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ऐतिहासिक कपाल मोचन मेला 2019 का शुभारंभ, जानिए क्या है मान्यता ?

ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले का शुभारंभ यमुनानगर के उपायुक्त मुकुल कुमार ने किया. उन्होंने कहा कि मेले को 4 हिस्सों में बांटा गया है. उन्होंने बताया कि इस बार मेले में 7 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.

एतिहासिक कपाल मोचन मेला 2019 का शुभारंभ
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Published : Nov 8, 2019, 11:25 PM IST

यमुनानगर: हरियाणा के ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले का शुभारंभ हो चुका है. इस तीर्थ स्थल को हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय की आस्था का संगम माना जाता है. मेले के पहले दिन साधु-संतों ने शाही स्नान किया. वहीं 11 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा की रात मुख्य स्नान किया जाएगा.

कपाल मोचन मेला 2019 का शुभारंभ

ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले का शुभारंभ यमुनानगर के उपायुक्त मुकुल कुमार ने किया. उन्होंने कहा कि मेले को 4 हिस्सों में बांटा गया है. उन्होंने बताया कि इस बार मेले में 7 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है और मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं दी जाएगी.

कपाल मोचन मेले का शुभारंभ

अगले 5 दिनों तक चलेगा कपाल मोचन मेला

अगले 5 दिनों तक चलने वाले इस मेले की सुरक्षा का जिम्मा 2 हजार से ज्यादा पुलिस कर्मियों की कंधे पर है. वहीं इस बार में मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के आने-जाने के लिए युमनानगर, अंबाला और कुरुक्षेत्र डिपो की बसें चलाई गई हैं. इसके अलावा श्रद्धालुओं को सुविधा के लिए अधिकारियों और जिला प्रशासनिक कर्मचारियों की भी मेले में ड्यूटी लगाई गई है.

ये भी पढ़िए: डर के मारे पिता ने 3 साल तक नहीं दिलाई थी बाइक, आज वही बेटा बाइक रेसिंग में गाड़ रहा झंडे

कपाल मोचन मेले की मान्यता

यमुनानगर से लगभग 28 किलोमीटर दूर धार्मिक स्थल कपाल मोचन में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए श्रद्धालु खासकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्ताराखंड और उत्तर प्रदेश के श्रद्घालु यहां के पवित्र सरोवर में स्नान करने आते हैं.

मान्यता के मुताबिक कपालमोचन तीर्थ पाप से मुक्ति दिलाने वाला धाम है. ऐसा माना जाता है कि जो इसके पवित्र सरोवर में स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यमुनानगर: हरियाणा के ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले का शुभारंभ हो चुका है. इस तीर्थ स्थल को हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय की आस्था का संगम माना जाता है. मेले के पहले दिन साधु-संतों ने शाही स्नान किया. वहीं 11 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा की रात मुख्य स्नान किया जाएगा.

कपाल मोचन मेला 2019 का शुभारंभ

ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले का शुभारंभ यमुनानगर के उपायुक्त मुकुल कुमार ने किया. उन्होंने कहा कि मेले को 4 हिस्सों में बांटा गया है. उन्होंने बताया कि इस बार मेले में 7 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है और मेले में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं दी जाएगी.

कपाल मोचन मेले का शुभारंभ

अगले 5 दिनों तक चलेगा कपाल मोचन मेला

अगले 5 दिनों तक चलने वाले इस मेले की सुरक्षा का जिम्मा 2 हजार से ज्यादा पुलिस कर्मियों की कंधे पर है. वहीं इस बार में मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के आने-जाने के लिए युमनानगर, अंबाला और कुरुक्षेत्र डिपो की बसें चलाई गई हैं. इसके अलावा श्रद्धालुओं को सुविधा के लिए अधिकारियों और जिला प्रशासनिक कर्मचारियों की भी मेले में ड्यूटी लगाई गई है.

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कपाल मोचन मेले की मान्यता

यमुनानगर से लगभग 28 किलोमीटर दूर धार्मिक स्थल कपाल मोचन में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए श्रद्धालु खासकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्ताराखंड और उत्तर प्रदेश के श्रद्घालु यहां के पवित्र सरोवर में स्नान करने आते हैं.

मान्यता के मुताबिक कपालमोचन तीर्थ पाप से मुक्ति दिलाने वाला धाम है. ऐसा माना जाता है कि जो इसके पवित्र सरोवर में स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Intro:एंकर जिला यमुना नगर में ऐतिहासिक एवं पवित्र श्री कपाल मोचन , श्री बद्री नारायण ,श्री माता मंत्रणा देवी आदि बद्री मेला का शुभरंम यमुना नगर के उपायुक्त मुकुल कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि मेले को 4 भागो में बंटा गया है इस बार मेले में 7 लाख श्रदालुओ के आने की उम्मीद है प्रत्येक शदालु को अच्छे ढंग से प्रसाशनिक सेवाएं मिले यह हमारा लक्ष्य है। मेले में सुरक्षा की दृष्टि से 2 हजार से अधिक सुरक्षा कर्मी तैनात किये गए है और यह मेला 5 दिन चलेगा। इस के आलावा मेले को धार्मिकता से ओतप्रोत करते हुए धार्मिकता के नियमो को लागू किया गया है। श्रदालुओ के आने जाने के लिए जिला यमुना नगर डिपो की बसे एवं अम्बाला और कुरुक्षेत्र की बसे भी चलाई गयी है। श्रदालुओ को पूर्ण सुविधा मिले उस के लिए अधिकारियो और जिला प्रसाशनिक कर्मियों की ड्यूटी लगाई गयी है। यह मेला हिन्दू ,सिख ,मुस्लिम एवं ईसाई का एकता का प्रतीक है।

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