सोनीपत: गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश में कला, साहित्य, खेल व अन्य सामाजिक कार्यों में उतकृष्ट कार्य करने वालों को भारत सरकार पद्म अवार्ड से नवाजती है. ऐसे में इस बार गणतंत्र दिवस पर हरियाणा के 5 नागरिकों को पद्मश्री नवाजा गया है. गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा, सुमित अंतिल, ओम प्रकाश पोसवाल गांधी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रघुवेंद्र तंवर और डॉ. मोती लाल मदन को पद्मश्री से नवाजा गया है. टोक्यो पैरा ओलंपिक में देश को जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल दिलाने वाले सोनीपत के सुमित अंतिल को भारत सरकार ने पद्मश्री अवार्ड सम्मानित किया है. इसकी घोषणा के बाद सुमित और सुमित के परिवार में खुशी की लहर है. पद्मश्री अवार्ड की घोषणा होने के बाद सुमित अंतिल ने बुधवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सुमित अंतिल ने (Sumit Antil Padma shri) भारत सरकार का धन्यवाद किया. साथ ही सुमित ने कहा कि सरकार ने मेरे संघर्ष को पहचाना और मुझे इस अवार्ड से नवाजने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि आने वाले टूर्नामेंटों में भी भारत को मेडल दिलाने के लिए अब वह दिन रात पसीना बहा रहे हैं. सुमित ने बताया कि अभी उनका फोकस एशियन गेम्स पर है और उन्हें उम्मीद है कि वहां पर भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे. सुमित ने बताया कि मेरे साथ हादसा होने से पहले मेरी किसी भी खेल में इतनी रूचि नहीं थी. लेकिन जब मेरे साथ यह हुआ तब देश में पैरा ओलंपिक का ज्यादा खुमार नहीं था. लेकिन अब मैं सभी युवाओं से कहता हूं कि जिनके साथ हादसा हुआ है वह किसी ना किसी फील्ड में अपना कैरियर बना सकते हैं.
गौरतलब है कि सुमित अंतिल टोक्यो पैरा ओलंपिक (Tokyo Paralympics 2020) के फाइनल में बेहतरीन फॉर्म में थे. इस ओलंपिक में एक के बाद एक उन्होंने तीन वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़े. पहले उन्होंने 66.95 मीटर दूर भाला फेंक विश्व रिकॉर्ड बनाया, फिर अपनी दूसरी कोशिश में 68.08 मीटर के स्कोर से अपना पहले का वर्ल्ड रिकॉर्ड सुधारा. पांचवीं कोशिश में सुमित अंतिल ने इससे भी बेहतर थ्रो की. 68.55 मीटर के स्कोर के साथ सुमित ने गोल्ड मेडल जीता.
बता दें कि सुमित अंतिल का जन्म 6 जुलाई 1998 को गांव खेवड़ा, सोनीपत में हुआ था. सुमित कुश्ती में अपना करियर बनाना चाहते थे और भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे. साल 2015 में जब वह एक दिन प्रैक्टिस से वापस लौट रहे थे तब उनकी मोटरसाइकिल को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी. दुर्घटना के बाद उनके बायें पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा था. इस दुर्घटना से पहले वह एक पहलवान थे. अपना एक पैर गंवाने के बाद सुमित ने कई महीने अस्पताल में गुजारे.
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