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फैक्ट्री में कैसे बनाई जाती है स्वादिष्ट मिठाई, जानिए पूरी प्रोसेस

अगर आप मिठाइयों की शौकीन हैं और ऊपर से किसान भी हैं तो ये खबर आपके बहुत काम की है. पेठे की फैक्ट्री का ये आईडिया आपकी जुबां के स्वाद के साथ आपकी जेब को भी गर्म रख सकता है.

know how to make petha in the factory in yamunanagar
जानिए किस तरह से बनाया जाता है फैक्ट्री में पेठा
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Published : Oct 24, 2020, 8:47 PM IST

यमुनानगर: मिठाइयों में पेठे का नाम आते ही आगरा का नाम आता है. क्योंकि आप देश के किसी भी कोने में जाएं तो आपको अक्सर ट्रेनों में आगरा का पेठा बिकता हुआ मिला जाएगा, लेकिन सिर्फ आगरा ही नहीं हरियाणा के यमुनानगर में भी पेठा बनाया जा रहा है. पेठा इकलौती ऐसी मिठाई है, जिसमें ना तो किसी प्रकार के घी का प्रयोग होता है और ना ही किसी केमिकल का.

जानें कैसे बनता है पेठा?

यमुनानगर में पेठा बनाने की कई फैक्ट्रियां हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के सैकड़ों कारीगर काम करते हैं. किसान पेठे के फल की खेती की करता हैं. खेतों से कच्चा पेठा फैक्ट्रियों में आता है. जिसके बाद पेठे की छिलाई होती है. छिलाई होने के बाद पेठे के छोट-छोटे टुकड़े कर उसकी गुदाई की जाती है, जिसके बाद पेठे को पानी में उबाला जाता है. उबालने के बाद पेठे को चीनी की चासनी में डालकर मीठा किया जाता है. इस प्रकार बनकर तैयार होता है पेठा.

जानिए किस तरह से बनाया जाता है फैक्ट्री में पेठा

बता दें कि करीब 2 क्विंटल कच्चे पेठे में करीब 1 क्विंटल 20 किलो पेठा तैयार होता है. बता दें कि ये उद्योग भी कोरोना से अछूता नहीं बचा. इस एक फैक्ट्री में 15-17 मजदूर काम करते हैं. इस समय बाजार में पेठे का रेट करीब 80 रुपये प्रति किलोग्राम है, लेकिन इन फैक्ट्री मालिकों को थोक में इसका मात्र 50 से 55 रुपये प्रतिकिलो का ही भाव मिलता है.

ये भी पढ़ें:-भिवानी में बोले रामदास अठावले, 'राहुल गांधी के बयानों से बीजेपी को होता है फायदा'

यमुनानगर: मिठाइयों में पेठे का नाम आते ही आगरा का नाम आता है. क्योंकि आप देश के किसी भी कोने में जाएं तो आपको अक्सर ट्रेनों में आगरा का पेठा बिकता हुआ मिला जाएगा, लेकिन सिर्फ आगरा ही नहीं हरियाणा के यमुनानगर में भी पेठा बनाया जा रहा है. पेठा इकलौती ऐसी मिठाई है, जिसमें ना तो किसी प्रकार के घी का प्रयोग होता है और ना ही किसी केमिकल का.

जानें कैसे बनता है पेठा?

यमुनानगर में पेठा बनाने की कई फैक्ट्रियां हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के सैकड़ों कारीगर काम करते हैं. किसान पेठे के फल की खेती की करता हैं. खेतों से कच्चा पेठा फैक्ट्रियों में आता है. जिसके बाद पेठे की छिलाई होती है. छिलाई होने के बाद पेठे के छोट-छोटे टुकड़े कर उसकी गुदाई की जाती है, जिसके बाद पेठे को पानी में उबाला जाता है. उबालने के बाद पेठे को चीनी की चासनी में डालकर मीठा किया जाता है. इस प्रकार बनकर तैयार होता है पेठा.

जानिए किस तरह से बनाया जाता है फैक्ट्री में पेठा

बता दें कि करीब 2 क्विंटल कच्चे पेठे में करीब 1 क्विंटल 20 किलो पेठा तैयार होता है. बता दें कि ये उद्योग भी कोरोना से अछूता नहीं बचा. इस एक फैक्ट्री में 15-17 मजदूर काम करते हैं. इस समय बाजार में पेठे का रेट करीब 80 रुपये प्रति किलोग्राम है, लेकिन इन फैक्ट्री मालिकों को थोक में इसका मात्र 50 से 55 रुपये प्रतिकिलो का ही भाव मिलता है.

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