बिलासपुर: कोरोना महामारी से आर्थिकी पर पड़े असर से कोई भी अछूता नहीं है. व्यापारिक दल से लेकर प्राइवेट नौकरी सहित रेहड़ी-फड़ियां लगाकर अपने घर का चलाने वाले वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर पड़ा है. ऐसे में अगर बात बेटियों के भविष्य की करें तो अब मां-बाप को अपनी बेटियों को पढ़ाने और अन्य सारे खर्च पूरा करना भी बड़ी चुनौतियों के रूप में सामने आई है.
ऐसे में जब ईटीवी भारत ने ऐसे गरीब परिवार के सदस्यों से बातचीत की जिनके सारे काम बंद पड़ गए हैं. हालांकि अब धीरे-धीरे काम शुरू तो रहा है लेकिन सुरक्षा के लिहाज से अब किसी काम के लिए बाहर निकला और भी खतरनाक होता जा रहा है.
बच्चों का पढ़ा पाना मुश्किल
शहर की रहने वाली बक्खों देवी कहती हैं कि कोरोना की वजह से अब स्कूलों की फीस से लेकर टयूशन फीस तक का इंतजाम करना बहुत मुश्किल हो गया है. कोरोना महामारी से पहले छोटा-मोटा काम धंधा करके बच्चों को पढ़ा रहे थे, लेकिन कोरोना की वजह से ऐसा कर पाना मुश्किल हो रहा है.
पैसा बना मजबूरी
महिंद्रों देवी का कहना है कि वैसे तो बच्चे घर बैठे ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन अब पढ़ाई ज्यादा टफ हो गई है, जिसके चलते उन्हें स्कूल के साथ टयूशन लेना भी जरूरी हो गया है. पैसे न होने की वजह से यह सारे तमाम कामों को पूरा कर पाना मुश्किल हो गया है.
शिक्षा विभाग के पास कोई डाटा नहीं
शिक्षा विभाग से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि बेटियों का स्कूल छोड़ने का अभी तक उनके पास ऐसे कोई डाटा उपलब्ध नहीं है. विभाग के अधिकारियों को कहना है कि कोविड-19 की वजह से किसी भी परिजन को बच्चों की पढ़ाई में परेशानी आ रही है वो शिक्षा विभाग से संपर्क कर सकता है. ऐसे परिवारों के बच्चों को शिक्षा विभाग पढ़ाई के लिए बेहतर सुविधाएं देने की पूरी कोशिश करेगा.
बेटियों की बेहतर शिक्षा के लिए सरकार चला रही योजनाएं
शिक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में सभी बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया है. उन्होंने यह भी साफ किया है कि इस शिक्षा में बेटियों ने भी अधिक भाग लिया है. वहीं, बिलासपुर जिला की बात करें तो जिला प्रशासन द्वारा बेटी-बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान भी जारी है. इस अभियान के तहत बेटियों को बेहतर शिक्षा देने के लिए कई योजनाएं सरकार की ओर से चलाई जा रही है.
गरीब बच्चियों का सहारा बनने की जरूरत
शहर की नेहा मानव सेवा सोसायटी के पदाधिकारी राकेश कुमार का कहना है कि गरीब परिवार की बच्चियों के लिए सभी को सहारा बनने की जरूरत है. बच्चियों की पढ़ाई को लेकर उनकी संस्था हर संभव कोशिश करेगी. गरीब परिवार की बच्चियों की पढ़ाई के लिए सोसायटी ने एक अलग विंग बनाया है, जिसके जरिए सोसायटी से सदस्य परिवार की आर्थिक स्थिति देखकर मौके पर ही मदद मुहैय्या करा रहे हैं.
बच्चियों की मदद के लिए बिटिया फाउंडेशन तैयार
गरीब बच्चियों के लिए काम कर रही संस्था बिटिया फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा सांख्यान से जब इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में गरीब बच्चों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जिन गरीब बच्चों के पास मोबाइल नहीं था, उनकी पढ़ाई छूट गई. ऐसे बच्चियों की मदद के लिए बिटिया फाउंडेशन मदद के लिए खड़ा है.
सीमा सांख्यान ने कहा कि बेटियों की पढ़ाई छूटे ये बड़ी शर्म की बात है. उन्होंने बेटियों से अनुरोध किया है कि किसी भी वजह से वह अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ें. क्योंकि आज के दौर में जो भी पढ़ा लिखा होगा वहीं अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. किसी भी सहायता के लिए बिटिया फाउंडेशन से संपर्क करें.