बिलासपुर: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तर्ज पर अब हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में एक बड़ा प्रोजेक्ट (project will be built in Bilaspur) बनने जा रहा है. 1400 करोड़ रुपये की लागत से बिलासपुर की गोबिंद सागर झील के किनारे जलमग्न मंदिरों को शिफ्ट करके पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. पहले चरण में शहर के 'नाले के नौण' एरिया को विकसित करके वहां पर मंदिरों को शिफ्ट करने की कवायद होगी तो वहीं, दूसरे चरण में यहां पर पानी को रोककर एक बड़ा जलाशय तैयार करने का प्लान है, जिसके किनारे इन मंदिरों को स्थापित किया जाना है. इस पूरे प्रोजेक्ट का मकसद इन मंदिरों को पुनर्जीवित करके एक शानदार पर्यटन स्थल बनाने का है.
प्रोजेक्ट के तीसरे चरण में बिलासपुर शहर के दूसरे छोर पर बसे ऋर्षिकेश गांव तक एक बड़ा पुल बनाने की भी योजना है. यह बात बिलासपुर में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (jp nadda in bilaspur) ने कही. उन्होंने कहा कि (JP Nadda press conference in Bilaspur) बिलासपुर में यह 1400 करोड़ का प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा (1400 crore project in Bilaspur) प्रोजेक्ट होगा. एक तरफ जहां बिलासपुर के भाखड़ा विस्थापितों का दंश समाप्त होगा तो वहीं, दूसरी ओर पर्यटन की दृष्टि से विकसित होकर यहां के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान होंगे.
जेपी नड्डा ने कहा कि इस प्राजेक्ट के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से पहले चरण के लिए 100 करोड़ रुपये की ग्रांट भी जारी करवा दी है. जल्द ही इस कार्य की पूरी रिपोर्ट तैयार होगी और कार्य शुरू हो जाएगा. इससे जहां बिलासपुर जिला विकसित होगा बल्कि पूरे प्रदेश को यह प्रोजेक्ट पर्यटन की दृष्टि से एक नई पहचान दिलाएगा. जेपी नड्डा ने कहा कि उनकी ओर से प्रयास किए जा रहे हैं कि इसका शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करवाया जाए, क्योंकि उनके प्रयासों से ही इस प्रोजेक्ट को गति मिली है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि हिमाचल की जनता लाखों रुपये मांगती नहीं है और हम करोड़ो से कम देते नहीं है.
गौरतलब है कि 1960 के दशक में जब भाखड़ा बांध का निर्माण हुआ और बांध के लिए गोविंद सागर झील का निर्माण किया गया तो उसमें कई गांव और रंगनाथ मंदिर (rangnath temple in bilaspur) भी पानी में समा गए. ये करीब एक दर्जन मंदिर हैं, जिनसे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. इन मंदिरों को पानी से बाहर लाने को लेकर पहले भी कई बार सियासी वादे हुए हैं. इस बार इसके लिए प्रदेश की जयराम सरकार ने अलग से बजट में प्रावधान भी किया था.
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