बिलासपुरः विकास खंड घुमारवीं की कुठेड़ा पंचायत के पुनर्गठन की मांग के लिए अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठे आशीष मेहता, गौरव मेहता, साहिल मेहता व विनय कुमार को 96 घंटे से अधिक समय हो चुका है. सोमवार को घुमारवीं एसडीएम शशि पाल मौके अनशन पर बैठे युवकों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने युवकों की मांगों को सुना.
एसडीएम घुमारवीं ने युवकों से अनशन खत्म करने की बात की, लेकिन युवकों ने लिखित रूप से उनकी मांगें मानने की बात कही. इस पर एसडीएम ने पंचायत प्रतिनिधियों से इस मामले में प्रस्ताव डालने को कहा. युवकों ने कड़े शब्दों में कहा कि अगर प्रशासन 10 दिनों के अंदर उनकी मांगे लिखित रूप से नहीं मानी गई तो आंदोलन को और भी आगे बढ़ाया जाएगा, जिसकी जिम्मेवारी प्रशासन की होगी.
रात करीब 2:30 बजे अनशन स्थल पर पहुंची टीम
वहीं, रविवार-सोमवार की रात करीब 2:30 बजे घुमारवीं थाना के एसएचओ की अगुवाई में पुलिस टीम अनशन स्थल पर पहुंची. इस दौरान पुलिस ने युवकों को साथ ले जाने का प्रयास किया. वहीं, इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो गया. पुलिस का मत था कि अनशन पर बैठे युवकों का शुगर लेवल बहुत कम है. इसके चलते टेस्ट करवाने के लिए युवकों को अस्पताल ले जाना होगा, लेकिन युवक अनशन स्थल से जाने को तैयार नहीं हुए.
उधर, जैसे ही सुबह के समय इस मामले की खबर स्थानीय जनता को लगी तो स्थानीय लोगों ने अनशन स्थल पर इकट्ठा होकर सरकार और प्रशासन के विरुद्ध जोरदार नारेबाजी कर रोष जताया.
कांग्रेस ने की पुलिस करवाई की निंदा
वहीं, सोमवार को जिला कांग्रेस ने अनशन पर पहुंच कर घुमारवीं पुलिस की कार्रवाई पर कड़ी निंदा की. कांग्रेस ने इस मामले में शामिल लोगों पर कड़ी सजा की मांग की है.
समर्थन में आए लोग
वहीं, युवकों की मांग का समर्थन करने के लिए लोग पहुंचे. भीष्म सिंह, सुखदेव सिंह, जयमल, मदन सिंह, नरोत्तम सिंह, निक्का राम, कैप्टन सुभाष शर्मा, संदीप संख्यान, ग्राम पंचायत कुठेड़ा के पूर्व प्रधान सुरम सिंह व अशोक कुमार, परनाल पंचायत की प्रधान कांता देवी व लददा पंचायत की प्रधान अंजना धीमान आदि भी अनशन स्थल पर आए.
पंचायत के पुनर्गठन की मांग को उचित ठहराते हुए इसे जल्द से जल्द पूरा करने का सरकार से आग्रह किया. कुठेड़ा पंचयात के पूर्व प्रधान सुरम सिंह व अशोक कुमार ने बताया कि विकासात्मक कार्यो में बड़ी पंचायतों में समस्या आती है. ऐसे में अगर इस पंचायत का विभाजन किया जाए तो विकासात्मक कार्यों में तेजी आएगी और लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी मिल पाएंगी.
हैरानी की बात यह है कि उनके कार्यकाल में जब साल 2008 और 2014 में इस पंचायत के पुनर्गठन को लेकर प्रस्ताव भी पारित किया गया तो इसका क्या कारण रहा जो इस पंचायत का पुर्नगठन नहीं किया जा सका.
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