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'पटेल के बाद मोदी', यह साबित करने में कामयाब रहे पीएम : शशि थरूर - कांग्रेस नेता शशि थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक बार फिर पीएम मोदी की तारीफ की है. शशि थरूर का कहना है कि सरदार वल्लभभाई पटेल की राष्ट्रीय अपील और गुजराती मूल का होना नरेंद्र मोदी के हित के अनुकूल है. इसके साथ वही थरूर ने कहा कि पटेल के बाद मोदी का संदेश कई गुजरातियों को पसंद आता है. थरूर ने पीएम मोदी को चतुर राजनेता बताया है. थरूर ने अपनी नई किताब 'प्राइड, प्रेजुडिस एंड पंडित्री: द एसेंशियल शशि थरूर' में ये टिप्पणियां की हैं.

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Published : Nov 7, 2021, 6:19 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर का कहना है कि सरदार वल्लभभाई पटेल की राष्ट्रीय अपील और गुजराती मूल का होना नरेंद्र मोदी के हित के अनुकूल है. इसके साथ वही थरूर ने कहा कि पटेल के बाद मोदी का संदेश कई गुजरातियों को पसंद आता है.

तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर का मानना है कि मोदी ने चतुराई से घरेलू राजनीतिक गणना की कि खुद को प्रतिष्ठित गुजरातियों महात्मा गांधी और पटेल के आवरण में लपेटने से उनकी आभा कुछ बढ़ जाएगी. थरूर ने अपनी नई किताब 'प्राइड, प्रेजुडिस एंड पंडित्री: द एसेंशियल शशि थरूर' में ये टिप्पणियां की हैं.

इस किताब में थरूर के प्रकाशित कार्यों के साथ-साथ विभिन्न रचनाओं को समेटा गया है. उन्होंने किताब में लिखा है, नरेंद्र मोदी ने चतुराई से घरेलू राजनीतिक गणना की कि खुद को अन्य प्रतिष्ठित गुजरातियों विशेष रूप से महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के आवरण में पेश करना, उनकी आभा बढ़ाने के लिए बेहतर होगा..

थरूर ने कहा है, 'प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी, ऐसा न हो कि हम भूल जाएं, जब 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने भारत के सबसे सम्मानित संस्थापकों में से एक सरदार वल्लभभाई पटेल की विरासत पर दावा करने के लिए आक्रामक तरीके से कदम रखा था.'

थरूर ने दावा किया है, 'अपनी पार्टी की तुलना में अधिक विशिष्ट वंशावली में खुद को दिखाने की अपनी खोज में मोदी ने अपने राज्य में भारत भर के किसानों से लोहे की एक विशाल, लगभग 600 फुट की प्रतिमा के निर्माण के लिए लोहा दान करने का आह्वान किया, जो दुनिया की अब तक की सबसे ऊंची मूर्ति होगी तथा 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' को पीछे छोड़ देगी.'

गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास एक टापू साधु बेट पर बनी पटेल की 182 मीटर की 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी', अमेरिका में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ की ऊंचाई से दोगुनी है. इसका उद्घाटन मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को किया था.

थरूर के मुताबिक, मोदी का इरादा स्वयं को उत्कृष्ट गुणों से लैस दिखाना है. उन्होंने लिखा है, 'जैसा कि 2002 में जब वह मुख्यमंत्री थे, गुजरात में सांप्रदायिक नरसंहार से उनकी अपनी छवि धूमिल हुई थी, पटेल के साथ खुद को दिखाना संघ द्वारा चरित्र निर्माण का एक प्रयास है. यह मोदी को खुद को पटेल की तरह कठोर, निर्णायक कार्रवाई करने वाले के अवतार के रूप में चित्रित करना है.'

यह भी पढ़ें- जब मंच पर शशि थरूर गाने लगे, 'एक अजनबी हसीना से, यूं मुलाकात हो गई...'

थरूर का कहना है कि यह उस विचार में मदद करता है कि पटेल को भारत को बनाने में उनकी असाधारण भूमिका के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा मिली जिसने उन्हें लौह पुरुष के रूप में पहचान दी. थरूर ने लिखा है, 'पटेल राष्ट्रीय अपील और गुजराती मूल दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मोदी के अनुकूल है. ‘पटेल के बाद मोदी’ - यह संदेश कई गुजरातियों के साथ अच्छी तरह से प्रतिध्वनित हुआ है. भारत के कई शहरी मध्यम वर्ग भी साथ हैं, जो मोदी को अनिर्णय की स्थिति को दूर करने के लिए एक मजबूत नेता के रूप में देखते हैं.

