चंबाः चाइल्ड लाइन चंबा ने डिग्री कॉलेज के साथ साइंस ब्लॉक में कार्यरत मजदूरों और उनके बच्चों को जागरूक किया और अंतरराष्ट्रीय बाल मजदूरी निषेध दिवस के महत्व के साथ बच्चों के अधिकारों के बारे में बताया. इस दौरान चाइल्ड लाइन चंबा के जिला समन्वयक ने बताया कि बाल मजदूरी कानूनी अपराध है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने बाल श्रम को रोकने पर जोर दिया था, जिसके बाद 2002 में सर्वसम्मति से एक कानून पास कर किया गया. इस कानून के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराने को अपराध माना गया है. उन्होंने बताया कि भारत में भी यह कानून लागू किया गया है और इसके लिए व्यक्ति को 3 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है.
वहीं, भारतीय संविधान की धारा 45 के अंतर्गत देश के सभी राज्यों को 14 साल से कम उम्र के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना अनिवार्य किया गया है. वहीं, अनुच्छेद 21 ए 6 से 14 साल की उम्र के सभी बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है. 14 साल के कम उम्र के बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए ताकि वे पढ़-लिख अपने जीवन का फैसला खुद ले सकें. इसके अलावा चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से बचाव के बारे में भी मजदूरों को जागरूक किया. वहीं, चाइल्ड लाइन चंबा की टीम द्वारा मजदूरों को मास्क भी वितरित किए गए.
चाइल्ड लाइन चंबा के जिला समन्वयक कपिल शर्मा ने बताया कि 14 साल से लेकर 18 साल तक के बच्चों को बाल मजदूरी अधिनियम में कुछ हद तक रियायतें दी गई हैं. जिसके तहत बच्चों से चार लेकर 5 घंटे तक बच्चे काम कर सकते हैं, लेकिन वहां पर उनके मान-सम्मान को ठेस न पहुंचे. साथ ही उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक क्षति न पहुंचे. इस मौके पर कोविड-19 को लेकर जारी दिशा-निर्देशों की पालना की गई. मजदूरों को मास्क बांटे गए साथ ही सामाजिक दूरी का पालन करने की भी बात कही गई.
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