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शारदीय नवरात्रि 2021 : जानिए, कैसे करें कलश स्थापना

गुरुवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है. नवरात्रि में कलश स्थापना का काफी महत्व है. ऐसे में कलश स्थापना को लेकर क्या तैयारी करनी चाहिए और इसके लिये क्या सामग्री चाहिए. आइये जानते हैं.

शारदीय नवरात्रि
शारदीय नवरात्रि
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Published : Oct 6, 2021, 12:36 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 6:17 AM IST

नई दिल्ली : नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है. घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. किसी कारणवश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं, तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है. हालांकि, इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है.

कलश स्थापना की सामग्री

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है, इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

पढ़ें :- Shardiya Navratri 2021 : जानिए पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

कैसे करें कलश स्थापना?

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए पात्र में मिट्टी डालकर जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. इसमें पानी भरकर कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर मौली से बांध दें, फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. इस कलश को मिट्टी के पात्र के ठीक बीचोंबीच रख दें, जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं.

नई दिल्ली : नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं. रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है. घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. किसी कारणवश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं, तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है. हालांकि, इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है.

कलश स्थापना की सामग्री

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है, इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.

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कैसे करें कलश स्थापना?

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए पात्र में मिट्टी डालकर जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. इसमें पानी भरकर कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर मौली से बांध दें, फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. इस कलश को मिट्टी के पात्र के ठीक बीचोंबीच रख दें, जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं.

Last Updated : Oct 7, 2021, 6:17 AM IST
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