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रामलाल ठाकुर ने जयराम सरकार की खेल नीति पर साधा निशान, खिलाड़ियों के साथ मजाक करने का लगाया आरोप - himachal sports policy

नैना देवी क्षेत्र से विधायक रामलाल ठाकुर ने जयराम सरकार की खेल नीति पर निशाना साधते हुए कहा कि इस नीति में बड़े-बड़े सपने तो दिखाएं हैं लेकिन अभी तक बुनियादी तौर पर कुछ भी सामने नहीं आ पाया है. यह प्रदेश के गांव, कस्बों व शहरों के खिलाड़ियों के साथ मजाक भर किया जा रहा है.

Ram Lal Thakur on sports policy
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Published : Sep 2, 2020, 4:02 PM IST

बिलासपुरः पूर्व खेल मंत्र व नैना देवी क्षेत्र से विधायक रामलाल ठाकुर ने जयराम सरकार की खेल नीति पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की खेल नीति महज प्रदेश खिलाडियों को लॉली पॉप देने जैसी है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि नई खेल नीति के अनुसार गांवों से शहरों तक नए स्टेडियम बनाए जाने को कहा गया है.

स्पोर्ट्स ट्रेनिंग डेस्टिनेशन बनाने के लिए 58 करोड़ का प्रस्ताव भी तैयार किया गया था, लेकिन अभी तक बुनियादी तौर पर कुछ भी सामने नहीं आ पाया है. यह प्रदेश के गांव, कस्बों व शहरों के खिलाड़ियों के साथ मजाक भर किया जा रहा है.

रामलाल ठाकुर ने कहा प्रदेश में खिलाड़ियों की कमी नहीं है, लेकिन उनको खेल के लिए बेहतर वातावरण और साधन नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे स्वयं खेलों से जुड़ा रहें हैं अगर हिमाचल के खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं और खेलने का वातावरण मिले तो वे पड़ोसी राज्यों के खिलाड़ियों से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.

रामलाल ठाकुर ने कहा कि हाई एल्टीट्यूड खेलों को भी बढ़ावा देने की बात खेल नीति में कही गई थी, लेकिन धरातल पर अभी तक कुछ भी नहीं उतर पाया है. नई खेल नीति के लिए प्रदेश सरकार ने प्रदेश की जनता से सुझाव जनवरी के महीने में मांगे थे, लेकिन उन सुझावों पर कितना विचार किया गया, अभी तक रहस्य ही बना हुआ है.

पूर्व खेल मंत्री ने कहा कि वर्तमान हिमाचल सरकार की खेल नीति-2020 तैयार की है, लेकिन उसमें खिलाड़ियों को मिलने वाले सम्मान और उनके रोजगार पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है. हिमाचल की नई खेल नीति में पहली बार दिव्यांगों की खेलों के साथ साहसिक खेलों को शामिल तो किया गया है, लेकिन उनको कितना बजट मिलेगा और उन खेलों का कैसे क्रियान्वयन किया जाएगा, उसके बारे में कोई रूप रेखा तैयार नहीं की गई है.

इस नीति को तैयार करने के लिए न तो खिलाड़ियों से और न ही खेल संघों से कोई चर्चा की गई है. भाषा, संस्कृति और पर्यटन विभाग के साथ मिलकर स्पोर्ट्स म्यूजियम बनाने की बाते कही गई है, लेकिन इस विभाग के पास अपना कार्यालय चलाने तक का बजट नहीं है. ये विभाग अपनी गतिविधियां एशियन डेवेलपमेंट बैंक की सहायता से करता है तो ऐसे में खेल स्पोर्ट्स म्यूजियम कैसे बनेगा.

रामलाल ठाकुर ने कहा कि इस खेल नीति को क्रियान्वित करने का प्रशासनिक ढांचा क्या होगा, यह भी बड़ा सवाल है. खेल नीति को प्रदेश सरकार हल्के में न लें बल्कि उसको बुनियादी तौर पर जमीन पर उतारे तभी प्रदेश में खेलों को बढ़ावा मिल पाएगा अन्यथा खिलाड़ियों के साथ सिर्फ मजाक ही होगा.

