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पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार यमुनानगर से जुड़े, पुलिस ने किया मां-बेटी को गिरफ्तार - यमुनानगर से जुड़े छात्रवृत्ति घोटाले के तार

छात्रवृति घोटाले के तार यमुनानगर से जुड़ रहे हैं. यहां एक महिला और उसकी बेटी इस गेम में मास्टर माइंड बताई जा रही है. फिलहाल दोनों को गिरफ्तार कर विजिलेंस को जांच सौंपी गई है. विस्तार से पढ़ें खबर

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पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार यमुनानगर से जुड़े
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Published : Jan 10, 2020, 8:55 PM IST

यमुनानगर: प्रदेशभर में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार अब यमुनानगर से भी जुड़ गए हैं. पंचकूला विजिलेंस की टीम ने यमुनानगर में 41 एससीबीसी वर्ग की लड़कियों को सिलाई सिखा कर यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर छात्रवृत्ति के नाम पर 25 लाख के घोटाले में मोहाली की रहने वाली मां-बेटी को गिरफ्तार किया है.

विजिलेंस की टीम इन दोनों को गिरफ्तार कर 2 दिन की रिमांड पर अपने साथ ले गई है. टीम इन घोटालों में इस्तेमाल हुए कंप्यूटर, कैश और अन्य सामान को कवर करेगी और इन घोटालों में शामिल अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार करेगी.

पंचकूला विजिलेंस की टीम ने यहां छापेमारी की और चोपड़ा गार्डन निवासी गुरदेव कौर और उनकी बेटी कृतिका को गिरफ्तार किया है. दोनों को सीजीएम अनुदीप कौर की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उनका 2 दिन का रिमांड मिला है. जिला सहायक न्यायवादी अरुण दुग्गल ने बताया कि डीएसपी विजिलेंस की टीम दोनों आरोपियों को यहां पर लेकर आई थी.

पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार यमुनानगर से जुड़े, देखिए रिपोर्ट

मोहाली की रहने वाली है महिला
रिमांड के दौरान उन आरोपियों से कंप्यूटर गाजियाबाद, रोहतक से भी कुछ रिकवरी करनी है. उन्होंने बताया कि यह मां-बेटी एक एनजीओ चलाती हैं और मूल रूप से पंजाब के मोहाली की रहने वाली हैं. इन्होंने राजस्थान के चुरू की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से सांठगांठ कर 41 छात्रों को एडमिशन दिखाएं और उनके 25 लाख रुपए हड़प लिए.

जांच में यह भी सामने आया है कि उन्होंने जिन छात्रों के आधार नंबर और दस्तावेज दिए थे. उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है, मां-बेटी ने इन छात्रों के दस्तावेज वहां जमा कराएं, लेकिन मोबाइल नंबर अपना दिया इसके जरिए ही यह घोटाला हुआ, अब दोनों मां-बेटी को विजिलेंस की टीम अपने साथ लेकर गई है. इसमें कुछ और लोगों के बीच नाम सामने आ रहे हैं.

सरकारी छात्रवृति निकलवाकर करते थे घपला
आपको बता दें, केंद्र सरकार ने 1981 में छात्रवृत्ति योजना शुरू की थी 2015 तक इस योजना के लिए आवेदन ऑफलाइन किए जाते थे. इस दौरान ही साल 2013-14 में एससी-बीसी वर्ग के छात्रों का दाखिला और स्कॉलरशिप सरकार से हासिल कर घपला किया गया. सन 2015 में राज्य सरकार को शिकायत की गई थी 2016 में जब छात्रवृत्ति योजना ऑनलाइन की गई तो जांच के दौरान पाया गया.

आधार नंबर से हुई छेड़छाड़
इस योजना के तहत पात्रों के आधार नंबर से छेड़छाड़ कर छात्रवृत्ति ट्रांसफर कराई गई. छात्रों से आधार कार्ड 12वीं का प्रमाण पत्र और बैंक के डाक्यूमेंट्स के जरिए यूनिवर्सिटी में मैं फर्जी दाखिले दिखाकर बैंक में खाता खुलवा दिया गया. एससी वर्ग के इन छात्रों की स्कॉलरशिप सीधा बैंक में आने लगी और बाद में शपथ पत्र बैंक को देकर कहा गया कि स्कॉलरशिप का यह पैसा यूनिवर्सिटी के खाते में जमा कर दिया जाए.

