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हिमाचल प्रदेश : स्कूल खुलने के 21 दिनों में 232 बच्चे कोरोना संक्रमित, आगे क्या होगा?

हिमाचल प्रदेश में स्कूल खुलने के बाद 27 सितंबर से अब तक सूबे में 232 स्कूली बच्चों को कोरोना संक्रमण हो चुका है. स्कूलों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना हो गया है, लेकिन अभी स्थिति पर नजर बनाए है. हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण 21 अक्टूबर को प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर महत्वपूर्ण बैठक करने वाला है. इस बैठक में स्कूलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर भी स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग की तरफ से राय रखे जाने की उम्मीद है.

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Published : Oct 18, 2021, 8:46 PM IST

शिमला : हिमाचल में 8वीं से 12वीं तक के स्कूल खुलने के बाद 27 सितंबर से अब तक सूबे में 232 स्कूली बच्चों को कोरोना संक्रमण हो चुका है. स्कूलों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना हो गया है. 27 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच स्कूलों में रैंडम सैंपलिंग की गई. इस दौरान हिमाचल में 232 स्कूली छात्र संक्रमित पाए गए, उसके बाद भी फिर भी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम नहीं हुई है.

प्रदेश के तीन जिलों को छोड़ शेष 9 जिलों में स्कूली बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट मे आए हैं. इसमें प्रदेश के सबसे बड़े कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा 83 स्कूली बच्चें कोरोना संक्रमित हुए हैं. हमीरपुर में 77, मंडी में 19, शिमला में 16, ऊना में 13, किन्नौर में 14, सेालन में 5, कुल्लू में 4 और लाहौल स्पीति में एक बच्चा कोरोना संक्रमित पाया गया है.

विभाग को सैंपलिंग के दौरान कुछ बच्चे ऐसे मिले जिनमें कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण थे. इन बच्चों की पॉजिटिव रिपोर्ट ने अभिभावकों और विभाग को चिंता में डाल दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने रैंडम आधार पर करीब 3000 सैंपल लिए थे.

फिलहाल, संक्रमित छात्रों की संख्या कम होने और किसी भी छात्र की हालत गंभीर न होने के चलते सरकार कक्षाओं को इसी प्रकार चलाए रखने के लिए तैयार है. अभी छोटे बच्चों को भी स्कूल बुलाने को लेकर मंथन चल रहा है. विभाग एक सप्ताह तक स्थिति पर नजर बनाए हुए है, अगर मामलों में कमी आती है तो 5वीं से 7वीं कक्षा तक के बच्चों को भी स्कूल बुलाया जा सकता है.

स्कूलों में कोरोना संक्रमण फैलने की बढ़ती रफ्तार पर निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा ने कहा कि विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. प्रतिदिन स्थिति की समीक्षा की जा रही है. शिक्षा विभाग की तरफ से निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जिनके अनुसार यदि किसी स्कूल में कोरोना पॉजिटिव मामला सामने आता है तो स्कूल को 48 घंटे के लिए बंद कर दिया जाए. उन्होंने स्कूल प्रधानाचार्य और मुख्य अध्यापकों को निर्देश दिए हैं कि एसओपी का सख्ती से पालन करें.

स्कूलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर बोलते हुए एनएचएम के निदेशक हेमराज बैरवा ने कहा कि विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है. अभी कुछ दिन और स्थिति का आंकलन किया जाएगा. करीब एक सप्ताह की स्थिति को ऑब्जर्व किया जाएगा. उसके बाद आगे का निर्णय लिया जा सकेगा.

छात्र अभिभावक मंच के प्रदेश संयोजक विजेंद्र मेहरा ने बताया कि अधिकांश परिजन बच्चों को स्कूल भेजना चाह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस वक्त सबसे अधिक जरूरी एसओपी को सही तरीके से लागू करने की है. बच्चों में फिजिकल डिस्टेंस बना रहे यह महत्वपूर्ण है. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में आधारभूत ढांचे की कमी है ऐसे में कक्षा में फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन करना काफी कठिन हो जाता है.

हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण 21 अक्टूबर को प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर महत्वपूर्ण बैठक करने वाला है. मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अनेक विभागों के आला अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है.

ऐसे में स्कूलों की स्थिति पर भी निर्णय लिया जा सकता है. अगर स्कूलों में कोरोना के और अधिक मामले सामने नहीं आए तो पांचवीं, छठी और सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भी स्कूल बुलाया जा सकता है, लेकिन अगर स्थिति और खराब होने का अंदेशा जाहिर होता है तो सरकार स्कूलों को लेकर कुछ बदलाव भी कर सकती है.

