सोनीपत: पिछले एक साल से चला आ रहा किसान आंदोलन आखिरकार स्थगित करने का (Farmers Protest Postponed) ऐलान किया गया है. सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की बैठक में आंदलोन को खत्म करने पर किसानों की सहमति बन गई है. सरकार के संशोधित प्रस्ताव पर एसकेएम ने बुधवार को औपचारिक सहमति दे दी थी. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि किसान गुरुवार की बैठक के बाद आंदोलन समाप्त करने का एलान कर सकते हैं.सिंघु बॉर्डर पर हुए संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन स्थगित करने का आखिरकार फैसला किया.
संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 दिसंबर को घरवापसी का फैसला किया है. इस दिन किसान बड़ी संख्या में इक्कठा होकर जश्न जुलूस निकालेंगे. इसके अलावा 15 दिसंबर को समीक्षा बैठक करेंगे. इस बैठक में किसान आंदोलन की सफलता और विफलता पर चर्चा की जाएगी. आंदोलन के स्थगित होने के एलान के साथ ही बॉर्डर से किसान अपने सामान भी समेटने लगे (Farmers vacating kundli border)हैं. तीन कृषि कानून रद्द होने और किसानों की कई प्रमुख मांगो को माने जाने के बाद किसान इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यह जीत किसानों के बलिदान से मिली है. आगे की रणनीति फिर तैयार करेंगे. 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर जाने की बात कही है. गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि 15 जनवरी को फिर बैठक करेंगे, अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हम आंदोलन शुरू करेंगे. मोर्चा का कहना है कि 11 दिसंबर से किसान अपने घरों को लौटने लगेंगे.
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बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर बैठक हुई. इस बैठक में राकेश टिकैत समेत कई बड़े किसान नेता शामिल हुए. इस मीटिंग में मृतक किसानो को मुआवजा, देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमें समेत प्रमुख मांगे माने जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र के प्रस्ताव पर सहमति जाहिर कर दी थी. इसके बाद किसानों ने सरकार के आधिकारिक पत्र का हवाला देकर गुरुवार तक किसान आंदोलन जारी रखने का फैसला किया था. किसानों का कहना था कि सरकार ने हमारी जिन मांगो को स्वीकार किया उसको आधिकारिक पत्र के रुप में भेजे. आज गुरूवार को सरकार ने इन मांगो को आधिकारिक पत्र स्वीकार करते किसानों को भेज दिया.
किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान 11 दिसंबर से धरना स्थल को खाली करना शुरू कर देंगे. वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि ये किसानों की बहुत बड़ी जीत है. किसानों का बदनामी का सामना करना पड़ा. इसके जैसा किसान आंदोलन नहीं हुआ. योगेंद्र यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को तीन काले कानून वापस लेने की घोषणा की, उसके बाद 21 तारीख को मोर्चा ने हमारे जो लंबित मामले थे, उसकी चिट्ठी लिखी. दो हफ्ते तक कोई जवाब नहीं आया. लेकिन परसों सरकार की ओर से पहला प्रस्ताव आया. हमने कुछ बदलाव मांगे, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया. हमने कुछ बदलाव मांगे, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया. उस पर चर्चा हुई. आज सुबह हमें कृषि सचिव संजय अग्रवाल की चिट्ठी मिली है.
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