ये भी पढ़ें- रंजीत चौटाला को नहीं पसंद आया पूर्व जेल मंत्री का प्लान, ओपन एयर जेल कॉन्सेप्ट रुका

विजिलेंस को दी गई जांच
इस शिकायत पर सरकार ने इसकी जांच विजिलेंस को दे दी इस तरह से इस घोटाले में यूनिवर्सिटी के भी कई कर्मचारी शामिल मिले. सरकार की तरफ से आमजन की भलाई के लिए कई तरह की स्कीमें चलाई जाती हैं लेकिन ज्यादातर वह भ्रष्टाचार की भेंट ही चढ़ जाती हैं.

यमुनानगर: प्रदेशभर में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार अब यमुनानगर से भी जुड़ गए हैं. पंचकूला विजिलेंस की टीम ने यमुनानगर में 41 एससीबीसी वर्ग की लड़कियों को सिलाई सिखा कर यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर छात्रवृत्ति के नाम पर 25 लाख के घोटाले में मोहाली की रहने वाली मां-बेटी को गिरफ्तार किया है.

विजिलेंस की टीम इन दोनों को गिरफ्तार कर 2 दिन की रिमांड पर अपने साथ ले गई है. टीम इन घोटालों में इस्तेमाल हुए कंप्यूटर, कैश और अन्य सामान को कवर करेगी और इन घोटालों में शामिल अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार करेगी.

पंचकूला विजिलेंस की टीम ने यहां छापेमारी की और चोपड़ा गार्डन निवासी गुरदेव कौर और उनकी बेटी कृतिका को गिरफ्तार किया है. दोनों को सीजीएम अनुदीप कौर की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उनका 2 दिन का रिमांड मिला है. जिला सहायक न्यायवादी अरुण दुग्गल ने बताया कि डीएसपी विजिलेंस की टीम दोनों आरोपियों को यहां पर लेकर आई थी.

पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार यमुनानगर से जुड़े, देखिए रिपोर्ट

मोहाली की रहने वाली है महिला
रिमांड के दौरान उन आरोपियों से कंप्यूटर गाजियाबाद, रोहतक से भी कुछ रिकवरी करनी है. उन्होंने बताया कि यह मां-बेटी एक एनजीओ चलाती हैं और मूल रूप से पंजाब के मोहाली की रहने वाली हैं. इन्होंने राजस्थान के चुरू की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से सांठगांठ कर 41 छात्रों को एडमिशन दिखाएं और उनके 25 लाख रुपए हड़प लिए.

जांच में यह भी सामने आया है कि उन्होंने जिन छात्रों के आधार नंबर और दस्तावेज दिए थे. उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है, मां-बेटी ने इन छात्रों के दस्तावेज वहां जमा कराएं, लेकिन मोबाइल नंबर अपना दिया इसके जरिए ही यह घोटाला हुआ, अब दोनों मां-बेटी को विजिलेंस की टीम अपने साथ लेकर गई है. इसमें कुछ और लोगों के बीच नाम सामने आ रहे हैं.

सरकारी छात्रवृति निकलवाकर करते थे घपला
आपको बता दें, केंद्र सरकार ने 1981 में छात्रवृत्ति योजना शुरू की थी 2015 तक इस योजना के लिए आवेदन ऑफलाइन किए जाते थे. इस दौरान ही साल 2013-14 में एससी-बीसी वर्ग के छात्रों का दाखिला और स्कॉलरशिप सरकार से हासिल कर घपला किया गया. सन 2015 में राज्य सरकार को शिकायत की गई थी 2016 में जब छात्रवृत्ति योजना ऑनलाइन की गई तो जांच के दौरान पाया गया.

आधार नंबर से हुई छेड़छाड़
इस योजना के तहत पात्रों के आधार नंबर से छेड़छाड़ कर छात्रवृत्ति ट्रांसफर कराई गई. छात्रों से आधार कार्ड 12वीं का प्रमाण पत्र और बैंक के डाक्यूमेंट्स के जरिए यूनिवर्सिटी में मैं फर्जी दाखिले दिखाकर बैंक में खाता खुलवा दिया गया. एससी वर्ग के इन छात्रों की स्कॉलरशिप सीधा बैंक में आने लगी और बाद में शपथ पत्र बैंक को देकर कहा गया कि स्कॉलरशिप का यह पैसा यूनिवर्सिटी के खाते में जमा कर दिया जाए.

