सोनीपत: हरियाणा में पंचायती चुनाव 2 साल की देरी से हुए. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आस थी कि चुनाव बेशक देरी से हुए लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में तेजी आएगी. लेकिन सरकार की ई टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल व्यवस्था को लेकर जनप्रतिनिधि लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. शनिवार को भी सोनीपत के गांधी चौक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के बीच जनप्रतिनिधियों ने अनोखा प्रदर्शन किया.
सरपंचों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया और गांव के सरपंचों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का मुखौटा पहन कर अनोखा प्रदर्शन किया. उन्होंने गांधी जी के तीन बंदरों के बैनर तले मुख्यमंत्री मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला तथा पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली का मुखौटा लगाकर विरोध जताया. मनोहर लाल की तस्वीर लगाकर लिखा कि मुझे गठबंधन सरकार चलानी है और मैं कुछ नहीं सुनूंगा. वहीं दुष्यंत चौटाला का मुखौैटा पहन कर लिखा कि मुश्किल से सरकार में हिस्सेदारी मिली है.
![Sarpach protest against E tendering in Sonipat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17547164_sonipat.jpg)
वहीं पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली बनकर सरपंच ने लिखा कि बुरा बोलूंगा क्योंकि 3 साल बाद मंत्रालय मिला है. इस तरह शनिवार को जनप्रतिनिधियों ने अपना अनोखा प्रदर्शन इन व्यवस्थाओं के खिलाफ किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जनप्रतिनिधि स्पष्ट कह रहे हैं कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी और यह दोनों व्यवस्थाएं वापस नहीं होगी, तब तक उनका रोष प्रदर्शन सरकार के खिलाफ जारी रहेगा.
इस प्रदर्शन में शामिल जिला पार्षद संजय बड़वासनी व सरपंच जितेंद्र राणा ने कहा कि अगर सरकार ने हमारी यह दोनों मांगें नहीं मानी तो हमारा प्रदर्शन सरकार के खिलाफ ऐसे ही जारी रहेगा. छोटी सरकार को अगर सरकार ने ज्यादा तंग किया तो हमारा प्रदर्शन उग्र भी हो सकता है. वहीं, उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में सरकार को इसके नतीजे भुगतने होंगे और चुनाव में सरकार और उसके सहयोगी दलों का जमकर बहिष्कार किया जाएगा.
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इन दोनों काले कानूनों को हम वापस करवा कर ही दम लेंगे. जब तक यह दोनों काले कानून वापस नहीं होंगे, तब तक ग्रामीण क्षेत्रों में कोई विकास कार्य पूरे नहीं करवाए जाएंगे और हमें तो सरकार ने केवल चौकीदार ही बना कर छोड़ दिया. इस दौरान अगर हमने विकास कार्य करवाने वाले ठेकेदार की शिकायत की तो हम पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगेंगे. राइट टू रिकॉल व्यवस्था विधानसभा और लोकसभा में पहले लेकर आए बाद में छोटी सरकार पर इसकी इंप्लीमेंट हो.
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