अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि और सर्वधर्म प्रार्थना सभा.
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि - अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे नेता
09:23 August 16
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09:05 August 16
08:20 August 16
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08:15 August 16
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भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 'सदैव अटल' स्मारक में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
08:15 August 16
गृह मंत्री और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 'सदैव अटल' स्मारक में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
08:01 August 16
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रथम पुण्यतिथि पर 'सदैव अटल' स्मारक में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
07:46 August 16
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 'सदैव अटल' स्मारक में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
07:39 August 16
अटल बिहारी वाजपेयी लाइव अपडेट
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर भाजपा नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे. केंद्रीय मंत्रीगण और भाजपा के कई शीर्ष नेता पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक 'सदैव अटल' पहुंच रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगी भाजपा के दिग्गज दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे.
वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को निधन हो गया था. वह लंबे समय से बीमार थे. उनकी उम्र 93 वर्ष थी.
राजनीति के परमहंस, भारतरत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय जननेता के रूप में सदैव अमर रहेंगे. वर्ष 2004 के आम चुनाव में हार के बाद सत्ता की राजनीति से संन्यास ले लेने वाले अटलजी ने अपने लोक जीवन में जो मिसाल कायम की, वह दुर्लभ है.
सक्रिय राजनीति के दौर में अटलजी का कभी कोई व्यक्तिगत विरोधी नहीं रहा. विपरीत राजनीतिक विचारधारा के लोग भी उनका सदा सच्चे हृदय से सम्मान करते रहे. एक जमाने में राजनीतिक अछूत सी समझी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी को देश के बहुत सारे दलों के बीच सिरमौर बनाने का श्रेय उन्हीं के खाते में दर्ज है.
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू उनकी प्रतिभा को बहुत पहले की जान गए थे. अटलजी की उदारवादी सोच ही उनकी आत्मिक शक्ति रही. वे भारत की आशाओं के प्रतीक बने. भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल अटलजी सबको साथ लेकर विकास पथ पर देश को आगे बढ़ाने के पक्षधर थे. धुर राजनीतिक विरोधियों से उनकी अंतरंगता, सौजन्यता, सम्मान भावना ने अटलजी को राजनीति के संत के तौर पर प्रतिष्ठापित किया.
'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..!' अटलजी ने न कभी चुनौतियों से हार मानी, न कभी किसी से रार ठानी. उदारमना अटलजी की तेजस्विता ने राजनीति के जिस युग का शंखनाद किया, उसकी गूंज सारी दुनिया में सुनाई दी. अटलजी का नाता देश से रहा, किसी भी विवाद को उन्होंने अपने निकट आजीवन नहीं फटकने दिया. अटल जी के लिए अपना-पराया कोई नहीं.
भारत ने 11 मई और 13 मई, 1998 को एक नया इतिहास लिखा था, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिशानिर्देशन में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए थे. यह पूरी तरह से एक गोपनीय कार्य था, जिसके बारे में कुछ लोगों को ही जानकारी थी.
हालांकि उस समय डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जो उस समय वाजपेयी के वैज्ञानिक सलाहकार थे, ने हॉटलाइन के जरिए एक संदेश भेजा और कहा 'बुद्धा स्माइल्स अगेन'. जिसके बाद वहां सभी खुशी से उछल पड़े. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने तत्काल वैज्ञानिकों को फोन किया और उन्हें उनकी सफलता के लिए बधाई दी.
इस परीक्षण ने पश्चिमी देश को आश्चर्यचकित कर दिया था. परीक्षण के बाद भारत ने एक नई पहचान हासिल की. हालांकि अमेरिका ने भारत पर उस वक्त आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था. निर्भीक वाजपेयी ने दो दिन बाद फिर से परमाणु परीक्षण किया.
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अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि और सर्वधर्म प्रार्थना सभा.
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भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 'सदैव अटल' स्मारक में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
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गृह मंत्री और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 'सदैव अटल' स्मारक में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रथम पुण्यतिथि पर 'सदैव अटल' स्मारक में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 'सदैव अटल' स्मारक में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
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अटल बिहारी वाजपेयी लाइव अपडेट
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर भाजपा नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे. केंद्रीय मंत्रीगण और भाजपा के कई शीर्ष नेता पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक 'सदैव अटल' पहुंच रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगी भाजपा के दिग्गज दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे.
वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को निधन हो गया था. वह लंबे समय से बीमार थे. उनकी उम्र 93 वर्ष थी.
राजनीति के परमहंस, भारतरत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय जननेता के रूप में सदैव अमर रहेंगे. वर्ष 2004 के आम चुनाव में हार के बाद सत्ता की राजनीति से संन्यास ले लेने वाले अटलजी ने अपने लोक जीवन में जो मिसाल कायम की, वह दुर्लभ है.
सक्रिय राजनीति के दौर में अटलजी का कभी कोई व्यक्तिगत विरोधी नहीं रहा. विपरीत राजनीतिक विचारधारा के लोग भी उनका सदा सच्चे हृदय से सम्मान करते रहे. एक जमाने में राजनीतिक अछूत सी समझी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी को देश के बहुत सारे दलों के बीच सिरमौर बनाने का श्रेय उन्हीं के खाते में दर्ज है.
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू उनकी प्रतिभा को बहुत पहले की जान गए थे. अटलजी की उदारवादी सोच ही उनकी आत्मिक शक्ति रही. वे भारत की आशाओं के प्रतीक बने. भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल अटलजी सबको साथ लेकर विकास पथ पर देश को आगे बढ़ाने के पक्षधर थे. धुर राजनीतिक विरोधियों से उनकी अंतरंगता, सौजन्यता, सम्मान भावना ने अटलजी को राजनीति के संत के तौर पर प्रतिष्ठापित किया.
'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..!' अटलजी ने न कभी चुनौतियों से हार मानी, न कभी किसी से रार ठानी. उदारमना अटलजी की तेजस्विता ने राजनीति के जिस युग का शंखनाद किया, उसकी गूंज सारी दुनिया में सुनाई दी. अटलजी का नाता देश से रहा, किसी भी विवाद को उन्होंने अपने निकट आजीवन नहीं फटकने दिया. अटल जी के लिए अपना-पराया कोई नहीं.
भारत ने 11 मई और 13 मई, 1998 को एक नया इतिहास लिखा था, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिशानिर्देशन में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए थे. यह पूरी तरह से एक गोपनीय कार्य था, जिसके बारे में कुछ लोगों को ही जानकारी थी.
हालांकि उस समय डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जो उस समय वाजपेयी के वैज्ञानिक सलाहकार थे, ने हॉटलाइन के जरिए एक संदेश भेजा और कहा 'बुद्धा स्माइल्स अगेन'. जिसके बाद वहां सभी खुशी से उछल पड़े. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने तत्काल वैज्ञानिकों को फोन किया और उन्हें उनकी सफलता के लिए बधाई दी.
इस परीक्षण ने पश्चिमी देश को आश्चर्यचकित कर दिया था. परीक्षण के बाद भारत ने एक नई पहचान हासिल की. हालांकि अमेरिका ने भारत पर उस वक्त आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था. निर्भीक वाजपेयी ने दो दिन बाद फिर से परमाणु परीक्षण किया.