चंडीगढ़: हरियाणा सरकार का राइट-टू-रिकॉल विधेयक इस बार विधानसभा के मॉनसून सत्र में पेश नहीं हो सका. सरकार का प्रयास था कि राइट-टू-रिकॉल की व्यवस्था पंचायत राज में जल्द से जल्द लागू हो. एक तरफ जहां विधेयक को विपक्षी पार्टियों का विरोध झेलना पड़ रहा है. वहीं अब इसपर बीजेपी सांसद रमेश कौशिक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
जब राइट टू रिकॉल बिल पर बीजेपी सांसद रमेश कौशिक से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये बिल लोगों की राय जानने के बाद ही लागू होना चाहिए. बता दें कि रमेश कौशिश गोहाना में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे. इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये जवाब दिया.
जब उनसे पूछा गया कि ये बिल उपमुख्यमंत्री द्वारा ला जा रहा था तो इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बिल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. उप मुख्यमंत्री ने जो फैसला किया है वो ठीक ही होगा, लेकिन इसमें एक बार लोगों की राय जरूर लेनी चाहिए.
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क्या है राइट टू रिकॉल बिल?
राइट टू रिकॉल बिल का मतलब है कि जनता जो वोट डालती है अब तक उसे सिर्फ अपने जनप्रतिनिधि चुनने का मौका होता है. उसके पास किसी जनप्रतिनिधि को वापस से बाहर करने का मौका नहीं होता है. इस बिल से उन्हें ये अधिकार मिल जाएगा कि वो अपने जनप्रतिनिधि को उसके टर्म पूरा करने से पहले ही वापस बुला सकती है. वैसे ही ये बिल के पास होते ही गांव के कुल मतदाताओं में से एक तिहाई बैठक बुलाकर सरपंच को हटाने का प्रस्ताव ला सकेंगे. इसके बाद पंचायती राज के सीईओ को एक महीने अंदर ही गांव में दोबारा वोटिंग की तारीख तय करनी होगी. इसके बाद कुल मतदाताओं का 60% हिस्सा यदि सरपंच के खिलाफ वोट देगा तो सरपंच को पद से हटाया जा सकेगा.