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यमुनानगर के 'जल संरक्षक' दिलीप, कबाड़ से जुगाड़ कर बचाते हैं पानी

यमुनानगर के जल संरक्षक दिलीप छतवाल पानी बचाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं. घर से निकलने वाले अतिरिक्त पानी का प्रयोग वो पेड़-पौधों में करते हैं. हरियाली को बनाए रखने के लिए प्लास्टिक की कबाड़ की बोतलों का प्रयोग करते हैं.

water conservation in yamunanagar
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Published : Nov 9, 2019, 12:33 PM IST

यमुनानगर: 'जल है तो कल है' इस नारे को साकार करने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है, लेकिन जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आएगी, तब तक धरातल पर काम करना मुश्किल लगता है. पानी बचाने की इस मुहिम को लेकर यमुनानगर के दिलीप छतवाल ने अपने घर से ही अनैखी पहल की है और अपनी कॉलोनी के निवासियों को ऐसा करने के लिए प्रेरणा भी दे रही हैं.

पानी बचाने की मुहिम
यमुनानगर के जल प्रहरी दिलीप छतवाल जो पानी की बेकार बोतलों को पौधों की सिंचाई के लिए प्रयोग कर करते हैं. इस मुहिम से जल संरक्षण होता है और घर से में लगे पौधे भी नहीं सूखते हैं और घर में हरियाली बनी रहती है और वायु प्रदूषण का असर भी नहीं होता है.

यमुनानगर के 'जल संरक्षक' दिलीप, देखें वीडियो

रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक
जल संरक्षण को लेकर दिलीप यमुनानगर के चीनी मिल में भी कार्य कर चुके हैं और इस समय छतवाल रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक हैं और सोसाइटी को को हरा-भरा बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं. छतवाल पेड़ लगाने के शौकीन हैं.

पानी बचाने का देसी जुगाड़
उन्होंने पानी बचाने के लिए देसी जुगाड़ से समाधान निकाला है. घर पर खाली पड़ी प्लास्टिक की बोतलों में पानी भरा और ढक्कन में तीन छेद कर गमले में उल्टा गाढ़ दिया. पानी धीरे-धीरे पौधों को मिलता रहता है, जिससे पौधे सूखते नहीं हैं. उन्होंने ऐसे और भी कई छोटे-छोटे प्रयास किए, जिससे पानी को बहने से रोका जा सकता है.

पानी की बचत
इन पौधों में एसी-फ्रीज और घर में लगे वॉटर फिल्टर से निकलने वाले अतिरिक्त पानी का प्रयोग पौधों की सिंचाई में किया जाता है. उनके घर में 80 गमले हैं, जिनमें करीब 1680 लीटर पानी का प्रयोग होना चाहिए लेकिन वो इस जुगाड़ से ये काम मात्र 160 लीटर पानी में किया जाता है.

ये भी पढ़ें:-अयोध्या भूमि विवाद : फैसले में सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु

साथ ही कार धोने के लिए वो कभी पानी का प्रयोग नहीं करते हैं. एक कार को धोने में करीब 40 लीटर पानी का प्रयोग किया जाता है. उनकी सोसाइटी में करीब 200 कार हैं. इन कारों में की धुलाई में प्रयोग होने वाले करीब 8 हजार लीटर पानी को बचाते हैं.

इस पानी को बचाने के लिए वो कार के ऊपर रात में जमी ओस की बूंदों से कार की सफाई करते हैं या फिर गीला कपड़ा करके कार की सफाई करते हैं. इस काम में सोसाइटी के लोग भी उनका पूरा सहयोग दे रहे हैं.

यमुनानगर: 'जल है तो कल है' इस नारे को साकार करने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है, लेकिन जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आएगी, तब तक धरातल पर काम करना मुश्किल लगता है. पानी बचाने की इस मुहिम को लेकर यमुनानगर के दिलीप छतवाल ने अपने घर से ही अनैखी पहल की है और अपनी कॉलोनी के निवासियों को ऐसा करने के लिए प्रेरणा भी दे रही हैं.

पानी बचाने की मुहिम
यमुनानगर के जल प्रहरी दिलीप छतवाल जो पानी की बेकार बोतलों को पौधों की सिंचाई के लिए प्रयोग कर करते हैं. इस मुहिम से जल संरक्षण होता है और घर से में लगे पौधे भी नहीं सूखते हैं और घर में हरियाली बनी रहती है और वायु प्रदूषण का असर भी नहीं होता है.

यमुनानगर के 'जल संरक्षक' दिलीप, देखें वीडियो

रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक
जल संरक्षण को लेकर दिलीप यमुनानगर के चीनी मिल में भी कार्य कर चुके हैं और इस समय छतवाल रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक हैं और सोसाइटी को को हरा-भरा बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं. छतवाल पेड़ लगाने के शौकीन हैं.

