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मां के हाथ से चूरमा खाकर दंगल के सूरमा बने बजरंग पूनिया, जानिए छोटे गांव से टोक्यो तक का सफर - पहलवान बजरंग पूनिया पत्नी

टोक्यो ओलंपिक-2021 (Tokyo Olympics 2021) में हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्मे बजरंग पुनिया (bajrang punia) ने भारत की झोली में एक और कांस्य पदक (bronze medal) डाल दिया है. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2021 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 65 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता. यहां हम आपको बजरंग पूनिया के गांव के छोटे से दंगल से लेकर टोक्यो ओलंपिक तक के सफर के बारे में बता रहे हैं.

wrestler bajrang punia story
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Published : Jul 6, 2021, 6:22 PM IST

Updated : Aug 7, 2021, 5:59 PM IST

सोनीपत: टोक्यो ओलंपिक में (Tokyo Olympics 2021) हरियाणा के स्टार पहलवान बजरंग पुनिया ने कांस्य पदक जीत (bajrang punia won bronze medal) लिया है. उन्होंने कजाकिस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में यह पदक जीता. यह भारत का कुश्ती में दूसरा और वर्तमान खेलों में कुल सात पदक है. भारत ने इस तरह से एक ओलंपिक में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकार्ड की बराबरी की.

आज बजरंग पूनिया देश के सबसे बड़े पहलवान हैं और लगभग हर खेलप्रेमी की जुबान पर बजरंग पूनिया का नाम है, लेकिन ये मुकाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत की है. 65 किलोग्राम वर्ग में विश्व के नंबर वन पहलवान बजरंग पुनिया ने पहलवानी की शुरूआत 7 साल की उम्र में झज्जर जिले के एक छोटे से गांव खुदन से की थी. एक साधारण किसान परिवार में जन्में बजरंग शुरू से ही बेहद मेहनती रहे हैं.

जानिए कैसा रहा छोटे गांव से टोक्यो तक का बजरंग पूनिया का सफर

उनके पिता और भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते केवल बजरंग को ही पहलवानी में आगे बढ़ाया गया. उनके पिता बलवान सिंह पूनिया ने बताया कि वो भी पहलवानी करते थे इसलिए उनकी इच्छी थी कि उनका एक बेटा पहलवान जरूर बनें. दोनों बेटों को पहलवानी के लिए भेजा जाता था, लेकिन घर की हालत ठीक न होने के चलते फिर केवल बजरंग को ही आगे बढ़ाया, और उनके बेटे ने उनकी इच्छा पूरी भी कर दी.

wrestler bajrang punia story
अब तक का बजरंग पूनिया का सफर.

ये भी पढ़ें- दंगल में मंगल! पहलवान बजरंग ने कजाकिस्तान के रेसलर को हराया, जीते कांस्य पदक

बजरंग हरियाणवी खाने के भी बेहद शौकीन हैं. बजरंग बचपन से ही प्रैक्टिस के बाद अपनी मां से गुड़ का चूरमा बनवाकर खाते थे. टोक्यो ओलंपिक के लिए जाने से पहले भी वो घर से जाते समय चूरमा खाकर ही निकले थे. तब बजरंग की मां ओम प्यारी ने कहा था कि बजरंग को परांठे और गुड़ का चूरमा ज्यादा पसंद है, और जब बजरंग टोक्यो से मडेल जीतकर भारत आएगा तो उसको लेने जाऊंगी और सबसे पहले गुड़ का चूरमा खिलाऊंगी.

अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न और पद्म श्री से सम्मानित वर्ल्ड चैंपियन रेसलर बजरंग पूनिया की कहानी भले ही एक छोटे से गांव के दंगल से शुरू हुई थी पर उनकी कड़ी मेहनत और जुनून उन्हें उस मुकाम पर लेकर आया जहां बजरंग बन चुके हैं 130 करोड़ भारतीयों की सबसे बड़ी उम्मीद, और टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर बजरंग इस उम्मीद पर खरे भी उतरे.

ये भी पढ़ें- Neeraj Chopra Gold Medal: भारत के लिए हरियाणा के छोरे ने ओलंपिक में 120 साल बाद किया ये कमाल

सोनीपत: टोक्यो ओलंपिक में (Tokyo Olympics 2021) हरियाणा के स्टार पहलवान बजरंग पुनिया ने कांस्य पदक जीत (bajrang punia won bronze medal) लिया है. उन्होंने कजाकिस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर टोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में यह पदक जीता. यह भारत का कुश्ती में दूसरा और वर्तमान खेलों में कुल सात पदक है. भारत ने इस तरह से एक ओलंपिक में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकार्ड की बराबरी की.

आज बजरंग पूनिया देश के सबसे बड़े पहलवान हैं और लगभग हर खेलप्रेमी की जुबान पर बजरंग पूनिया का नाम है, लेकिन ये मुकाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत की है. 65 किलोग्राम वर्ग में विश्व के नंबर वन पहलवान बजरंग पुनिया ने पहलवानी की शुरूआत 7 साल की उम्र में झज्जर जिले के एक छोटे से गांव खुदन से की थी. एक साधारण किसान परिवार में जन्में बजरंग शुरू से ही बेहद मेहनती रहे हैं.

जानिए कैसा रहा छोटे गांव से टोक्यो तक का बजरंग पूनिया का सफर

उनके पिता और भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते केवल बजरंग को ही पहलवानी में आगे बढ़ाया गया. उनके पिता बलवान सिंह पूनिया ने बताया कि वो भी पहलवानी करते थे इसलिए उनकी इच्छी थी कि उनका एक बेटा पहलवान जरूर बनें. दोनों बेटों को पहलवानी के लिए भेजा जाता था, लेकिन घर की हालत ठीक न होने के चलते फिर केवल बजरंग को ही आगे बढ़ाया, और उनके बेटे ने उनकी इच्छा पूरी भी कर दी.

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अब तक का बजरंग पूनिया का सफर.

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बजरंग हरियाणवी खाने के भी बेहद शौकीन हैं. बजरंग बचपन से ही प्रैक्टिस के बाद अपनी मां से गुड़ का चूरमा बनवाकर खाते थे. टोक्यो ओलंपिक के लिए जाने से पहले भी वो घर से जाते समय चूरमा खाकर ही निकले थे. तब बजरंग की मां ओम प्यारी ने कहा था कि बजरंग को परांठे और गुड़ का चूरमा ज्यादा पसंद है, और जब बजरंग टोक्यो से मडेल जीतकर भारत आएगा तो उसको लेने जाऊंगी और सबसे पहले गुड़ का चूरमा खिलाऊंगी.

अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न और पद्म श्री से सम्मानित वर्ल्ड चैंपियन रेसलर बजरंग पूनिया की कहानी भले ही एक छोटे से गांव के दंगल से शुरू हुई थी पर उनकी कड़ी मेहनत और जुनून उन्हें उस मुकाम पर लेकर आया जहां बजरंग बन चुके हैं 130 करोड़ भारतीयों की सबसे बड़ी उम्मीद, और टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर बजरंग इस उम्मीद पर खरे भी उतरे.

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Last Updated : Aug 7, 2021, 5:59 PM IST
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