जवाहरलाल नेहरू की विरासत पर एक निबंध में, थरूर ने अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा भारत के पहले प्रधानमंत्री को संसद में दी गई भावनात्मक और काव्यात्मक श्रद्धांजलि का हवाला दिया.

'अलेफ' द्वारा प्रकाशित किताब में थरूर ने आधुनिक भारतीय इतिहास के कुछ सबसे महत्वपूर्ण आंकड़ों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति का भी जिक्र किया है.

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर का कहना है कि सरदार वल्लभभाई पटेल की राष्ट्रीय अपील और गुजराती मूल का होना नरेंद्र मोदी के हित के अनुकूल है. इसके साथ वही थरूर ने कहा कि पटेल के बाद मोदी का संदेश कई गुजरातियों को पसंद आता है.

तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर का मानना है कि मोदी ने चतुराई से घरेलू राजनीतिक गणना की कि खुद को प्रतिष्ठित गुजरातियों महात्मा गांधी और पटेल के आवरण में लपेटने से उनकी आभा कुछ बढ़ जाएगी. थरूर ने अपनी नई किताब 'प्राइड, प्रेजुडिस एंड पंडित्री: द एसेंशियल शशि थरूर' में ये टिप्पणियां की हैं.

इस किताब में थरूर के प्रकाशित कार्यों के साथ-साथ विभिन्न रचनाओं को समेटा गया है. उन्होंने किताब में लिखा है, नरेंद्र मोदी ने चतुराई से घरेलू राजनीतिक गणना की कि खुद को अन्य प्रतिष्ठित गुजरातियों विशेष रूप से महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के आवरण में पेश करना, उनकी आभा बढ़ाने के लिए बेहतर होगा..

थरूर ने कहा है, 'प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी, ऐसा न हो कि हम भूल जाएं, जब 2014 के चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने भारत के सबसे सम्मानित संस्थापकों में से एक सरदार वल्लभभाई पटेल की विरासत पर दावा करने के लिए आक्रामक तरीके से कदम रखा था.'

थरूर ने दावा किया है, 'अपनी पार्टी की तुलना में अधिक विशिष्ट वंशावली में खुद को दिखाने की अपनी खोज में मोदी ने अपने राज्य में भारत भर के किसानों से लोहे की एक विशाल, लगभग 600 फुट की प्रतिमा के निर्माण के लिए लोहा दान करने का आह्वान किया, जो दुनिया की अब तक की सबसे ऊंची मूर्ति होगी तथा 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' को पीछे छोड़ देगी.'

गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास एक टापू साधु बेट पर बनी पटेल की 182 मीटर की 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी', अमेरिका में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ की ऊंचाई से दोगुनी है. इसका उद्घाटन मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को किया था.

थरूर के मुताबिक, मोदी का इरादा स्वयं को उत्कृष्ट गुणों से लैस दिखाना है. उन्होंने लिखा है, 'जैसा कि 2002 में जब वह मुख्यमंत्री थे, गुजरात में सांप्रदायिक नरसंहार से उनकी अपनी छवि धूमिल हुई थी, पटेल के साथ खुद को दिखाना संघ द्वारा चरित्र निर्माण का एक प्रयास है. यह मोदी को खुद को पटेल की तरह कठोर, निर्णायक कार्रवाई करने वाले के अवतार के रूप में चित्रित करना है.'

यह भी पढ़ें- जब मंच पर शशि थरूर गाने लगे, 'एक अजनबी हसीना से, यूं मुलाकात हो गई...'

थरूर का कहना है कि यह उस विचार में मदद करता है कि पटेल को भारत को बनाने में उनकी असाधारण भूमिका के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा मिली जिसने उन्हें लौह पुरुष के रूप में पहचान दी. थरूर ने लिखा है, 'पटेल राष्ट्रीय अपील और गुजराती मूल दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मोदी के अनुकूल है. ‘पटेल के बाद मोदी’ - यह संदेश कई गुजरातियों के साथ अच्छी तरह से प्रतिध्वनित हुआ है. भारत के कई शहरी मध्यम वर्ग भी साथ हैं, जो मोदी को अनिर्णय की स्थिति को दूर करने के लिए एक मजबूत नेता के रूप में देखते हैं.

जवाहरलाल नेहरू की विरासत पर एक निबंध में, थरूर ने अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा भारत के पहले प्रधानमंत्री को संसद में दी गई भावनात्मक और काव्यात्मक श्रद्धांजलि का हवाला दिया.

'अलेफ' द्वारा प्रकाशित किताब में थरूर ने आधुनिक भारतीय इतिहास के कुछ सबसे महत्वपूर्ण आंकड़ों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति का भी जिक्र किया है.

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