यमुनानगर: 'जल है तो कल है' इस नारे को साकार करने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है, लेकिन जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आएगी, तब तक धरातल पर काम करना मुश्किल लगता है. पानी बचाने की इस मुहिम को लेकर यमुनानगर के दिलीप छतवाल ने अपने घर से ही अनैखी पहल की है और अपनी कॉलोनी के निवासियों को ऐसा करने के लिए प्रेरणा भी दे रही हैं.
पानी बचाने की मुहिम
यमुनानगर के जल प्रहरी दिलीप छतवाल जो पानी की बेकार बोतलों को पौधों की सिंचाई के लिए प्रयोग कर करते हैं. इस मुहिम से जल संरक्षण होता है और घर से में लगे पौधे भी नहीं सूखते हैं और घर में हरियाली बनी रहती है और वायु प्रदूषण का असर भी नहीं होता है.
रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक
जल संरक्षण को लेकर दिलीप यमुनानगर के चीनी मिल में भी कार्य कर चुके हैं और इस समय छतवाल रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक हैं और सोसाइटी को को हरा-भरा बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं. छतवाल पेड़ लगाने के शौकीन हैं.
पानी बचाने का देसी जुगाड़
उन्होंने पानी बचाने के लिए देसी जुगाड़ से समाधान निकाला है. घर पर खाली पड़ी प्लास्टिक की बोतलों में पानी भरा और ढक्कन में तीन छेद कर गमले में उल्टा गाढ़ दिया. पानी धीरे-धीरे पौधों को मिलता रहता है, जिससे पौधे सूखते नहीं हैं. उन्होंने ऐसे और भी कई छोटे-छोटे प्रयास किए, जिससे पानी को बहने से रोका जा सकता है.
पानी की बचत
इन पौधों में एसी-फ्रीज और घर में लगे वॉटर फिल्टर से निकलने वाले अतिरिक्त पानी का प्रयोग पौधों की सिंचाई में किया जाता है. उनके घर में 80 गमले हैं, जिनमें करीब 1680 लीटर पानी का प्रयोग होना चाहिए लेकिन वो इस जुगाड़ से ये काम मात्र 160 लीटर पानी में किया जाता है.
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साथ ही कार धोने के लिए वो कभी पानी का प्रयोग नहीं करते हैं. एक कार को धोने में करीब 40 लीटर पानी का प्रयोग किया जाता है. उनकी सोसाइटी में करीब 200 कार हैं. इन कारों में की धुलाई में प्रयोग होने वाले करीब 8 हजार लीटर पानी को बचाते हैं.
इस पानी को बचाने के लिए वो कार के ऊपर रात में जमी ओस की बूंदों से कार की सफाई करते हैं या फिर गीला कपड़ा करके कार की सफाई करते हैं. इस काम में सोसाइटी के लोग भी उनका पूरा सहयोग दे रहे हैं.