बिलासपुरः जिला में लोगों को अभी निजी बसों की सुविधा नहीं मिलेंगी. निजी बस ऑपरेटरों ने मांगें न माने जाने तक बसों को न चलाने का फैसला लिया है, जिससे जिला में लोगों को निजी बसों की सुविधा के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा. निजी बस ऑपरेटरों ने बताया कि कई राज्यों में किराये में वृद्धि की है.
हिमाचल प्रदेश के निजी बस ऑपरेटरों ने सामान्य किराये में 50 प्रतिशत की वृद्धि, न्यूनतम किराये पांच किलोमीटर तक 10 रुपये, पांच से दस किलोमीटर तक 20 रुपये और 15 किलोमीटर तक 30 रुपये करने की मांग की है. निजी बस ऑपरेटर 60 फीसदी क्षमता से बस चलाने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार अन्य 40 प्रतिशत सीटों का किराया सब्सिडी के रूप में वहन करें, तो निजी बस आपरेटर बसें चलाने में सक्षम हो जाएंगे.
निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार के आदेशानुसार बसें 60 प्रतिशत क्षमता में चलेंगी, लेकिन इंश्योरेंस का प्रीमियम 100 फीसदी सीटों का लिया जा रहा है. जो कि तर्कसंगत नहीं है. जब तक कोविड-19 खत्म होने की अधिकारिक घोषणा नहीं होती है, तब तक किसी भी बस अड्डे पर फीस न ली जाए. जो बसें कॉरिडोर एंट्री से बाहरी राज्यों को जाती है, उनका बॉर्डर पर लगने वाला टैक्स भी न लिया जाए. उन्होंने कहा कि बसें चलाने के आदेश तो जारी कर दिए गए हैं, लेकिन समय-सारिणी और रूट परमिट में अस्थाई रूप से संशोधन करना भी अति आवश्यक है.
निजी बस ऑपरेटरों के जिला प्रधान राजेश पटियाल ने कहा कि बिलासपुर में निजी बस ऑपरेटरों ने सरकार के निर्देशानुसार फैसला लिया था, कि पहली जून से जिले में बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. जिला में कुछ बस ऑपरेटरों ने ट्रायल के तौर पर बसें चलाना शुरू किया था, लेकिन उसमें निजी बस मालिक सफल नहीं हो पाए.
पटियाल ने कहा कि जिला बिलासपुर के निजी बस ऑपरेटर सरकार के आदेशों का पालन करते हुए 60 फीसदी क्षमता से बस चलाने के लिए हामी भरी थी, लेकिन उचित सवारियां न मिलने के कारण बसें चलाने में निजी बस ऑपरेटरों ने असमर्थता जताते हुए बीती सात जून को प्रदेश स्तरीय बैठक वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से की, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने की.
जिसमें निर्णय लिया कि जब तक सरकार कोई सकारात्मक निर्णय प्रदेश व जिला के निजी बस ऑपरेटरों को सहयोग नहीं देती है. तब तक हिमाचल प्रदेश जिला बिलासपुर के निजी बस ऑपरेटर सेवाएं देने में असमर्थ होंगे. निजी बस ऑपरेटरों का सरकार के साथ कोई विरोध नहीं है. निजी बस ऑपरेटर संघ और जिला ऑपरेटर संघ ने सरकार को अपने सुझाव प्रेषित किए हैं, जिसमें उन्होंने सरकार से समस्याओं के समाधान की मांग की है.