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कोरोना ने छीना रोजगार, अभिभावक प्राइवेट छोड़ सरकारी स्कूलों में करवा रहे बच्चों के दाखिले

कोरोना महामारी और लॉकडाउन (corona virus lockdown) ने जन-जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है. उद्योग, व्यापार मंदी के दौर से गुजर रहे हैं. जिसका असर लोगों की जेब पर दिख रहा है. दो जून की रोटी के साथ अभिभावकों को बच्चों के भविष्य की चिंता सताए जा रही है. प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं भर पाने की वजह से अभिभावक बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल (Students Admission Government School) में करवा रहे हैं.

government school admission
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Published : Jun 25, 2021, 7:06 PM IST

गोहाना: कोरोना महामारी से जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. दो बार लगे लॉकडाउन के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो गए. हालत ये हो गए कि लोगों के पास जो जून तक की रोटी के लिए पैसे नहीं बचे. ऐसे में घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई अभिभावकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. पहले की तरह रोजगार नहीं होने के चलते अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की फीस चुकाने में असमर्थ हैं. लिहाजा वो अपने बच्चों का दाखिला अब सरकारी स्कूलों (Students Admission Government School) में करवा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- प्राइवेट स्कूल से बिना एसएलसी मिले विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल में मिलेगा अस्थाई एडमिशन

कोरोना की वजह से उद्योग, व्यापार सब मंदा पड़ा है. जिसका असर लोगों की जेब पर भी पड़ा है. अभिभावकों के मुताबिक दो बार लॉकडाउन लगने से कमाने से साधन कम हो गए हैं. कम काम होने से वो प्राइवेट स्कूलों का खर्चा नहीं उठा सकते. इसलिए वो अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट की जगह सरकारी स्कूल में करवा रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (School Leaving Certificate) के लिए भी उन्हें काफी परेशानी हो रही है.

अभिभावक प्राइवेट छोड़ सरकारी स्कूलों में करवा रहे बच्चों के दाखिले, देखें रिपोर्ट

प्राइवेट स्कूलों का खर्च नहीं उठा पा रहे अभिभावक

अभिभावकों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण लगातार दो बार लॉकडाउन लग गया. जिसके बाद कमाने के साधन भी कम हो गए हैं. प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए एक बच्चे पर करीब 40 से 45 हजार खर्च आता था, लेकिन काम कम होने की वजह से वो प्राइवेट स्कूलों का खर्चा नहीं उठा सकते, इसीलिए सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए एडमिशन करा रहे हैं.

बच्चों को सता रही पढ़ाई छूटने की चिंता

अभिभावक तो बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं ही. छात्रों को भी पढ़ाई छूट जाने का डर सता रहा है. छात्रों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें बगैर एसएलसी के सरकारी स्कूल में दाखिले दिए जाए. ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित ना हो. इस बारे में शिक्षा विभाग (Education Department) अधिकारी सरोज बाल्यान ने बताया कि अब बच्चों का प्रोविजनल तरीके से एडमिशन यानी अस्थाई दाखिले किए जा रहे हैं. जिसकी रिपोर्ट अधिकारियों को दे दी जाएगी. इसके बाद विभाग प्राइवेट स्कूलों से बच्चों की एसएलसी जारी करवाएगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में इस साल 56 हजार ज्यादा छात्रों ने लिया सरकारी स्कूलों में दाखिला

अभिभावक लाचार हैं और बच्चों को भविष्य की चिंता खाए जा रही हैं. अधिकारी भी दावा कर रहे हैं कि सब ठीक हो जाएगा. सवाल अब ये है कि अगर प्राइवेट स्कूलों ने एसएलसी जारी नहीं कि तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा.

गोहाना: कोरोना महामारी से जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. दो बार लगे लॉकडाउन के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो गए. हालत ये हो गए कि लोगों के पास जो जून तक की रोटी के लिए पैसे नहीं बचे. ऐसे में घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई अभिभावकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. पहले की तरह रोजगार नहीं होने के चलते अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की फीस चुकाने में असमर्थ हैं. लिहाजा वो अपने बच्चों का दाखिला अब सरकारी स्कूलों (Students Admission Government School) में करवा रहे हैं.

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कोरोना की वजह से उद्योग, व्यापार सब मंदा पड़ा है. जिसका असर लोगों की जेब पर भी पड़ा है. अभिभावकों के मुताबिक दो बार लॉकडाउन लगने से कमाने से साधन कम हो गए हैं. कम काम होने से वो प्राइवेट स्कूलों का खर्चा नहीं उठा सकते. इसलिए वो अपने बच्चों का दाखिला प्राइवेट की जगह सरकारी स्कूल में करवा रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (School Leaving Certificate) के लिए भी उन्हें काफी परेशानी हो रही है.

अभिभावक प्राइवेट छोड़ सरकारी स्कूलों में करवा रहे बच्चों के दाखिले, देखें रिपोर्ट

प्राइवेट स्कूलों का खर्च नहीं उठा पा रहे अभिभावक

अभिभावकों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण लगातार दो बार लॉकडाउन लग गया. जिसके बाद कमाने के साधन भी कम हो गए हैं. प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए एक बच्चे पर करीब 40 से 45 हजार खर्च आता था, लेकिन काम कम होने की वजह से वो प्राइवेट स्कूलों का खर्चा नहीं उठा सकते, इसीलिए सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए एडमिशन करा रहे हैं.

बच्चों को सता रही पढ़ाई छूटने की चिंता

अभिभावक तो बच्चों के भविष्य को लेकर परेशान हैं ही. छात्रों को भी पढ़ाई छूट जाने का डर सता रहा है. छात्रों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें बगैर एसएलसी के सरकारी स्कूल में दाखिले दिए जाए. ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित ना हो. इस बारे में शिक्षा विभाग (Education Department) अधिकारी सरोज बाल्यान ने बताया कि अब बच्चों का प्रोविजनल तरीके से एडमिशन यानी अस्थाई दाखिले किए जा रहे हैं. जिसकी रिपोर्ट अधिकारियों को दे दी जाएगी. इसके बाद विभाग प्राइवेट स्कूलों से बच्चों की एसएलसी जारी करवाएगा.

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अभिभावक लाचार हैं और बच्चों को भविष्य की चिंता खाए जा रही हैं. अधिकारी भी दावा कर रहे हैं कि सब ठीक हो जाएगा. सवाल अब ये है कि अगर प्राइवेट स्कूलों ने एसएलसी जारी नहीं कि तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा.

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