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सोनीपतः फसल के अवशेषों को जलाने के बजाय पशुओं का चारा बना रहे किसान - फसल के अवशेषों से पशुओं का चारा हरियाणा

कंबाइन से गेहूं की फसल की कटाई के बाद फसलों की अवशेष से किसान पशुओं का चारा बना रहे हैं. इसके लिए रीपर मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. मशीन में एक ट्रॉली लगी है. जिसमें फसल के अवशेषों से बना भूसा इकट्ठा हो जाता है. इससे किसान अवशेषों को जलाने से बच जा रहे हैं.

Sonipat Farmers making cattle feed by crop residues
Sonipat Farmers making cattle feed by crop residues
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Published : Apr 26, 2020, 9:46 AM IST

सोनीपतः कोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन के बीच खेतों में गेहूं के फसल की कटाई भी चल रही है. गेहूं कटाई के वक्त हर साल देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का लेवल बढ़ने लगता है और इसका ठीकरा किसानों के सिर पर फोड़ा जाने लगता है. क्योंकि गेहूं की कटाई के बाद खेतों में फसलों के अवशेष जलाए जाते रहे हैं.

दिल्ली से लगते हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसानों को इन दिनों होने वाले प्रदूषण के लिए कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते दिल्ली के पर्यावरण में काफी सुधार हुआ है और प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है.

फसल को अवशेषों को जलाने के बजाय पशुओं का चारा बना रहे किसान

वहीं अब किसान भी पर्यावरण को बचाने में अपना सहयोग कर रहे हैं. देशभर के अन्नदाता आजकल गेहूं की पकी हुई फसलों को काट रहे है. लेकिन हरियाणा के ज्यादातर किसान फसलों के अवशेषों को जलाने की बजाय पशुओं का चारा बनाने में जुटे हुए हैं.

किसान प्रदूषण को कम करने और जमीन की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं और इस काम में किसानों की मदद कर रही है रीपर मशीन. जिसका उपयोग कर किसान फसल के अवशेषों को पशुओं का चारा बना रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः- डिस्ट्रेस राशन टोकन प्रणाली की सीएम मनोहर लाल ने की समीक्षा

सोनीपतः कोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन के बीच खेतों में गेहूं के फसल की कटाई भी चल रही है. गेहूं कटाई के वक्त हर साल देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का लेवल बढ़ने लगता है और इसका ठीकरा किसानों के सिर पर फोड़ा जाने लगता है. क्योंकि गेहूं की कटाई के बाद खेतों में फसलों के अवशेष जलाए जाते रहे हैं.

दिल्ली से लगते हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के किसानों को इन दिनों होने वाले प्रदूषण के लिए कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते दिल्ली के पर्यावरण में काफी सुधार हुआ है और प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है.

फसल को अवशेषों को जलाने के बजाय पशुओं का चारा बना रहे किसान

वहीं अब किसान भी पर्यावरण को बचाने में अपना सहयोग कर रहे हैं. देशभर के अन्नदाता आजकल गेहूं की पकी हुई फसलों को काट रहे है. लेकिन हरियाणा के ज्यादातर किसान फसलों के अवशेषों को जलाने की बजाय पशुओं का चारा बनाने में जुटे हुए हैं.

किसान प्रदूषण को कम करने और जमीन की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहे हैं और इस काम में किसानों की मदद कर रही है रीपर मशीन. जिसका उपयोग कर किसान फसल के अवशेषों को पशुओं का चारा बना रहे हैं.

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