शिमला के निजी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा आकांक्षा के पिता रणदेव सिंह ने कहा कि स्कूल खुलना तो जरूरी है. बच्चे काफी दिनों से स्कूल नहीं गए हैं. उन्होंने चिंता भी जताई और कहा कि स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग अपनाना कठिन होगा. सिद्धार्थ के पिता अशोक कुमार ने कहा कि स्कूल बंद हुए काफी दिन हो गए हैं. उनका बेटा पांचवीं कक्षा में पढ़ता है. ऑनलाइन कक्षाएं भी अधिक सफल नहीं रही है. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए अभी भी स्कूल खोलने से पहले कुछ बातों का हल निकालना जरूरी है.

मंडी जिले के पवन शर्मा ने कहा कि उनका बेटा करण 9वीं कक्षा में पढ़ता है. वह बेटे को स्कूल भेजते भी हैं. क्योंकि प्रदेश सरकार ने स्कूल खोल दिए हैं. कक्षा में 60 से अधिक बच्चे हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग किस प्रकार संभव होगी यह सोचने वाला प्रश्न है. इसके अलावा हम ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं. बच्चे काफी दूरी तय करते स्कूल जाते हैं. गांवों में बसें भी निश्चित समय पर चलती हैं, लेकिन फिर भी अब बेटे को स्कूल भेजना ही पड़ेगा. पढ़ाई का काफी नुकसान हो गया है.

यह भी पढ़ें-लॉकडाउन के बाद स्कूल वापसी : बच्चों में बढ़ रही 'व्यग्रता', अभिभावक व शिक्षक ऐसे संभालें

शिमला निवासी अजय कुमार ने कहा कि उनकी बेटी 7वीं कक्षा में शहर के निजी स्कूल पढ़ती है. उसकी कक्षा में 64 बच्चे हैं. अगर अब स्कूल खुलते हैं और सभी बच्चों को एक साथ स्कूल बुलाया जाता है तो सोशल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है. फिर भी कुछ दिन बेटी को स्कूल भेजने का सोच रहे हैं. अगर, कोरोना के मामले नहीं आए तो बच्ची को स्कूल भेजते रहेंगे, लेकिन अगर कोरोना संक्रमण स्कूलों में बढ़ता है या फिर उनके स्कूल में कोरोना संक्रमण के मामले आते हैं तो फिर सोचना पड़ेगा.

शिमला : हिमाचल में 8वीं से 12वीं तक के स्कूल खुलने के बाद 27 सितंबर से अब तक सूबे में 232 स्कूली बच्चों को कोरोना संक्रमण हो चुका है. स्कूलों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना हो गया है. 27 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच स्कूलों में रैंडम सैंपलिंग की गई. इस दौरान हिमाचल में 232 स्कूली छात्र संक्रमित पाए गए, उसके बाद भी फिर भी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम नहीं हुई है.

प्रदेश के तीन जिलों को छोड़ शेष 9 जिलों में स्कूली बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट मे आए हैं. इसमें प्रदेश के सबसे बड़े कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा 83 स्कूली बच्चें कोरोना संक्रमित हुए हैं. हमीरपुर में 77, मंडी में 19, शिमला में 16, ऊना में 13, किन्नौर में 14, सेालन में 5, कुल्लू में 4 और लाहौल स्पीति में एक बच्चा कोरोना संक्रमित पाया गया है.

विभाग को सैंपलिंग के दौरान कुछ बच्चे ऐसे मिले जिनमें कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण थे. इन बच्चों की पॉजिटिव रिपोर्ट ने अभिभावकों और विभाग को चिंता में डाल दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने रैंडम आधार पर करीब 3000 सैंपल लिए थे.

फिलहाल, संक्रमित छात्रों की संख्या कम होने और किसी भी छात्र की हालत गंभीर न होने के चलते सरकार कक्षाओं को इसी प्रकार चलाए रखने के लिए तैयार है. अभी छोटे बच्चों को भी स्कूल बुलाने को लेकर मंथन चल रहा है. विभाग एक सप्ताह तक स्थिति पर नजर बनाए हुए है, अगर मामलों में कमी आती है तो 5वीं से 7वीं कक्षा तक के बच्चों को भी स्कूल बुलाया जा सकता है.

