बिलासपुर: महिला बाल कल्याण विभाग की ओर से एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया (Poshan Tracker App for Anganwadi) गया है. इस ऐप का नाम ट्रैकर ऐप रखा गया है. इस ऐप के माध्यम से विभाग एक क्लिक पर जिला के आंगनबाड़ी केंद्रों की सारी जानकारी पता कर सकता है. किस आंगनबाड़ी केंद्र में कितने बच्चे हैं और कितने बच्चों को क्या-क्या डाइट दी गई है, इसकी सारी जानकारी पता लगेगी.
महिला बाल कल्याण विभाग बिलासपुर (Women Child Welfare Department Bilaspur) ने पोषण ट्रैकर ऐप के माध्यम से बिलासपुर जिले के हर घर तक पहुंचने की योजना बनाई है. जिसके तहत प्रत्येक बच्चे व गर्भवती महिला के पोषण पर विशेष नजर रखी जाएगी. योजना के तहत कमजोर, नाटापन व कुपोषित बच्चों को ढूंढा जाएगा और उनके लिए स्वास्थ्य शिविर आयोजित करके सैम व मैम कैटेगरी के बच्चों की पहचान होगी. सैम कैटेगरी के बच्चों को एनआरसी में भेजा जाएगा, जबकि मैम बच्चों की मॉनिटरिंग विभाग द्वारा स्वयं की जाएगी.
जानकारी के अनुसार विभाग ने इस योजना के तहत हिमाचल में आंगनबाड़ी वर्कर्स (Anganwadi workers in Himachal) को विशेष मोबाइल दिए हैं. साथ ही उन्हें ऑपरेट करने के लिए ट्रेनिंग भी दी गई है. आंगनबाड़ी वर्कर द्वारा (Poshan Tracker App for Anganwadi) बच्चे व माता सहित गर्भवती महिला से संबंधित तमाम जानकारी एकत्रित करके पोषण ट्रैकर ऐप में अपलोड की जाएगी. उनके खाने-पीने सहित रहन-सहन से संबंधित सारी जानकारी जुटाई जाएगी और समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग भी होगी.
गर्भवती महिला सहित बच्चे के जन्म से दो वर्ष तक का सारा डाटा विभाग के पास होगा. इस अवधि में गर्भवती महिला व बच्चे के खाने-पीने में प्रयोग होने वाले भोजन से संबंधित जानकारी आंगनबाड़ी वर्कर (Poshan Tracker App for Anganwadi) रखेंगी. जिला में 1111 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों में शून्य से 3 वर्ष तक के 12 हजार 877 तथा 3 से 6 वर्ष तक के 7811 बच्चे पंजीकृत हैं. जबकि, 5270 गर्भवती व धात्री महिलाएं हैं. विभाग द्वारा कमजोर, नाटापन व कुपोषित बच्चों को ढूंढा जाएगा और उनके लिए स्वास्थ्य शिविर आयोजित होगा. जहां उनके स्वास्थ्य की जांच की जाएगी और सैम व मैम कैटेगरी के बच्चों की ( Sam and Mam category Children) पहचान की जाएगी.
बता दें कि सैम कैटेगरी के बच्चों को एनआरसी में भेजा जाएगा, जबकि मैम बच्चों की मॉनिटरिंग विभाग द्वारा स्वयं की जाएगी. जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग के न्यूट्रिशन के मार्गदर्शन में बच्चे की देखरेख की जाएगी. विभाग के सीडीपीओ व आंगनबाड़ी वर्कर इसका फॉलोअप लेंगे साथ ही परिवार के सदस्यों को भी बच्चे के खाने-पीने को लेकर जागरूक किया जाएगा.
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