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Farmers Protest : किसान आंदोलन स्थगित, 11 दिसंबर से घर लौटेंगे आंदोलनकारी - farmers called off their protest

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Published : Dec 9, 2021, 2:28 PM IST

Updated : Dec 9, 2021, 9:18 PM IST

21:17 December 09

खत्म नहीं, स्थगित किया गया आंदोलन : युद्धवीर सिंह

किसान नेता युद्धवीर सिंह से बातचीत.

किसान मोर्चा ने साफ किया कि आंदोलन को खत्म नहीं किया जा रहा है, इसे अभी स्थगित किया गया है. ईटीवी भारत से बातचीत में किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि हम एक बड़ी जीत लेकर जा रहे हैं, सरकार ने हमारी बातें मान ली हैं. उन्होंने बताया कि 11 दिसंबर से धरने खत्म कर किसान घरों के लिए लौटना (Farmers leader yudhveer singh on postponed protest) शुरू करेंगे.

उन्होंने बताया कि 11 दिसंबर से विजय के साथ दिल्ली बॉर्डर से किसानों का जाना शुरू हो जाएगा. किसान नेता युद्धवीर ने कहा कि अब बीजेपी और जेजेपी नेताओं का विरोध नहीं किया जाएगा. अब किसान बड़ी जीत के साथ जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले बॉर्डर पर बैठे किसान अपना सामान लेकर घरों की ओर रवाना होंगे, उसके बाद टोल टैक्स पर धरने खत्म होंगे.

बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने भी सामान समेटने की तैयारी शुरू कर दी है. सिंघु बॉर्डर से किसान अब लौट रहे हैं. किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट को उखाड़ना शुरू कर दिया है. किसान अपनी अस्थाई झोपड़ियों को उखाड़ कर ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर चुके हैं. किसानों ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया है, इसलिए अब वो वापस लौट रहे हैं.

15:09 December 09

संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा : राकेश टिकैत

राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा. संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है, ये बड़ी जीत है. 11 तारीख से बॉर्डर खाली होने शुरू हो जाएंगे. कल जो दुखद घटना हुई है, हम उस दुख की घड़ी में देश के साथ हैं. जो हमारे किसान शहीद हैं, जवान शहीद हुए है, हम उस दुख की घड़ी में देश के साथ हैं. जो हमारे किसान शहीद हैं, जवान शहीद हुए हैं और 11 तारीख से हम इस विजय से गांव से जाना शुरू करेंगे.

14:55 December 09

किसानों की बहुत बड़ी जीत : योगेंद्र यादव

farmers called off their protest
भारत सरकार की ओर से किसानों को चिट्ठी भेजकर आंदोलन खत्म करने की गुजारिश की थी.

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान 11 दिसंबर से धरना स्थल को खाली करना शुरू कर देंगे. वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि ये किसानों की बहुत बड़ी जीत है. किसानों का बदनामी का सामना करना पड़ा. इसके जैसा किसान आंदोलन नहीं हुआ. योगेंद्र यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को तीन काले कानून वापस लेने की घोषणा की, उसके बाद 21 तारीख को मोर्चा ने हमारे जो लंबित मामले थे, उसकी चिट्ठी लिखी. दो हफ्ते तक कोई जवाब नहीं आया. लेकिन परसों सरकार की ओर से पहला प्रस्ताव आया. हमने कुछ बदलाव मांगे, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया. हमने कुछ बदलाव मांगे, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया. उस पर चर्चा हुई. आज सुबह हमें कृषि सचिव संजय अग्रवाल की चिट्ठी मिली है.

14:26 December 09

आंदोलन वापस लेने का फैसला

  • We have decided to suspend our agitation. We will hold a review meeting on Jan 15. If Govt doesn't fulfill its promises, we could resume our agitation: Farmer leader Gurnam Singh Charuni following a meeting of Samyukta Kisan Morcha in Delhi pic.twitter.com/lWKMdtjeRI

    — ANI (@ANI) December 9, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सोनीपत : लंबी खींचतान के बाद गुरुवार को आखिरकार किसान आंदोलन समाप्त करने का किसान संगठनों ने ऐलान कर दिया. गुरुवार को सरकार की ओर से भेजा गया किसानों को औपचारिक पत्र में सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया है. सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले (Cases Against Farmers) वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है. साथ ही पराली जलाने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा. इसके अलावा आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा. पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा और नौकरी देने का ऐलान कर चुकी हैं. वहीं सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यह जीत किसानों के बलिदान से मिली है. आगे की रणनीति फिर तैयार करेंगे. 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर जाने की बात कही है. गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि 15 जनवरी को फिर बैठक करेंगे, अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हम आंदोलन शुरू करेंगे. मोर्चा का कहना है कि 11 दिसंबर से किसान अपने घरों को लौटने लगेंगे.

पढ़ेंः किसान आंदोलन का एक साल: कृषि कानूनों के बनने से वापस होने की पूरी कहानी

कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलन 9 अगस्त 2020 से शुरू हुआ. सितंबर 2020 में बिल के संसद की स्वीकृति के बाद आंदोलन गरमाया. नवंबर में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर जम गए. उस समय किसानों ने तीनों कृषि बिल को निरस्त करने, एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, पराली जलाने पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने, बिजली अध्यादेश 2020 को निरस्त करने, आंदोलन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को मुआवजा देने और किसान नेताओं पर से दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की थी. सरकार ने उनकी सारी मांगें मान लीं.

