शिमला: जहरीली शराब से मौत होने (Mandi poisonous liquor case) के समाचार अकसर देश के अन्य राज्यों से आते थे, लेकिन नशा तस्करों का गढ़ बन रहे हिमाचल में सात लोगों की मौत से कोहराम मचा हुआ है. हिमाचल पुलिस बेशक अवैध और जहरीली शराब के धंधे का भंडाफोड़ कर अपनी पीठ थपथपा रही है, परंतु ये सवाल अभी भी जवाब मांग रहा है कि अब तक ये धंधा कैसे फल-फूल रहा था. इतना तगड़ा नेक्सस चल रहा था और पुलिस को कोई खबर न हो, ये संभव नहीं.
हिमाचल पुलिस ने एसआईटी में एनआईए से वापस आए तेजतर्रार पुलिस अफसर अरविंद दिग्विजय नेगी को भी शामिल किया है. राज्य पुलिस के मुखिया संजय कुंडू ने वर्चुअल प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान अरविंद नेगी की तारीफों (DGP PC on poisonous liquor case) के पुल बांधे हैं. ये सारी बातें अपनी जगह सही हैं. ये ठीक है कि पुलिस ने 72 घंटे के अंदर सारे धंधे की बखिया उधेड़ दी, लेकिन प्रदेश के हर हिस्से में फैले इस जहरीले कारोबार का पुलिस को पता कैसे न चला, ये गंभीर सवाल है.
मामले पर हो रही राजनीति- इस अवैध कारोबार के तार हिमाचल से लेकर देश के अन्य राज्यों तक जुड़े हुए हैं. इसमें संलिप्त लोग प्रभावशाली हैं और सियासत में भी दखल रखते हैं. कांग्रेस और भाजपा इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति (Himachal congress on poisonous liquor case) कर रहे हैं. आम जनता का मानना है कि यदि जहरीली शराब से मौत न होती, तो ये धंधा यूं ही बेरोकटोक चलता रहता. यहां गौरतलब है कि हिमाचल हाईकोर्ट ने नशे की तस्करी को लेकर हिमाचल की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है. हाईकोर्ट पूर्व में अपनी टिप्पणियों में कह चुका है कि प्रदेश को उड़ता पंजाब बनाने से रोकने की जरूरत है. यही नहीं, न्यायालय ने तस्करों को मृत्युदंड जैसी सजा देने का प्रावधान करने के लिए निर्देश जारी किए थे. लेकिन, सियासी संरक्षण के कारण तस्करों पर नकेल नहीं कसी जाती.
पुलिस की नाक के नीचे चलता रहा धंधा- हैरत की बात है कि जहरीली शराब (Illegal liquor trade in Himachal) से मृत्यु सुंदरनगर उपमंडल में हुई, लेकिन इसकी जड़ें हमीरपुर से लेकर परवाणू और पंचरुखी से लेकर जीरकपुर तक फैली हैं. हिमाचल पुलिस के मुताबिक कालू नाम का तस्कर शराब वितरण करने वाले रैकेट का सरगना है. वहीं, पंचरुखी का गौरव मिन्हास शातिर दिमाग का मुख्य सरगना पाया गया. हमीरपुर के बॉटलिंग प्लांट का मालिक प्रवीण ठाकुर है, जिसका सियासी कनेक्शन भी सामने आया है. कितनी अचरज भरी बात है कि जम्मू के रहने वाले त्रिपाठी नामक आदमी ने जहरीली शराब बनाने का फार्मूला इन सभी को दिया. फिर शराब के लिए पानी हमीरपुर से, बोतल हमीरपुर से और खाली पेटी परवाणू से आती रही. सिटी ब्यूटीफुल कहे जाने वाले चंडीगढ़ से जहरीली शराब के स्टिकर पहुंचाए गए.
हमीरपुर से बरामद हुई 6 हजार बोतलें- बोतल की कैप यानी ढक्कन सोलन जिला के परवाणू से आते थे. परवाणू को हिमाचल का प्रवेश द्वार कहा जाता है. पुलिस के अनुसार हमीरपुर से 6 हजार बोतलें बरामद हुई हैं. वहीं, किंपगिन गोरू यानी गौरव मिन्हास के घर से 25 लाख रुपये बरामद किए गए हैं. इसके अलावा नालागढ़ से बड़ी मात्रा में शराब व कच्चा माल बरामद हुआ है. तस्कर इस शराब की सप्लाई ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर व मंडी में (Mandi Illegal liquor trade culprits caught) करते थे. पुलिस के मुताबिक अंबाला का सागर सैनी स्पिरिट उपलब्ध करवाता था और कारोबार हमीरपुर से चलता था. नालागढ़ से ही पुलिस ने मनु व गगन को दबोचा है. ये भी इस जानलेवा धंधे में शामिल हैं.
घर से ही चल रही थी फैक्ट्री : हैरानी की बात है कि हमीरपुर के प्रवीण ठाकुर ने अपने घर में ही फैक्ट्री चालू की हुई थी. यहां बता दें कि हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध शराब का धंधा भी चलता है. अवैध शराब के इसी धंधे ने कई तस्करों को करोड़पति बना दिया. पंचायत से लेकर जिला मुख्यालय तक ये रैकेट चलते हैं. अब ईडी भी तस्करों की संपत्ति की जांच करेगी.
हाईकोर्ट (High court on Illegal liquor trade) ने भी तस्करों की रीढ़ तोड़ने के लिए उनके आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त करने के आदेश दिए हुए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता जीयानंद शर्मा का कहना है कि एक तरफ तो सरकार नशा निवारण अभियान चलाती है, वहीं प्रदेश में अवैध और जहरीली शराब का धंधा चल रहा है. जीयानंद शर्मा का कहना है कि बड़ी मछलियां बच निकलती हैं. सरकार को बड़े तस्करों पर हाथ डालना चाहिए.
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