बिलासपुर: दि करलोटी सहकारी सभा में हुए 8 करोड़ 12 लाख रुपये के घोटाले को लेकर ग्रामीण सड़कों पर उतर आए हैं. वीरवार को बिलासपुर शहर में रैली निकालकर उपायुक्त कार्यलय के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस अवसर पर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व सरकार के खिलाफ भी आवाज बुलंद की.
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार व प्रशासन को इस मामले के बारे में पता है, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. संघर्ष समिति गुग्गा मोहड़ा का आरोप है कि सहकारी सभा पर सहायक पंजीयक सहकारी सभा के अधिकारियों द्वारा भी जांच बिठाई गई है और विजिलेंस की टीम भी मामले की जांच कर रही है.
हैरानी की बात है कि दोनों की जांच अलग-अलग दिशाओं में चल रही है. जिसके चलते अब संघर्ष समिति में रोष देखा जा रहा है. संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया है कि पंजीयक अधिकारी ने बताया है कि समिति के सदस्यों व प्रधानों की लापरवाही भी इस सारे गबन में है. विजिलेंस (scam in Karloti cooperative Society) की टीम ने उन्हीं लोगों को जांच में शामिल किया है, जिनके नाम उन्होंने शिकायत पत्र में दाखिल किए थे. इसके अलावा विजिलेंस ने कोई खास जांच अब तक इस मामले में नहीं की है.
सहकारी सभा में 1208 लोगों के खाते: सहकारी सभा में इन दिनों लोगों को अपना ही जमा करवाया पैसा नहीं मिल पा रहा है. लोगों की उम्मीदें अब इस मामले की जांच पर टिकी हैं. इस सहकारी सभा में क्षेत्र की तीन बड़ी पंचायतों पपलाह, करलोटी और पलासला की आबादी ने अपना पैसा जाम करवाया है. यहां लगभग 1208 लोग सहकारी सभा के खाताधारक हैं. सहकारी सभा के खाताधारकों में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें बीमारी जैसी आपात स्थिति में भी सभा से पैसा नहीं मिल पाया और उन्हें अपने परिवार का सदस्य से हाथ धोना पड़ा.
जांच में शामिल कुछ लोगों की मौत: दि करलोटी सहकारी सभा सीमित पपलाह के गबन मामला उजागर होते ही कुछ लोगों की मौत हो चुकी है. संघर्ष समिति के प्रधान कुलदीप मनकोटिया ने बताया कि सभा के ऑडिटर धर्मपाल की मौत 2018 में हो चुकी है. जब यह घोटाला उजागर हुआ था, उसके कुछ दिनों बाद उनकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी.
इसके कुछ ही समय बाद सहकारी सभा के सचिव शशि कुमार की भी मौत हो गई थी. अब ऐसे में यह मामला और संगीन हो गया है. संघर्ष समिति का कहना है कि इस मामले के मुख्य आरोपित अब इस दुनिया में नहीं हैं और उन्हें संदेह है कि उनकी मौत का इस गबन से गहरा नाता रहा है.
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