पढ़ेंः कृषि कानून वापस लेकर मोदी बैकफुट पर आए या यह विधानसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक है

21:17 December 09

खत्म नहीं, स्थगित किया गया आंदोलन : युद्धवीर सिंह

किसान नेता युद्धवीर सिंह से बातचीत.

किसान मोर्चा ने साफ किया कि आंदोलन को खत्म नहीं किया जा रहा है, इसे अभी स्थगित किया गया है. ईटीवी भारत से बातचीत में किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि हम एक बड़ी जीत लेकर जा रहे हैं, सरकार ने हमारी बातें मान ली हैं. उन्होंने बताया कि 11 दिसंबर से धरने खत्म कर किसान घरों के लिए लौटना (Farmers leader yudhveer singh on postponed protest) शुरू करेंगे.

उन्होंने बताया कि 11 दिसंबर से विजय के साथ दिल्ली बॉर्डर से किसानों का जाना शुरू हो जाएगा. किसान नेता युद्धवीर ने कहा कि अब बीजेपी और जेजेपी नेताओं का विरोध नहीं किया जाएगा. अब किसान बड़ी जीत के साथ जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले बॉर्डर पर बैठे किसान अपना सामान लेकर घरों की ओर रवाना होंगे, उसके बाद टोल टैक्स पर धरने खत्म होंगे.

बता दें कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने भी सामान समेटने की तैयारी शुरू कर दी है. सिंघु बॉर्डर से किसान अब लौट रहे हैं. किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट को उखाड़ना शुरू कर दिया है. किसान अपनी अस्थाई झोपड़ियों को उखाड़ कर ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर चुके हैं. किसानों ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया है, इसलिए अब वो वापस लौट रहे हैं.

15:09 December 09

संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा : राकेश टिकैत

राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा. संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है, ये बड़ी जीत है. 11 तारीख से बॉर्डर खाली होने शुरू हो जाएंगे. कल जो दुखद घटना हुई है, हम उस दुख की घड़ी में देश के साथ हैं. जो हमारे किसान शहीद हैं, जवान शहीद हुए है, हम उस दुख की घड़ी में देश के साथ हैं. जो हमारे किसान शहीद हैं, जवान शहीद हुए हैं और 11 तारीख से हम इस विजय से गांव से जाना शुरू करेंगे.

14:55 December 09

किसानों की बहुत बड़ी जीत : योगेंद्र यादव

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भारत सरकार की ओर से किसानों को चिट्ठी भेजकर आंदोलन खत्म करने की गुजारिश की थी.

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान 11 दिसंबर से धरना स्थल को खाली करना शुरू कर देंगे. वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि ये किसानों की बहुत बड़ी जीत है. किसानों का बदनामी का सामना करना पड़ा. इसके जैसा किसान आंदोलन नहीं हुआ. योगेंद्र यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को तीन काले कानून वापस लेने की घोषणा की, उसके बाद 21 तारीख को मोर्चा ने हमारे जो लंबित मामले थे, उसकी चिट्ठी लिखी. दो हफ्ते तक कोई जवाब नहीं आया. लेकिन परसों सरकार की ओर से पहला प्रस्ताव आया. हमने कुछ बदलाव मांगे, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया. हमने कुछ बदलाव मांगे, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया. उस पर चर्चा हुई. आज सुबह हमें कृषि सचिव संजय अग्रवाल की चिट्ठी मिली है.

14:26 December 09

आंदोलन वापस लेने का फैसला

  • We have decided to suspend our agitation. We will hold a review meeting on Jan 15. If Govt doesn't fulfill its promises, we could resume our agitation: Farmer leader Gurnam Singh Charuni following a meeting of Samyukta Kisan Morcha in Delhi pic.twitter.com/lWKMdtjeRI

    — ANI (@ANI) December 9, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सोनीपत : लंबी खींचतान के बाद गुरुवार को आखिरकार किसान आंदोलन समाप्त करने का किसान संगठनों ने ऐलान कर दिया. गुरुवार को सरकार की ओर से भेजा गया किसानों को औपचारिक पत्र में सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया है. सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले (Cases Against Farmers) वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है. साथ ही पराली जलाने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा. इसके अलावा आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा. पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा और नौकरी देने का ऐलान कर चुकी हैं. वहीं सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यह जीत किसानों के बलिदान से मिली है. आगे की रणनीति फिर तैयार करेंगे. 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर जाने की बात कही है. गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि 15 जनवरी को फिर बैठक करेंगे, अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हम आंदोलन शुरू करेंगे. मोर्चा का कहना है कि 11 दिसंबर से किसान अपने घरों को लौटने लगेंगे.

पढ़ेंः किसान आंदोलन का एक साल: कृषि कानूनों के बनने से वापस होने की पूरी कहानी

कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलन 9 अगस्त 2020 से शुरू हुआ. सितंबर 2020 में बिल के संसद की स्वीकृति के बाद आंदोलन गरमाया. नवंबर में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर जम गए. उस समय किसानों ने तीनों कृषि बिल को निरस्त करने, एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, पराली जलाने पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने, बिजली अध्यादेश 2020 को निरस्त करने, आंदोलन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को मुआवजा देने और किसान नेताओं पर से दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की थी. सरकार ने उनकी सारी मांगें मान लीं.

पढ़ेंः कृषि कानून वापस लेकर मोदी बैकफुट पर आए या यह विधानसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक है

Last Updated : Dec 9, 2021, 9:18 PM IST
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