रादौर: खनन माफियों के निजी गुप्तचर ऐसे हैं कि बड़ी-बड़ी इंटेलिजेंस एजेंसी हैरान हो जाएं. अधिकारी अपने कार्यालय से निकलते भी नहीं है कि उनके किस क्षेत्र में जाना है और कहा कार्रवाई होने वाली है इसकी सूचना खनन कारोबारियों तक पहुंच जाती है और अधिकारियों के खाली हाथ रह जाते हैं और ये सारा नेटवर्क चलता है व्हॉट्स ऐप के जरिए.
अधिकारियों की हर स्ट्रैटजी होती है ग्रुप में
यमुनानगर जिले में होने वाली अवैध माइनिंग और ओवर लोड ट्रकों के लिए व्हॉट्स ऐप के जरिए सूचना दी जा रही है. खनन से जुडे हुए लोगों ने इन दिनों ऐसे व्यक्तियों से संपर्क साध रखा है जो दिन रात इनके लिए काम करते हैं. ये लोग अधिकारियेां और कर्मचारियों की रेकी करते हैं. उनके पल-पल की सूचना ग्रुपों में शेयर करना यमुनानगर में ये मोबइल ग्रुप चलाने वाले लोग जिसे भी अपने संपर्क में जोड़ते हैं.
कई खनन माफिया हैं इन ग्रुप्स में
कुछ ग्रुप हमारे हाथ भी लगे जिसमें अधिकारियों की रैकी करके उसके बारे में बताया गया था. मामला चौकाने वाला है, लेकिन यह मामला इन दिनों खनन विभाग, आरटीए विभाग और पुलिस के लिए सिर दर्द बन चुका है. खनन का काम करने वाले कारोबारियों ने इन ग्रुपों को चलाने वाले लोगों से बराबर संपर्क साधे हुए है ताकि कोई नुकसान होने से पहले ही उन तक सारी सूचनाए मिल जाए.
हर रेड की जानकारी ग्रुप में होती है अपडेट
यहां तक की रात को भी जब अधिकारी किसी काम को अंजाम देने के लिए यमुना नदी तक पहुचते हैं तो उनके पहुंचने से पहले है जेसीबी के शोर एक दम से शांत हो जाता है. मशीनों को बंद कर दिया जाता है और अधिकारियों के हाथ अगर कुछ लगता है तो वह लकीर जिसे वह पीट भी नहीं सकते.
मेंबर बनने के लिए लगते हैं 2500 रुपये महीना
हम लोगों ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि ग्रुप को चलाने वाले ग्रुप में ऐड होने के लिए 2500 रुपये एडवासं में लेते हैं. जिस व्यक्ति का नंबर ग्रुप में होता है उसकी हर जिम्मेदारी ग्रुप लीडर की होती है. ऐसे में ये लोग बेखौफ दिन रात इस गौरखधंधे को अंजाम देने में लगे हुए है, लेकिन अधिकारी इस मामले में चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते, हालांकि यमुनानगर के आरटीए विभाग ने कुछ समय पहले ही ऐसे कुछ लोगो को पकडा भी था.
यह धंधा यमुनानगर के खिजराबाद से लेकर रादौर सीमा तक धडल्ले से चल रहा है, लेकिन बेबस अधिकारी अब कुछ कर तो नहीं पाते लेकिन एक दूसरे पर पल्ला जरूर झाड रहे हैं. एसडीएम रादौर ने इस मामले में दूसरे पर पल्ला झाड़ दिया, लेकिन जनाब यह भूल गए कि जठलाना और गुमथला में यह ग्रुप एडमिन सैकडों लोगों को ग्रुप में जोड कर अधिकारियों की दिन रात रैकी करते है.
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अधिकारी चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते जबकि इन इलाकों की सड़कें बताती है कि कितने धडल्ले से अवैध माइनिंग और ओवरलोड का इस इलाके में बोल बाला है. फिलहाल अधिकारी मीडिया की तरफ से दी गई जानकारी तो बताते है लेकिन इन अधिकारियों की तरफ से क्या कार्रवाई होने वाली है यह साफ-साफ नहीं बताते हैं. फिलहाल एसडीएम अब कार्रवाई की बात तो कह रहे हैं, लेकिन देखना यह होगा कि क्या अधिकरी इन पर नकेल कसने में कामयाब हो पाते है या नहीं.