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चंबा: कल्हेल पंचायत के 2 दर्जन गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम

ग्राम पंचायत कल्हेल के दो दर्जन से अधिक गांव में आज तक सड़क सुविधा नहीं है. स्थानीय लोगों ने सड़क सुविधा के लिए कई बार सरकार और प्रशासन के पास गुहार लगाई है लेकिन उनकी मांगों का कोई असर नहीं हो रहा है.

Kalhel panchayat in chamba
कल्हेल पंचायत
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Published : Aug 4, 2020, 7:45 PM IST

चंबा: जिला चंबा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कल्हेल के दो दर्जन से अधिक गांव आजादी मिलने के सात दशकों बाद भी बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर है. चुनाव के समय नेता वोट मांगने के लिए यहां आते हैं और हर बार सड़क बनाने का वादा किया जाता है लेकिन लोगों को अभी भी सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है.

आज भी दो दर्जन से अधिक गांव के लोग रोजाना दस से बारह किलोमीटर का पैदल सफर करके सड़क तक पहुंचते है. गांव में बीमार व्यक्ति को पालकी के सहारे सड़क तक पहुंचाते हैं. इसके अलावा रोजमर्रा का सामान भी पीठ पर उठाकर लोग अपने घरों तक पहुंचाते हैं. स्कूली छात्रों और छात्राओं को भी बारहवीं की शिक्षा हासिल करने के लिए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कल्हेल जाना पड़ता है जहां पहुंचने के लिए छात्रों को मीलों का सफर तय करना होता है.

वीडियो रिपोर्ट.

स्थानीय लोगों ने सड़क सुविधा के लिए कई बार सरकार और प्रशासन के पास गुहार लगाई है लेकिन उनकी मांगों का कोई असर नहीं हो रहा है. सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. बता दें कि कल्हेल पंचायत के नैला, डांड, खंदियारु, सोह, बोहली, देहरा, टीपनागी, भटका, भलुईं, सरोली, भावला, खणी, नदोह, सोठी, भरनोटी सहित कई बड़े-बड़े गांव हैं जहां आज भी लोग पैदल सफर करने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के सात दशकों बाद भी उन्हें सड़क सुविधा नसीब नहीं हो रही है जिसके कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार और प्रशासन से उन्हें केवल आश्वासन मिलता आ रहा है लेकिन धरातल पर सड़क का निर्माण नहीं किया जा रहा है. लोगों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि सड़क का निर्माण किया जाए.

ये भी पढ़ें: कोरोना ने डेढ़ साल की बेटी को मां से किया दूर

चंबा: जिला चंबा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कल्हेल के दो दर्जन से अधिक गांव आजादी मिलने के सात दशकों बाद भी बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर है. चुनाव के समय नेता वोट मांगने के लिए यहां आते हैं और हर बार सड़क बनाने का वादा किया जाता है लेकिन लोगों को अभी भी सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है.

आज भी दो दर्जन से अधिक गांव के लोग रोजाना दस से बारह किलोमीटर का पैदल सफर करके सड़क तक पहुंचते है. गांव में बीमार व्यक्ति को पालकी के सहारे सड़क तक पहुंचाते हैं. इसके अलावा रोजमर्रा का सामान भी पीठ पर उठाकर लोग अपने घरों तक पहुंचाते हैं. स्कूली छात्रों और छात्राओं को भी बारहवीं की शिक्षा हासिल करने के लिए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कल्हेल जाना पड़ता है जहां पहुंचने के लिए छात्रों को मीलों का सफर तय करना होता है.

वीडियो रिपोर्ट.

स्थानीय लोगों ने सड़क सुविधा के लिए कई बार सरकार और प्रशासन के पास गुहार लगाई है लेकिन उनकी मांगों का कोई असर नहीं हो रहा है. सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. बता दें कि कल्हेल पंचायत के नैला, डांड, खंदियारु, सोह, बोहली, देहरा, टीपनागी, भटका, भलुईं, सरोली, भावला, खणी, नदोह, सोठी, भरनोटी सहित कई बड़े-बड़े गांव हैं जहां आज भी लोग पैदल सफर करने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के सात दशकों बाद भी उन्हें सड़क सुविधा नसीब नहीं हो रही है जिसके कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार और प्रशासन से उन्हें केवल आश्वासन मिलता आ रहा है लेकिन धरातल पर सड़क का निर्माण नहीं किया जा रहा है. लोगों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि सड़क का निर्माण किया जाए.

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