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अनुसूचित जनजाति के गैर जनजातीय क्षेत्रों को मिले विशेष पैकेज: मुख्य सचेतक विक्रम सिंह जरयाल

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य सचेतक (Chief Whip of Himachal Pradesh Legislative Assembly) बनने के बाद चंबा जिले के बनीखेत पहुंचे विक्रम सिंह जरयाल का कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया. इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस में विक्रम जरयाल ने कहा कि चंबा जिले में कुल आबादी का 52% अनुसूचित जनजाति से संबंध रखने वाले लोग हैं. ऐसे में सरकार से मांग की गई है कि जिस तरह से अनुसूचित जनजाति के लोग ट्राइबल एरिया में रहते हैं और उन्हें अलग से बजट का प्रावधान है, उसी तरह से ट्राइबल एरिया में भी अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए सरकार बजट का प्रावधान करे.

vikram singh jaryal
चंबा दौरे पर मुख्य सचेतक विक्रम सिंह जरयाल.
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Published : Aug 22, 2021, 5:20 PM IST

चंबा: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य सचेतक (Chief Whip of Himachal Pradesh Legislative Assembly) विक्रम सिंह जरयाल (Bikram Singh Jaryal) रविवार को बनीखेत पहुंचे, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. विक्रम जरयाल चंबा जिले से एकमात्र ऐसे विधायक हैं जिन्हें हाल ही में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया है. बनीखेत पहुंचने के बाद विक्रम जरयाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.

बनीखेत में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य सचेतक ने कहा कि चंबा जिले में कुल आबादी के 52 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं और इसके बारे में उन्होंने विधानसभा में भी सवाल किया था कि जिस तरह से अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के लोगों को अलग से बजट का प्रावधान है, उसी तरह से जो लोग नॉन ट्राइबल में रहते हैं उनके लिए भी सरकार अलग से बजट का प्रावधान करे. हालांकि मुख्य सचतेक विक्रम सिंह जरयाल ने कहा कि सरकार प्रदेश में अनुसूचित जाति की तरह अनुसूचित जनजाति बोर्ड का भी गठन करे ताकि उन्हें भी बराबर सुविधाएं मिल सके. उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़ा दायित्व दिया है, उसको निभाने का प्रयास किया जाएगा.

वीडियो.

वहीं, दूसरी और हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Legislative Assembly) के मुख्य सचेतक विक्रम सिंह जरयाल ने बनीखेत में पहुंचने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि सरकार ने उन्हें बड़ा पद दिया है, जिसका श्रेय चंबा की जनता को जाता है. उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं को सरकार के सामने समय-समय पर उठाते रहेंगे.

बता दें कि चंबा जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों को लेकर विक्रम सिंह जरयाल ने सरकार के सामने विभिन्न मांगों को रखा है. हालांकि उन्होंने प्रदेश में अनुसूचित जनजाति का बोर्ड गठन करने का निर्णय लेने के लिए भी सरकार से मांग की है. उन्होंने कहा है की इस क्षेत्र के लोग अक्सर पहाड़ी इलकों में रहते हैं और अपने माल मवेशियों के साथ होने के चलते उनके पास रोजगार के इतने साधन नहीं होते हैं. अगर प्रदेश सरकार इसकी और ध्यान दे तो काफी हद तक राहत मिल सकती है.

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चंबा: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य सचेतक (Chief Whip of Himachal Pradesh Legislative Assembly) विक्रम सिंह जरयाल (Bikram Singh Jaryal) रविवार को बनीखेत पहुंचे, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया. विक्रम जरयाल चंबा जिले से एकमात्र ऐसे विधायक हैं जिन्हें हाल ही में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया है. बनीखेत पहुंचने के बाद विक्रम जरयाल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.

बनीखेत में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य सचेतक ने कहा कि चंबा जिले में कुल आबादी के 52 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं और इसके बारे में उन्होंने विधानसभा में भी सवाल किया था कि जिस तरह से अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के लोगों को अलग से बजट का प्रावधान है, उसी तरह से जो लोग नॉन ट्राइबल में रहते हैं उनके लिए भी सरकार अलग से बजट का प्रावधान करे. हालांकि मुख्य सचतेक विक्रम सिंह जरयाल ने कहा कि सरकार प्रदेश में अनुसूचित जाति की तरह अनुसूचित जनजाति बोर्ड का भी गठन करे ताकि उन्हें भी बराबर सुविधाएं मिल सके. उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़ा दायित्व दिया है, उसको निभाने का प्रयास किया जाएगा.

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वहीं, दूसरी और हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Legislative Assembly) के मुख्य सचेतक विक्रम सिंह जरयाल ने बनीखेत में पहुंचने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि सरकार ने उन्हें बड़ा पद दिया है, जिसका श्रेय चंबा की जनता को जाता है. उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं को सरकार के सामने समय-समय पर उठाते रहेंगे.

बता दें कि चंबा जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों को लेकर विक्रम सिंह जरयाल ने सरकार के सामने विभिन्न मांगों को रखा है. हालांकि उन्होंने प्रदेश में अनुसूचित जनजाति का बोर्ड गठन करने का निर्णय लेने के लिए भी सरकार से मांग की है. उन्होंने कहा है की इस क्षेत्र के लोग अक्सर पहाड़ी इलकों में रहते हैं और अपने माल मवेशियों के साथ होने के चलते उनके पास रोजगार के इतने साधन नहीं होते हैं. अगर प्रदेश सरकार इसकी और ध्यान दे तो काफी हद तक राहत मिल सकती है.

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