यमुनानगर: गणतंत्र दिवस के मौके पर हरियाणा की चार हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया (Om Prakash Gandhi Padma Shri Award) है. इन चार हस्तियों में यमुनानगर के प्रोफेसर ओम प्रकाश गांधी भी हैं. उन्हें नारी शिक्षा में बेहतर योगदान के लिए यह अवॉर्ड दिया गया. गणतंत्र दिवस के मौके पर पद्मश्री पुरस्कार का सम्मान पाने वाले ओमप्रकाश गांधी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान ओमप्रकाश गांधी ने बताया कि उन्होंने गांव में नारी शिक्षा की शुरूआत इसलिए की क्योंकि गांव की माताएं-बहनें अनपढ़ थी. जबकि शहर की महिलाएं पढ़ी लिखी थी. यहीं से उनके मन में ख्याल आया कि क्यों ना महिलाओं की शिक्षा को गांव में भी शुरू किया जाए. इसके बाद साल 1984 में गांव की महिलाओं के बीच शिक्षा की जागरूकता को फैलाने के लिए एक कन्या विद्या प्रचार सभा (Kanya Vidya Prachar Sabha) का गठन किया.
साल 1985 में देवधर गांव की 12 एकड़ भूमि पर कन्या गुरुकुल की स्थापना की. ये संस्था अब डिग्री कॉलेज का रूप ले चुकी है. अपनी सादगी और स्पष्टवादीता से प्रभावित करने वाले ओम प्रकाश गांधी ने गांव-गांव घूमकर संस्था के लिए करोड़ों रुपए की राशि इकट्ठा कर गुरुकुल संस्थान की स्थापना की थी. प्रो. गांधी के प्रयासों से यह संस्था दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है.
प्रो. गांधी ने बताया कि इस संस्था की स्थापना के दौरान पंजाब के संत श्री बलवंत सिंह और प्रदेश के तत्कालीन वित्त मंत्री भी मौजूद थे. तब से अब इस संस्था को निरंतर उंचाइयों पर ले जाने के प्रयास में जुटा हुआ हूं. ओम प्रकाश गांधी ने बताया कि इस संस्था को आगे बढ़ाने के लिए अब तक वे कई राज्यों में घूम चुके हैं. इनमें राजस्थान, पंजाब, दिल्ली हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल, मध्यप्रदेश के राज्य शामिल हैं.
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ओम प्रकाश गांधी हरियाणा के यमुनानगर जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्म यमुनानगर के माधोबास गांव में एक फरवरी 1942 को हुआ था. इनके पिता का नाम रंजीत सिंह और मां का नाम कमला देवी है. ओमप्रकाश गांधी के पिता किसान थे. ओम प्रकाश पोसवाल (जिन्हें अब ओम प्रकाश गांधी के नाम से जाना जाता है) ने रादौर के मुकंद लाल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी की है. इसके बाद मेरठ विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश) से भौतिकी में एमएससी पास की.
विद्यार्थी काल में महर्षि दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व का ऐसा गहरा प्रभाव हुआ कि एक साधारण युवक ने असाधारण संकल्प लेकर समाज को दिशा देने का प्रयास शुरू किया. एमएससी भौतिकी करने के बाद ये सहारनपुर उत्तर प्रदेश के एक महाविद्यालय में प्रवक्ता पद पर प्रतिष्ठित हुए. ब्रह्मचारी का जीवन जीने वाले ओम प्रकाश गांधी ने कृषि महाविद्यालय में 20 साल तक सेवा देने के बाद अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था, और समाज के कल्याण के कामों को करने में जुट गए थे.
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