यमुनानगर: हरियाणा विधानसभा स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने किलोमीटर स्कीम घोटाले में सरकार का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि किलोमीटर स्कीम प्रदेश के हित के लिए थी ताकि सरकार का कम खर्चा हो. हरियाणा विधानसभा स्पीकर कंवरपाल ने कहा है कि किलोमीटर स्कीम प्रदेश के हित के लिए थी. सरकार इसे इसलिए लेकर आई थी कि प्रदेश सरकार का खर्च कम हो. वहीं उन्होंने कहा कि स्कीम में कुछ नियमिताओं सामने आई हैं जिसकी जांच जारी है. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
दुष्यंत चौटाला ने सीएम पर लगाया घोटाले का आरोप
बता दें कि जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने सरकार को इस मुद्दे पर घेरा है. उन्होंने कहा कि किलोमीटर स्कीम घोटाले में सीएम मनोहर लाल खट्टर और परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने साथ में मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया है. उन्होंने कहा कि इन दोनों ने हरियाणा परिवहन को समाप्त करने का प्रयास किया है. उन्होंने किलोमीटर स्कीम घोटाले में सीबीआई जांच की मांग की है.
कांग्रेस भी बोल चुकी है हमला
वहीं कांग्रेस नेता करण दलाल भी किलोमीटर स्कीम घोटाले पर बीजेपी को घेर चुके हैं. पलवल से कांग्रेस के विधायक करण दलाल ने कहा कि वो इस मामले को आसानी से दबाने नहीं देंगे. ये मामला उनकी शिकायत पर शुरू हुआ है इसलिए वो सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले को लेकर जाएंगे और मुख्यमंत्री को जेल पहुंचाकर ही दम लेंगे.
क्या है किलोमीटर स्कीम घोटाला ?
बता दें कि सबसे निचले रेट पर विभाग को टेंडर जारी करना था. ऑपरेटरों ने पहले ही रेट ज्यादा भर दिए. जांच में सामने आया कि हाउसिंग बोर्ड और पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों के कंप्यूटर से भी आवेदन किए गए थे. वहीं विभाग की वेबसाइट में आवेदन का समय भी कुछ समय तक ही खुलता था. ताकि दूसरा कोई बसों के लिए आवेदन न कर सके. परिवहन विभाग की ओर से 510 बसों के टेंडर निकाला गया. जिसका रेट 37 से 41 रुपए प्रति किलोमीटर रहा. वहीं जब बाद में 190 बसों के टेंडर हुए तो 21-22 रुपये प्रति किलोमीटर रेट सामने आए. ऐसे में शक गहराया और जांच विजिलेंस को सौंपी गई और मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा.
रद्द किए गए 510 बसों के टेंडर
विजिलेंस की जांच रिपोर्ट के आधार पर 510 बसों के टेंडर रद्द कर दिए गए हैं. खुद सीएम खट्टर ने माना कि किलोमीटर स्कीम में घोटाला हुआ है. जानकारी के मुताबिक अगर टेंडर रद्द नहीं किया जाता तो सरकार को सालाना करीब 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होता.