पानी बचाने का देसी जुगाड़
उन्होंने पानी बचाने के लिए देसी जुगाड़ से समाधान निकाला है. घर पर खाली पड़ी प्लास्टिक की बोतलों में पानी भरा और ढक्कन में तीन छेद कर गमले में उल्टा गाढ़ दिया. पानी धीरे-धीरे पौधों को मिलता रहता है, जिससे पौधे सूखते नहीं हैं. उन्होंने ऐसे और भी कई छोटे-छोटे प्रयास किए, जिससे पानी को बहने से रोका जा सकता है.

पानी की बचत
इन पौधों में एसी-फ्रीज और घर में लगे वॉटर फिल्टर से निकलने वाले अतिरिक्त पानी का प्रयोग पौधों की सिंचाई में किया जाता है. उनके घर में 80 गमले हैं, जिनमें करीब 1680 लीटर पानी का प्रयोग होना चाहिए लेकिन वो इस जुगाड़ से ये काम मात्र 160 लीटर पानी में किया जाता है.

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साथ ही कार धोने के लिए वो कभी पानी का प्रयोग नहीं करते हैं. एक कार को धोने में करीब 40 लीटर पानी का प्रयोग किया जाता है. उनकी सोसाइटी में करीब 200 कार हैं. इन कारों में की धुलाई में प्रयोग होने वाले करीब 8 हजार लीटर पानी को बचाते हैं.

इस पानी को बचाने के लिए वो कार के ऊपर रात में जमी ओस की बूंदों से कार की सफाई करते हैं या फिर गीला कपड़ा करके कार की सफाई करते हैं. इस काम में सोसाइटी के लोग भी उनका पूरा सहयोग दे रहे हैं.

Intro:एंकर जल है तो कल है इस नारे को लेकर सरकार काफी प्रयास कर रही है लेकिन जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आएगी तब तक धरातल पर इस पर काम करना मुश्किल लगता है। पानी बचाने की इस मुहिम को
लिकर यमुनानगर के दिलीप शतवाल ने अपने घर से ही इसकी शुरुआत की है और इसके साथ ही अपने कॉलोनी वासियों को भी ऐसा करने की प्रेरणा भी दे रही हैं।Body:वीओ हम आपको मिलवाते हैं ऐसे व्यक्ति से जो दिनरात जल संरक्षण बारे सोचता और काम करता हैं। मिलिए, ऐसे जल प्रहरी से जिन्होंने पानी की बेकार बोतलों को पौधों की सिंचाई के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इस मुहिम से जल संरक्षण तो होता ही है, घर से बाहर रहने पर भी पौधे नहीं सूखते। यमुनानगर में ही जल बचाने का संदेश नहीं दे रहे, बल्कि विदेशों में इस विषय पर ऑनलाइन परामर्श दे रहे हैं।

वीओ जल संरक्षण को लेकर दिलप यमुना नगर की शुगर मिल में भी उत्कृष्ट कार्य कर चुके हैं। ये सरस्वती शुगर मिल से रिटायर्ड है।
छतवाल अंसल टाउन की रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक हैं।
छतवाल को पेड़ पौधे लगाने का शौक है। बेटा बाहर रहता है। उसके पास जाना पड़ता है। पीछे पानी के बिना पौधे सूख जाते थे। उन्होंने इसका देसी जुगाड़ से समाधान निकाला। घर पर खाली पड़ी प्लास्टिक की बोतलों में पानी भरा और ढक्कन में तीन छेद कर गमले में उल्टा कर लगा दिया। गुलमेक से पानी कम व ज्यादा भी किया जा सकता है। उन्होंने ऐसे और भी कई छोटे-छोटे प्रयास किए जिससे पानी थे को बहने से रोका जा सकता है घर पर लगे आरोपों का पानी इकट्ठा कर पोधो में डालते हैं और एसी से निकलने वाला पानी भी ऐसे ही प्रयोग करते हैं। उनक कहना है कि पाइप से सीधे सिंचाई करने में एक गमले में तीन लीटर पानी लग जाता है। गर्मी के मौसम में हर रोज पानी देना भी पड़ता है। देसी जुगाड़ के माध्यम से काफी पानी की बचत होती है। दो लीटर पानी की बोतल एक सप्ताह तक पानी की कमी नहीं आने देती। उनके घर पर 80 गमले हैं। 1680 लीटर पानी की जगह पानी 160 लीटर पानी में काम चल जाता है। स्कीम सफल होने पर एसोसिएशन के सदस्य भी इससे जोड़ लिए। छतवाल वाटर कंजर्वेशन पर सेमीनार भी करते हैं।

उन्होंने शौचालय में भी कम पानी यूज हो इसकी व्यवस्था भी की हुई है उन्होंने कहा कि कार धोने में महीने में 40 से 50 लीटर पानी लग जाता है । उन्होंने कहा कि इसमें पानी की बर्बादी को रोकने के लिए ओंस की बूंदों से गीली गाड़ी पर कपड़ा मार कर उसे साफ कर लिया जाना चाहिए ।
उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों से वेलफेयर सभी सदस्यों ने कार को धोना बंद कर दिया। वे केवल गीले कपड़े से कार की सफाई करते हैं। । कुछ लोग आरओ से निकले वेस्ट पानी से ही फर्स धोते हैं।

One to one Rajni soni

Conclusion:
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