी ने पौधों को जकड़ना शुरू कर दिया है.

बता दें कि वूलीएफिड नामक बीमारी की चपेट में आने से पौधों के सूखने का क्रम शुरू हो जाता है.ऐसे में समय रहते इसकी रोकथाम ना हो, तो ये बीमारी पौधे को पूरी तरह से खत्म कर देती है.

apple plant
सेब के पौधे.

जनजातीय क्षेत्र भरमौर में सेब की फसल पर स्कैब का कहर टूट पड़ा है. मांग के बावजूद क्षेत्र के कई हिस्सों में बागवानों को सरकारी विक्रय केंद्रों में दवाईयां तक नहीं मिल रही हैं. ऐसे में बागवान मंहगें दामों पर बाजार से इन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो है.

सेब के पौधे.
apple plant

क्षेत्र के बागवानों का कहना है कि इस बार क्षेत्र में सेब की बंपर फसल है, लेकिन फसल पर बीमारियों के लगातार प्रहार होने से सीजन में उन्हें बेहतर दाम भी नहीं मिल पाएगा. उन्होंने सरकार से मांग की कि बगीचों में विशेषज्ञों को भेज कर बीमारी लगने के कारणों का पता लगाया जाए, ताकि स्थाई रूप से बीमारी का खात्मा हो सकें.

चंबा: जिले में सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाले भरमौर क्षेत्र में बागवानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. स्कैब की रोकथाम के बीच ही अब वूलीएफिड नामक बीमारी ने पौधों को जकड़ना शुरू कर दिया है.

बता दें कि वूलीएफिड नामक बीमारी की चपेट में आने से पौधों के सूखने का क्रम शुरू हो जाता है.ऐसे में समय रहते इसकी रोकथाम ना हो, तो ये बीमारी पौधे को पूरी तरह से खत्म कर देती है.

apple plant
सेब के पौधे.

जनजातीय क्षेत्र भरमौर में सेब की फसल पर स्कैब का कहर टूट पड़ा है. मांग के बावजूद क्षेत्र के कई हिस्सों में बागवानों को सरकारी विक्रय केंद्रों में दवाईयां तक नहीं मिल रही हैं. ऐसे में बागवान मंहगें दामों पर बाजार से इन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो है.

सेब के पौधे.
apple plant

क्षेत्र के बागवानों का कहना है कि इस बार क्षेत्र में सेब की बंपर फसल है, लेकिन फसल पर बीमारियों के लगातार प्रहार होने से सीजन में उन्हें बेहतर दाम भी नहीं मिल पाएगा. उन्होंने सरकार से मांग की कि बगीचों में विशेषज्ञों को भेज कर बीमारी लगने के कारणों का पता लगाया जाए, ताकि स्थाई रूप से बीमारी का खात्मा हो सकें.

Intro:अजय शर्मा, चंबा
जिले में सबसे अधिक सेब उत्पादन करने वाले भरमौर क्षेत्र में बागवानों की मुशिकलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। स्कैब की रोकथाम के बीच ही अब वूलीएफिड नामक बिमारी ने पौधों को जकड़ने शुरू कर दिया है। इस बिमारी की चपेट में आने से पौधों के सूखने का क्रम शुरू हो जाता है और समय रहते इसकी रोकथाम नहीं हो, तो पौधे को पूरी तरह से खत्म कर देता है।
Body:बता दें कि जनजातीय क्षेत्र भरमौर में सेब की फसल पर स्कैब का कहर टूट पड़ा है। मांग के बावजूद क्षेत्र के कई हिस्सों में बागवानों को सरकारी विक्रय केंद्रों में दवाईयां तक नहीं मिल पा रही है। नतीजतन बागवान मंहगें दामों पर बाजार से इन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो रहे है। उधर, स्कैब में उलझे बागवानों के लिए वूलीएफिड सिरदर्द बन गई है। जिससे पौधों के सूखने का खतरा बन गया है।
Conclusion:क्षेत्र के बागवानों का कहना है कि इस बार क्षेत्र में सेब की बंपर फसल है। लेकिन फसल पर बिमारियों के लगातार प्रहार होने से सीजन में उन्हें बेहतर दाम भी नहीं मिल पाएगा। क्षेत्र के बागवानों की मांग है कि बगीचों मेंं विशेषज्ञों को भेज कर बिमारी लगने के कारणों का पता लगाया जाए, ताकि स्थाई रूप से बिमारी का खात्मा हो सकें। साथ ही बागवानों के लिए शिविरों का आयोजन कर बिमारियों के प्रति आगाह किया जाएं।
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