सोनीपत: सोनीपत की बेटी काजल ने तीसरी बार भारत केसरी का टाइटल जीतकर जिले का नाम रोशन किया है. काजल का सपना पूरा करने में उसके चाचा का अहम योगदान है. काजल ने हाल ही में भारत केसरी टाइटल जीता है. अंडर 15 एशियन चैंपियनशिप में भी वो स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं. काजल का सपना देश के लिए ओलंपिक पदक जीतना है. वह अपने इस सपने को पूरा करने के लिए रोजाना सुबह-शाम 3-3 घंटे कड़ी मेहनत करती है. जिससे आने वाली प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर सके.
सोनीपत के गांव लाठ की रहने वाली 15 वर्षीय काजल लगातार कुश्ती में बेहतर प्रदर्शन कर जिले का नाम रोशन कर रही हैं. काजल को उसके चाचा का साथ मिला है. काजल ने अपने चाचा से प्रेरणा लेकर ही कुश्ती शुरू की थी और आज नेशनल लेवल पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. पहलवान काजल ने 23 मार्च को हिमाचल में और 19 मार्च को लड़सौली गांव में हुई कुश्ती प्रतियोगिता में भारत केसरी का खिताब जीता है.
इससे पहले भी काजल कई प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं. काजल के कोच रणधीर मलिक का कहना है कि जब वह पहली बार एकेडमी पहुंची थी तब उसका वजन 39 किलोग्राम था. इस दौरान उन्होंने उसके परिजनों को कहा था कि इसका वजन कम नहीं किया जाए. यह लड़कों के वजन में खेलेगी. वहीं कोरोना के दौरान इसका वजन बढ़कर 53 किलोग्राम हो गया था. जिसके बाद काजल का वजन 65 किलोग्राम तक पहुंच गया.
इस पर कोच ने परिजनों को बताया कि यह अधिक वजन की कैटेगरी में खेल सकती है. काजल ने सबसे पहले 49 किलोग्राम के सीबीएसई नेशनल में बेहतर प्रदर्शन किया. इसके बाद अंडर 15 कुश्ती प्रतियोगिता झारखंड में भी काजल ने अपना दमखम दिखाया और जीत हासिल की. हालांकि रेफरी के गलत निर्णय से वह हार गई. काजल ने इसके बाद 50 किलोग्राम अंडर 15 चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. काजल तीन बार भारत केसरी बन चुकी हैं. काजल इसका श्रेय पूरे परिवार की मेहनत को देती हैं.
कोच रणधीर मलिक ने बताया कि काजल ने महज 10 साल की आयु में ही कुश्ती शुरू कर दी थी. उसे खेलने की प्रेरणा अपने चाचा से मिली है, क्योंकि उसके चाचा कुश्ती खेलते थे. जिसके बाद उसने कुश्ती खेलना शुरू किया था और अब वह आगे चलकर कैडेट और वर्ल्ड चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करना चाहती है. इसके साथ ही ओलंपिक में जाना उसका सपना है.