ये भी पढ़ें- पूर्व IG जहूर हैदर अली को पंजाब-हरियाणा HC से झटका, अंतरिम जमानत याचिका खारिज

ये भी पढ़ें- मिशन रिपीट की तैयारी, हर बूथ पर 10 किसान प्रहरी तैयार करेगा बीजेपी किसान मोर्चा

बिलासपुरः पूर्व खेल मंत्र व नैना देवी क्षेत्र से विधायक रामलाल ठाकुर ने जयराम सरकार की खेल नीति पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की खेल नीति महज प्रदेश खिलाडियों को लॉली पॉप देने जैसी है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि नई खेल नीति के अनुसार गांवों से शहरों तक नए स्टेडियम बनाए जाने को कहा गया है.

स्पोर्ट्स ट्रेनिंग डेस्टिनेशन बनाने के लिए 58 करोड़ का प्रस्ताव भी तैयार किया गया था, लेकिन अभी तक बुनियादी तौर पर कुछ भी सामने नहीं आ पाया है. यह प्रदेश के गांव, कस्बों व शहरों के खिलाड़ियों के साथ मजाक भर किया जा रहा है.

रामलाल ठाकुर ने कहा प्रदेश में खिलाड़ियों की कमी नहीं है, लेकिन उनको खेल के लिए बेहतर वातावरण और साधन नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे स्वयं खेलों से जुड़ा रहें हैं अगर हिमाचल के खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं और खेलने का वातावरण मिले तो वे पड़ोसी राज्यों के खिलाड़ियों से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.

रामलाल ठाकुर ने कहा कि हाई एल्टीट्यूड खेलों को भी बढ़ावा देने की बात खेल नीति में कही गई थी, लेकिन धरातल पर अभी तक कुछ भी नहीं उतर पाया है. नई खेल नीति के लिए प्रदेश सरकार ने प्रदेश की जनता से सुझाव जनवरी के महीने में मांगे थे, लेकिन उन सुझावों पर कितना विचार किया गया, अभी तक रहस्य ही बना हुआ है.

पूर्व खेल मंत्री ने कहा कि वर्तमान हिमाचल सरकार की खेल नीति-2020 तैयार की है, लेकिन उसमें खिलाड़ियों को मिलने वाले सम्मान और उनके रोजगार पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है. हिमाचल की नई खेल नीति में पहली बार दिव्यांगों की खेलों के साथ साहसिक खेलों को शामिल तो किया गया है, लेकिन उनको कितना बजट मिलेगा और उन खेलों का कैसे क्रियान्वयन किया जाएगा, उसके बारे में कोई रूप रेखा तैयार नहीं की गई है.

इस नीति को तैयार करने के लिए न तो खिलाड़ियों से और न ही खेल संघों से कोई चर्चा की गई है. भाषा, संस्कृति और पर्यटन विभाग के साथ मिलकर स्पोर्ट्स म्यूजियम बनाने की बाते कही गई है, लेकिन इस विभाग के पास अपना कार्यालय चलाने तक का बजट नहीं है. ये विभाग अपनी गतिविधियां एशियन डेवेलपमेंट बैंक की सहायता से करता है तो ऐसे में खेल स्पोर्ट्स म्यूजियम कैसे बनेगा.

रामलाल ठाकुर ने कहा कि इस खेल नीति को क्रियान्वित करने का प्रशासनिक ढांचा क्या होगा, यह भी बड़ा सवाल है. खेल नीति को प्रदेश सरकार हल्के में न लें बल्कि उसको बुनियादी तौर पर जमीन पर उतारे तभी प्रदेश में खेलों को बढ़ावा मिल पाएगा अन्यथा खिलाड़ियों के साथ सिर्फ मजाक ही होगा.

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