स्कूलों में कोरोना संक्रमण फैलने की बढ़ती रफ्तार पर निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा ने कहा कि विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. प्रतिदिन स्थिति की समीक्षा की जा रही है. शिक्षा विभाग की तरफ से निर्देश जारी कर दिए गए हैं. जिनके अनुसार यदि किसी स्कूल में कोरोना पॉजिटिव मामला सामने आता है तो स्कूल को 48 घंटे के लिए बंद कर दिया जाए. उन्होंने स्कूल प्रधानाचार्य और मुख्य अध्यापकों को निर्देश दिए हैं कि एसओपी का सख्ती से पालन करें.

स्कूलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर बोलते हुए एनएचएम के निदेशक हेमराज बैरवा ने कहा कि विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है. अभी कुछ दिन और स्थिति का आंकलन किया जाएगा. करीब एक सप्ताह की स्थिति को ऑब्जर्व किया जाएगा. उसके बाद आगे का निर्णय लिया जा सकेगा.

छात्र अभिभावक मंच के प्रदेश संयोजक विजेंद्र मेहरा ने बताया कि अधिकांश परिजन बच्चों को स्कूल भेजना चाह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस वक्त सबसे अधिक जरूरी एसओपी को सही तरीके से लागू करने की है. बच्चों में फिजिकल डिस्टेंस बना रहे यह महत्वपूर्ण है. प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में आधारभूत ढांचे की कमी है ऐसे में कक्षा में फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन करना काफी कठिन हो जाता है.

हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण 21 अक्टूबर को प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर महत्वपूर्ण बैठक करने वाला है. मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अनेक विभागों के आला अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है.

ऐसे में स्कूलों की स्थिति पर भी निर्णय लिया जा सकता है. अगर स्कूलों में कोरोना के और अधिक मामले सामने नहीं आए तो पांचवीं, छठी और सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भी स्कूल बुलाया जा सकता है, लेकिन अगर स्थिति और खराब होने का अंदेशा जाहिर होता है तो सरकार स्कूलों को लेकर कुछ बदलाव भी कर सकती है.

शिमला के निजी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा आकांक्षा के पिता रणदेव सिंह ने कहा कि स्कूल खुलना तो जरूरी है. बच्चे काफी दिनों से स्कूल नहीं गए हैं. उन्होंने चिंता भी जताई और कहा कि स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग अपनाना कठिन होगा. सिद्धार्थ के पिता अशोक कुमार ने कहा कि स्कूल बंद हुए काफी दिन हो गए हैं. उनका बेटा पांचवीं कक्षा में पढ़ता है. ऑनलाइन कक्षाएं भी अधिक सफल नहीं रही है. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए अभी भी स्कूल खोलने से पहले कुछ बातों का हल निकालना जरूरी है.

मंडी जिले के पवन शर्मा ने कहा कि उनका बेटा करण 9वीं कक्षा में पढ़ता है. वह बेटे को स्कूल भेजते भी हैं. क्योंकि प्रदेश सरकार ने स्कूल खोल दिए हैं. कक्षा में 60 से अधिक बच्चे हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग किस प्रकार संभव होगी यह सोचने वाला प्रश्न है. इसके अलावा हम ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं. बच्चे काफी दूरी तय करते स्कूल जाते हैं. गांवों में बसें भी निश्चित समय पर चलती हैं, लेकिन फिर भी अब बेटे को स्कूल भेजना ही पड़ेगा. पढ़ाई का काफी नुकसान हो गया है.

यह भी पढ़ें-लॉकडाउन के बाद स्कूल वापसी : बच्चों में बढ़ रही 'व्यग्रता', अभिभावक व शिक्षक ऐसे संभालें

शिमला निवासी अजय कुमार ने कहा कि उनकी बेटी 7वीं कक्षा में शहर के निजी स्कूल पढ़ती है. उसकी कक्षा में 64 बच्चे हैं. अगर अब स्कूल खुलते हैं और सभी बच्चों को एक साथ स्कूल बुलाया जाता है तो सोशल डिस्टेंसिंग संभव नहीं है. फिर भी कुछ दिन बेटी को स्कूल भेजने का सोच रहे हैं. अगर, कोरोना के मामले नहीं आए तो बच्ची को स्कूल भेजते रहेंगे, लेकिन अगर कोरोना संक्रमण स्कूलों में बढ़ता है या फिर उनके स्कूल में कोरोना संक्रमण के मामले आते हैं तो फिर सोचना पड़ेगा.

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