ये भी पढ़ें- रंजीत चौटाला को नहीं पसंद आया पूर्व जेल मंत्री का प्लान, ओपन एयर जेल कॉन्सेप्ट रुका

विजिलेंस को दी गई जांच
इस शिकायत पर सरकार ने इसकी जांच विजिलेंस को दे दी इस तरह से इस घोटाले में यूनिवर्सिटी के भी कई कर्मचारी शामिल मिले. सरकार की तरफ से आमजन की भलाई के लिए कई तरह की स्कीमें चलाई जाती हैं लेकिन ज्यादातर वह भ्रष्टाचार की भेंट ही चढ़ जाती हैं.

Intro:एंकर। प्रदेशभर में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार अब यमुनानगर से भी जुड़ गए हैं। पंचकूला विजिलेंस की टीम ने आज यमुनानगर में 41 एससीबीसी वर्ग की लड़कियों को सिलाई सिखा कर यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर छात्रवृत्ति के नाम पर 25 लाख के घोटाले में मोहाली की रहने वाली मां बेटी को गिरफ्तार किया है। विजिलेंस की टीम इन दोनों को गिरफ्तार कर 2 दिन की रिमांड पर अपने साथ ले गई है । टीम इन घोटालों में इस्तेमाल हुए कंप्यूटर कैश और अन्य सामान को कवर करेगी और इन घोटालों में शामिल अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार करेगी।


Body:वीओ पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के तार यमुनानगर से भी जुड़ गए हैं आज पंचकूला विजिलेंस की टीम ने यहां छापेमारी की और चोपड़ा गार्डन निवासी गुरदेव कौर व उनकी बेटी कृतिका को गिरफ्तार किया है दोनों को सीजीएम अनुदीप कौर की कोर्ट में पेश किया गया जहां से उनका 2 दिन का रिमांड मिला है जिला सहायक न्याय वादी अरुण दुग्गल ने बताया कि डीएसपी विजिलेंस की टीम दोनों आरोपियों को यहां पर लेकर आई थी रिमांड के दौरान उन आरोपियों से कंप्यूटर गाजियाबाद रोहतक से भी कुछ रिकवरी करनी है उन्होंने बताया कि यह मां बेटी एक एनजीओ चलाती हैं और मूल रूप से पंजाब के मोहाली की रहने वाली हैं इन्होंने राजस्थान के चुरू की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से सांठगांठ कर 41 छात्रों को एडमिशन दिखाएं और उनके 2500000 रुपए हड़प लिए जांच में यह भी सामने आया है कि उन्होंने जिन छात्रों के आधार नंबर वे दस्तावेज दिए थे उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है मां बेटी ने इन छात्रों के दस्तावेज वहां जमा कराएं लेकिन मोबाइल नंबर अपना दिया इसके जरिए ही यह घोटाला हुआ अब दोनों मां बेटी को विजिलेंस की टीम अपने साथ लेकर गई है इसमें कुछ और लोगों के बीच नाम सामने आ रहे हैं।

बाइट अरुण दुग्गल (सहायक न्याय वादी जिला यमुनानगर

वीओ आपको बता दें , दरअसल केंद्र सरकार ने 1981 में छात्रवृत्ति योजना शुरू की थी 2015 तक इस योजना के लिए आवेदन ऑफलाइन किए जाते थे इस दौरान ही वर्ष 2013 14 में एससी बीसी वर्ग के छात्रों का दाखिला और स्कॉलरशिप सरकार से हासिल कर घपला किया गया सन 2015 में राज्य सरकार को शिकायत की गई थी 2016 में जब छात्रवृत्ति योजना ऑनलाइन की गई तो जांच के दौरान पाया गया कि इस योजना के तहत पात्रों के आधार नंबर से छेड़छाड़ कर छात्रवृत्ति ट्रांसफर कराई गई छात्रों से आधार कार्ड 12वीं का प्रमाण पत्र और बैंक के डाक्यूमेंट्स के जरिए यूनिवर्सिटी में मैं फर्जी दाखिले दिखाकर बैंक में खाता खुलवा दिया गया एससी वर्ग के इन छात्रों की स्कॉलरशिप सीधा बैंक में आने लगी और बाद में शपथ पत्र बैंक को देकर कहा गया कि स्कॉलरशिप का यह पैसा यूनिवर्सिटी के खाते में जमा कर दिया जाए शिकायत पर सरकार ने इसकी जांच विजिलेंस को दे दी इस तरह से इस घोटाले में यूनिवर्सिटी के भी कई कर्मचारी शामिल मिले।


Conclusion:सरकार की तरफ से आमजन की भलाई के लिए कई तरह की स्कीमें चलाई जाती हैं लेकिन ज्यादातर वह भ्रष्टाचार की भेंट ही चढ़ जाती हैं।
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