यमुनानगर: कोरोना के चलते शिक्षा का सेशन 2020-21 काफी प्रभावित रहा. इस दौरान बच्चों को स्कूल में ना बुलाकर घर पर ही ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया गया. वहीं कामकाज ठप होने के चलते सरकार ने अभिभावकों को राहत देने के लिए वार्षिक फीस माफ करने के लिए कहा था और हाई कोर्ट ने भी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश दिए थे. जिसके बाद प्राइवेट स्कूल सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे और वहां से कुछ नियमों के मुताबिक उन्हें बच्चों से फीस लेने का अधिकार दिया गया. अब इसे लेकर पूरे प्रदेश में अभिभावकों और प्राइवेट स्कूलों में घमासान चल रहा है. इस मामले पर ईटीवी भारत ने हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर से बातचीत की है.
शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि फीस के मुद्दे को लेकर प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट का सहारा लिया था, जिस पर कोर्ट ने उन्हें परमिशन दे दी थी कि वो अपने सभी खर्च ले सकते हैं, लेकिन अभिभावकों को राहत देने के लिए सरकार की ओर से रिट पिटीशन डाली गई थी. जिस पर कोर्ट ने फैसला लिया था कि स्कूल केवल ट्यूशन फीस ले सकते हैं, जिसके बाद प्राइवेट स्कूल सुप्रीम कोर्ट पहुंचें. जहां प्राइवेट स्कूलों के हक में फैसला आया जिसके चलते प्राइवेट स्कूल फीस की मांग कर रहे हैं.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि विरोध करने वाले अभिभावकों की संख्या ज्यादा नहीं है, लेकिन इन लोगों में काफी सारे लोग ऐसे हैं जो कोरोना की वजह से प्रभावित हुए हैं. उनकी आमदनी के सोर्स खत्म हो चुके हैं. उन्होंने माना कि समस्या जरूर है
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स्कूल खोलने के बारे में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से क्या हुई बातचीत?
इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने स्कूल खोलने को लेकर उनसे मुलाकात की थी, जिसके बाद स्कूल खोल दिए गए थे. हालांकि महामारी के चलते दोबारा स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया. वहीं प्राइवेट स्कूलों ने कई तरह की छूट लेने के लिए मांग की थी जिस पर उनकी मांगें मान ली गई है.
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हाल में कैसी है स्कूलों की स्थिति?
इस पर शिक्षा मंत्री कहते हैं कि जैसे कि सरकार की ओर से संस्कृति मॉडल स्कूल खोले गए, उनमें बच्चे और अभिभावक एडमिशन के लिए काफी उत्सुक दिखाई दे रहे हैं. इन स्कूलों में सरकार ने फीस भी रखी है. हालांकि 1,80,000 से कम सालाना आय वाले अभिभावकों के लिए कोई फीस नहीं होगी और जिन अभिभावकों से फीस ली जाएगी वो स्कूल के डेवलपमेंट के लिए ही खर्च की जाएगी
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