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केरल गोल्ड स्कैम : राज्य सरकार को लगा झटका, ईडी के खिलाफ नहीं होगी जांच - ईडी केरल न्यायिक आयोग गोल्ड स्कैम

केरल हाईकोर्ट के एक फैसले से राज्य सरकार को झटका लगा है. राज्य सरकार ने ईडी के खिलाफ न्यायिक आयोग का गठन किया था. लेकिन हाईकोर्ट ने इसकी मंजूरी नहीं दी. गोल्ड स्कैम से जुड़ा हुआ पूरा मामला है. भाजपा ने सीएम पर भी आरोप लगाए हैं. क्या है पूरा मामला, पढ़ें.

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केरल हाईकोर्ट
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Published : Aug 11, 2021, 4:45 PM IST

कोच्चि : केरल हाईकोर्ट के फैसले से राज्य की पी विजयन सरकार को झटका लगा है. हाईकोर्ट ने उस अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसके तहत राज्य सरकार ने ईडी के खिलाफ न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था. आयोग का काम मुख्यमंत्री का नाम गोल्ड स्कैम में शामिल करने के परिणामों की समीक्षा करना था. सात मई को अधिसूचना जारी की गई थी. हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीके मोहनन को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था.

न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने कहा कि सिर्फ केंद्र सरकार को ऐसे मामलों में न्यायिक आयोग गठन करने का अधिकार है. ईडी ने अपनी दलील में कहा था कि अनुसूची एक में दर्ज विषयों पर सिर्फ केंद्र सरकार ही फैसला ले सकती है. इसलिए राज्य को कमीशन ऑफ एन्क्वॉयरी एक्ट के तहत ईडी के खिलाफ आयोग गठन करने का अधिकार नहीं है.

राज्य सरकार ने ईडी की याचिका पर ही सवाल खड़े कर दिए थे. सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार का एक विभाग किसी राज्य के खिलाफ याचिका नहीं दायर कर सकता है. विभाग कोई कॉरपोरेट बॉडी नहीं है जो यह कार्य कर सकता है. ईडी कोई कानूनी व्यक्ति नहीं है. हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को नकार दिया.

हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीके मोहनन को राज्य द्वारा कथित अपराध की जांच के लिए न्यायिक आयोग की अध्यक्षता करने के लिए नियुक्त किए जाने के बाद याचिका दायर की गई थी.

न्यायिक जांच का आदेश दिया गया था ताकि जांच की जा सके कि ईडी और सीमा शुल्क विभाग ने मुख्यमंत्री को झूठा फंसाने का कथित प्रयास किया था.

क्या है पूरा मामला

तिरुवनंतपुरम स्थित संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास में राजनयिक चैनलों के माध्यम से सोने की तस्करी से जुड़ा हुआ पूरा मामला है. पांच जुलाई, 2019 को तिरुवनंतपुरम में सीमा शुल्क द्वारा एक राजनयिक के सामान से सोना जब्त करने के बाद मामले का खुलासा हुआ. राजनयिकों की छत्रछाया में पूरा सिंडिकेट चल रहा था. यही वजह है कि विदेश मंत्रालय पूरे मामले में शामिल हुआ. उसकी अनुमति मिलने के बाद ही राजनयिकों के सामने बैगों को खोला गया था. सोना शौचालयों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से भरे बैग में रखा हुआ था.

आरोपी को जब यह पता चला कि उसके सामान की जांच होगी, तो उसने एयरपोर्ट पर हंगामा खड़ा कर दिया. उसने सीमा शुल्क अधिकारियों को धमकी भी दी. इसी दौरान ये भी खबर आई कि मुख्यमंत्री कायार्लय के एक शीर्ष अधिकारी ने कथित रूप से हवाई अड्डे पर यूएई के वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी की मदद करने की कोशिश की थी.

विपक्षी दलों, खासकर भाजपा, ने सीधे ही सीएम पर आरोप लगाए हैं.

ये भी पढ़ें : केरल सरकार ने HC से कहा, जिन्हें टीका नहीं लगा वे आवश्यक काम के लिए घर से जा सकते हैं बाहर

कोच्चि : केरल हाईकोर्ट के फैसले से राज्य की पी विजयन सरकार को झटका लगा है. हाईकोर्ट ने उस अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसके तहत राज्य सरकार ने ईडी के खिलाफ न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था. आयोग का काम मुख्यमंत्री का नाम गोल्ड स्कैम में शामिल करने के परिणामों की समीक्षा करना था. सात मई को अधिसूचना जारी की गई थी. हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीके मोहनन को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था.

न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने कहा कि सिर्फ केंद्र सरकार को ऐसे मामलों में न्यायिक आयोग गठन करने का अधिकार है. ईडी ने अपनी दलील में कहा था कि अनुसूची एक में दर्ज विषयों पर सिर्फ केंद्र सरकार ही फैसला ले सकती है. इसलिए राज्य को कमीशन ऑफ एन्क्वॉयरी एक्ट के तहत ईडी के खिलाफ आयोग गठन करने का अधिकार नहीं है.

राज्य सरकार ने ईडी की याचिका पर ही सवाल खड़े कर दिए थे. सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार का एक विभाग किसी राज्य के खिलाफ याचिका नहीं दायर कर सकता है. विभाग कोई कॉरपोरेट बॉडी नहीं है जो यह कार्य कर सकता है. ईडी कोई कानूनी व्यक्ति नहीं है. हाईकोर्ट ने उनकी दलीलों को नकार दिया.

हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीके मोहनन को राज्य द्वारा कथित अपराध की जांच के लिए न्यायिक आयोग की अध्यक्षता करने के लिए नियुक्त किए जाने के बाद याचिका दायर की गई थी.

न्यायिक जांच का आदेश दिया गया था ताकि जांच की जा सके कि ईडी और सीमा शुल्क विभाग ने मुख्यमंत्री को झूठा फंसाने का कथित प्रयास किया था.

क्या है पूरा मामला

तिरुवनंतपुरम स्थित संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास में राजनयिक चैनलों के माध्यम से सोने की तस्करी से जुड़ा हुआ पूरा मामला है. पांच जुलाई, 2019 को तिरुवनंतपुरम में सीमा शुल्क द्वारा एक राजनयिक के सामान से सोना जब्त करने के बाद मामले का खुलासा हुआ. राजनयिकों की छत्रछाया में पूरा सिंडिकेट चल रहा था. यही वजह है कि विदेश मंत्रालय पूरे मामले में शामिल हुआ. उसकी अनुमति मिलने के बाद ही राजनयिकों के सामने बैगों को खोला गया था. सोना शौचालयों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों से भरे बैग में रखा हुआ था.

आरोपी को जब यह पता चला कि उसके सामान की जांच होगी, तो उसने एयरपोर्ट पर हंगामा खड़ा कर दिया. उसने सीमा शुल्क अधिकारियों को धमकी भी दी. इसी दौरान ये भी खबर आई कि मुख्यमंत्री कायार्लय के एक शीर्ष अधिकारी ने कथित रूप से हवाई अड्डे पर यूएई के वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी की मदद करने की कोशिश की थी.

विपक्षी दलों, खासकर भाजपा, ने सीधे ही सीएम पर आरोप लगाए हैं.

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