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शराब घोटाला: पुलिस अधिकारी नहीं कर रहे जांच में सहयोग- एसईटी

एसईटी के मुताबिक खरखौदा शराब घोटाले में पुलिस अधिकारी प्रशासनिक जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. जिसकी वजह से जांच में देरी हो रही है.

Sonipat liquor scam case update
Sonipat liquor scam case update
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Published : Jun 28, 2020, 9:20 AM IST

सोनीपत: एसईटी के मुताबिक खरखौदा शराब घोटाले में पुलिस अधिकारी प्रशासनिक जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. जांच टीम बनने के एक महीने बाद भी कोई अधिकारी अपना पक्ष रखने के लिए सामने नहीं आया है. नोटिस का भी अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं. जिससे की मामले में जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है. बर्खास्त इंस्पेक्ट जयपाल ने एसईटी के सामने पेश होने से इंकार कर दिया. तो वहीं सस्पेंड इंस्पेकर अरुण कुमार मेडिकल लगाकर समय देने की मांग कर रहे हैं.

अब एसईटी जसबीर को नोटिस जारी करेगी. इसके अलावा अभी पुलिसकर्मियों को टीम ने अपने सामने पक्ष रखने का मौका दिया है. शराब घोटाले में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ अधिकारियों ने प्रशासनिक जांच भी शुरू की थी. इसमें पुलिस ने आरोपियों को एसईटी के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया था. उसके आधार एसईटी जांच को आगे बढ़ाएगी.

जांच टीम की जिम्मेदारी डीएसपी सिटी डॉ. रविद्र कुमार को सौंपी गई थी. प्रशासन टीम की ओर से सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर इसकी सूचना दे दी गई थी. इनको टीम के सामने आकर अपना पक्ष रखना था. एसईटी ने ऐसे पुलिसकर्मियों को दोबारा से नोटिस जारी किया है, जो पुलिस की जांच में सहयोग नहीं कर रहे. बता दें कि खरखौदा थाने के एएसआइ जयपाल सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. वो जेल में हैं. प्रशासनिक टीम की ओर से भेजे गए नोटिस के उत्तर में जयपाल ने टीम के सामने पेश होने से इंकार कर दिया है.

ये भी पढ़ें- सोनीपत शराब घोटाला: 'हरियाणा सरकार सिर्फ लीपापोती कर दोषियों को बचा रही है'

जयपाल का कहना है कि वो एसईटी टीम के सवालों का उत्तर उसका वकील देगा. खरखौदा थाने का पूर्व एसएचओ और सस्पेंड इंस्पेक्टर अरुण कुमार पहले टीम के सामने हाजिर नहीं हुआ. दो सप्ताह पहले उसने मेडिकल पुलिस को भेज दिया था. मेडिकल में उसने एक्सीडेंट के चलते पैर चोटिल होने की बात कही थी.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. भूपेंद्र इस गोदाम का ठेकेदार है. ठेकेदार भूपेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.

कैसे हुई तस्करी?

खरखौदा में बाइपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम ये रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा, जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं. इस शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.

सोनीपत: एसईटी के मुताबिक खरखौदा शराब घोटाले में पुलिस अधिकारी प्रशासनिक जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. जांच टीम बनने के एक महीने बाद भी कोई अधिकारी अपना पक्ष रखने के लिए सामने नहीं आया है. नोटिस का भी अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं. जिससे की मामले में जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है. बर्खास्त इंस्पेक्ट जयपाल ने एसईटी के सामने पेश होने से इंकार कर दिया. तो वहीं सस्पेंड इंस्पेकर अरुण कुमार मेडिकल लगाकर समय देने की मांग कर रहे हैं.

अब एसईटी जसबीर को नोटिस जारी करेगी. इसके अलावा अभी पुलिसकर्मियों को टीम ने अपने सामने पक्ष रखने का मौका दिया है. शराब घोटाले में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ अधिकारियों ने प्रशासनिक जांच भी शुरू की थी. इसमें पुलिस ने आरोपियों को एसईटी के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया था. उसके आधार एसईटी जांच को आगे बढ़ाएगी.

जांच टीम की जिम्मेदारी डीएसपी सिटी डॉ. रविद्र कुमार को सौंपी गई थी. प्रशासन टीम की ओर से सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर इसकी सूचना दे दी गई थी. इनको टीम के सामने आकर अपना पक्ष रखना था. एसईटी ने ऐसे पुलिसकर्मियों को दोबारा से नोटिस जारी किया है, जो पुलिस की जांच में सहयोग नहीं कर रहे. बता दें कि खरखौदा थाने के एएसआइ जयपाल सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. वो जेल में हैं. प्रशासनिक टीम की ओर से भेजे गए नोटिस के उत्तर में जयपाल ने टीम के सामने पेश होने से इंकार कर दिया है.

ये भी पढ़ें- सोनीपत शराब घोटाला: 'हरियाणा सरकार सिर्फ लीपापोती कर दोषियों को बचा रही है'

जयपाल का कहना है कि वो एसईटी टीम के सवालों का उत्तर उसका वकील देगा. खरखौदा थाने का पूर्व एसएचओ और सस्पेंड इंस्पेक्टर अरुण कुमार पहले टीम के सामने हाजिर नहीं हुआ. दो सप्ताह पहले उसने मेडिकल पुलिस को भेज दिया था. मेडिकल में उसने एक्सीडेंट के चलते पैर चोटिल होने की बात कही थी.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. भूपेंद्र इस गोदाम का ठेकेदार है. ठेकेदार भूपेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.

कैसे हुई तस्करी?

खरखौदा में बाइपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम ये रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा, जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं. इस शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.

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