बिलासपुर: अगर इंसान अपने मन में कुछ करने की ठान ले तो सफलता अवश्य ही उसके कदम चूमती है. यह बात सच कर दिखाई है बिलासपुर के झबोला की रहने वाली अंजना ने. अंजना ने अपनी सफलता व संघर्ष के साथ वह कारनामा कर दिखाया है जिसकी हर कोई मिसाल दे रहा है. इसे विधि का विधान ही कहा जाए कि बचपन से ही दोनों आंखों से नेत्रहीन अंजना को माता-पिता का सुख भी नहीं मिला. बेहद ही गरीब परिवार में जन्मी अंजना जन्म से ही नेत्रहीन हैं. अंजना ही नहीं बल्कि उनका भाई भी जन्म से दृष्टिहीन है. लेकिन वह जिस मुकाम पर आज है उससे उन्होंने यह साबित कर दिखा है कि सफलता न तो किसी अमीर के घर की मोहताज होती और न ही शारिरिक अक्षमता मेहनत करने वाले का रास्ता रोक सकती है.
अंजना ने आर्थिक तंगी के बावजूद भी खूब संघर्ष किया. जिसका उन्हें अब फल मिला है, बता दें कि चुनाव विभाग में लिपिक के पद पर अंजना का सिलेक्शन हो (blind Anjana got government job) चुका है. अंजना ने कक्षा एक से दसवीं तक कि पढ़ाई सुंदरनगर के दृस्टिबाधित विशेष स्कूल से की है. अंजना के नाना ने उन्हें वहां दाखिला दिलवाया था उसके बाद पढ़ने में अव्वल अंजना का दाखिला शिमला के पोर्टमोर स्कूल में उमंग फाउंडेशन के (Umang Foundation shimla) द्वारा करवाया गया. हॉस्टल में रह कर अंजना ने जमा दो की परीक्षा फर्स्ट डीविजन में पास की.
उसके बाद सुंदरनगर में विकलांग बच्चों के लिए बनाई गई आईटीआई में कंप्यूटर का डिप्लोमा किया. उसके बाद महाविद्यालय घुमारवीं से स्नातक की शिक्षा ली और एमए इतिहास में प्रवेश लिया. इस बीच चुनाव विभाग के लिए लिपिक पद के लिए (blind Anjana got government job) परीक्षा दी और वहां उसका सलेक्शन हो गया. अभी हाल में अंजना की घुमारवीं में पहली पोस्टिंग हुई है. सर पर माता-पिता का साया न होने के बावजूद और नेत्रहीन होने के बाद भी अंजना ने वह काम कर दिखाया, जिसको करने के लिए कई लोगों के हौसले तक टूट जाते हैं.
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