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रादौर में उठी मांग, शिक्षिका दिवस के रूप में मनाई जाए सावित्री बाई फुले की जयंती - savitri bai phule yamunanagar

यमुनानगर के रादौर में शुक्रवार को देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती को धूमधाम से मनाया गया. इस कार्यक्रम में सावित्री बाई फुले की जयंती को शिक्षिका दिवस के रूप में मनाए जाने के लिए एसडीएम को पीएम के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया.

savitri bai phule jayanti celebrated in radaur
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Published : Jan 4, 2020, 8:41 AM IST

यमुनानगर: गुरुवार को देशभर में प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई. इसी कड़ी में रादौर में भी सर्व समाज द्वारा सावित्री बाई फुले की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जहां लोगों ने फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया.

पीएम के नाम सौंपा गया ज्ञापन
वहीं सामाजिक बुराइयों और नशे के खिलाफ अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया. इस अवसर पीएम के नाम एक ज्ञापन भी एसडीएम रादौर को सौंपा गया, जिसमें सावित्री बाई फुले की जयंती को देशभर में शिक्षिका दिवस के रूप में मनाए जाने के साथ ही सरकारी शिक्षण संस्थाओं में फूले के चित्र लगाए जाने की मांग की गई.

'शिक्षिका दिवस के रूप में मनाई जाए सावित्री बाई फुले की जयंती'

ये भी पढ़ें- अभय चौटाला ने वृद्धा पेंशन में 250 रुपये की बढ़ोतरी को बताया ऊंट के मुंह में जीरा

इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में धनपत सैनी ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने ऐसे समय मे महिलाओं को शिक्षित करने का काम किया. जब महिलाओं को घर से बाहर निकलने का भी अधिकार नही था. उन्होंने कहा कि उस वक्त सावित्री बाई फुले को महिलाओं को शिक्षित करने के फैसले को लेकर काफी विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प के कारण वो अपने इस संघर्ष में सफल रहीं.

उन्होंने कहा कि आज उनकी बदौलत ही महिलाएं शिक्षित होकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, इसलिए सरकार से ज्ञापन के माध्यम से उनके सम्मान में ये मांग की गई है.

यमुनानगर: गुरुवार को देशभर में प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई. इसी कड़ी में रादौर में भी सर्व समाज द्वारा सावित्री बाई फुले की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जहां लोगों ने फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया.

पीएम के नाम सौंपा गया ज्ञापन
वहीं सामाजिक बुराइयों और नशे के खिलाफ अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया. इस अवसर पीएम के नाम एक ज्ञापन भी एसडीएम रादौर को सौंपा गया, जिसमें सावित्री बाई फुले की जयंती को देशभर में शिक्षिका दिवस के रूप में मनाए जाने के साथ ही सरकारी शिक्षण संस्थाओं में फूले के चित्र लगाए जाने की मांग की गई.

'शिक्षिका दिवस के रूप में मनाई जाए सावित्री बाई फुले की जयंती'

ये भी पढ़ें- अभय चौटाला ने वृद्धा पेंशन में 250 रुपये की बढ़ोतरी को बताया ऊंट के मुंह में जीरा

इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में धनपत सैनी ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने ऐसे समय मे महिलाओं को शिक्षित करने का काम किया. जब महिलाओं को घर से बाहर निकलने का भी अधिकार नही था. उन्होंने कहा कि उस वक्त सावित्री बाई फुले को महिलाओं को शिक्षित करने के फैसले को लेकर काफी विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प के कारण वो अपने इस संघर्ष में सफल रहीं.

उन्होंने कहा कि आज उनकी बदौलत ही महिलाएं शिक्षित होकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, इसलिए सरकार से ज्ञापन के माध्यम से उनके सम्मान में ये मांग की गई है.

Intro:धूमधाम से मनाई देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती, कार्यक्रम में सावित्रीबाई फुले की जयंती को शिक्षिका दिवस के रूप में मनाने व सरकारी शिक्षण संस्थाओं में फुले के चित्र लगाने की मांग को लेकर पीएम के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन।Body: देशभर में आज प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इसी कड़ी में रादौर में भी सर्व समाज द्वारा सावित्री बाई फुले की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जहां लोगो ने फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया, वही समाजिक बुराइयों व नशे के खिलाफ अभियान चलाने कभी निर्णय लिया गया। इस अवसर पीएम के नाम एक ज्ञापन भी एसडीएम रादौर को सौंपा गया, जिसमे सावित्री बाई फुले की जयंती को देशभर में शिक्षिका दिवस के रूप में मनाए जाने के साथ ही सरकारी शिक्षण संस्थाओं में फुले के चित्र लगाए जाने की मांग की गई।Conclusion:इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में धनपत सैनी ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने ऐसे समय मे महिलाओं को शिक्षित करने का काम किया जब महिलाओं को घर से बाहर निकलने का भी अधिकार नही था। उन्होंने कहा कि उस वक्त सावित्री बाई फुले को महिलाओं को शिक्षित करने के फैसले को लेकर काफी विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प के कारण वे अपने इस संघर्ष में सफल रही। आज उनकी बदौलत ही महिलाएं शिक्षित होकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। इसलिए सरकार से ज्ञापन के माध्यम से उनके सम्मान में ये मांग की गई है।

बाईट - धनपत सैनी, स्थानीय निवासी
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