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सोनीपतः प्रवासियों के जाने के बाद गांव के ही मजदूरों ने संभाली धान रोपाई की कमान

गोहाना में धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है. प्रवासी मजदूरों के जाने से किसान काफी परेशान थे, लेकिन ग्रामीण मजदूर मिलने पर किसानों ने राहत की सांस ली है.

paddy plantation start in gohana
ग्रामीण मजदूरों ने गोहाना में शुरू की धान की रोपाई
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Published : Jun 11, 2020, 9:30 PM IST

सोनीपत: गोहाना में धान की रोपाई का काम शुरु हो चुका है. प्रवासी मजदूर ना मिलने पर ग्रामीण मजदूर ही धानों को रोपाई कर रह हैं. ग्रामीणों को ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि कोरोना महामारी के चलते प्रवासी मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. प्रवासी मजदूरों के जाने से किसान की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन ग्रामीण मजदूर मिलने से किसान को काफी राहत मिली है. एक दिन में 13 मजदूर करीब 2 एकड़ धान की रोपाई कर देते हैं.

गोहाना के ग्रामीण एरिया में बहुत से ऐसे मजदूर थे. जो अन्य प्रकार के काम करते थे, लेकिन कोरोना के चलते उनके कामधंधे सब ठप पड़े हैं. ऐसे में इन मरजूरों ने धान की रोपाई का शुरू कर दिया है. इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है. मजदूरों के जाने से जो चिंता की शिकन माथे पर आ गई थी. अब वो हटने लगी है. ग्रामीण मजदूर मिलने से समय पर किसानों के धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है.

ग्रामीण मजदूरों ने गोहाना में शुरू की धान की रोपाई

इस बारे में जब सुंदर नाम के मजदूर से बात की गई तो उसने बताया कि वो पिछले 4 महीने से घर पर बैठा है. उनके पास कोई काम नहीं था. अब धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है. इससे परिवार की थोड़ी बहुत पेट पालना हो जाएगी. इससे पहले मेहनत मजदूरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये सब बंद हैं. अब धान की रोपाई कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं. इसके लिए पूरे दिन काम करने पर उन्हें 400 रुपये देहाड़ी मिलती है.

ये भी पढ़ें:-कुरुक्षेत्र: सूर्य ग्रहण के मौके पर ब्रह्म सरोवर में श्रद्धालु नहीं लगा पाएंगे आस्था की डुबकी

वहीं इस बारे में जब मजदूरों के ठेकेदार राजू से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो प्रवासी मजदूर थे, वो एक दिन में 3 से 4 एकड़ धान की रोपाई करते थे, लेकिन ये गांव के मजदूर हैं. ये एक दिन में 2-3 किल्ले ही धान की रोपाई कर पाते हैं. लेकिन कोई बात नहीं. कम ही सही लेकिन धान की रोपाई का काम तो शुरू हो गया. सबसे ज्यादा जरूरी समय से काम होना है.

सोनीपत: गोहाना में धान की रोपाई का काम शुरु हो चुका है. प्रवासी मजदूर ना मिलने पर ग्रामीण मजदूर ही धानों को रोपाई कर रह हैं. ग्रामीणों को ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि कोरोना महामारी के चलते प्रवासी मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. प्रवासी मजदूरों के जाने से किसान की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन ग्रामीण मजदूर मिलने से किसान को काफी राहत मिली है. एक दिन में 13 मजदूर करीब 2 एकड़ धान की रोपाई कर देते हैं.

गोहाना के ग्रामीण एरिया में बहुत से ऐसे मजदूर थे. जो अन्य प्रकार के काम करते थे, लेकिन कोरोना के चलते उनके कामधंधे सब ठप पड़े हैं. ऐसे में इन मरजूरों ने धान की रोपाई का शुरू कर दिया है. इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है. मजदूरों के जाने से जो चिंता की शिकन माथे पर आ गई थी. अब वो हटने लगी है. ग्रामीण मजदूर मिलने से समय पर किसानों के धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है.

ग्रामीण मजदूरों ने गोहाना में शुरू की धान की रोपाई

इस बारे में जब सुंदर नाम के मजदूर से बात की गई तो उसने बताया कि वो पिछले 4 महीने से घर पर बैठा है. उनके पास कोई काम नहीं था. अब धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है. इससे परिवार की थोड़ी बहुत पेट पालना हो जाएगी. इससे पहले मेहनत मजदूरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये सब बंद हैं. अब धान की रोपाई कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं. इसके लिए पूरे दिन काम करने पर उन्हें 400 रुपये देहाड़ी मिलती है.

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वहीं इस बारे में जब मजदूरों के ठेकेदार राजू से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो प्रवासी मजदूर थे, वो एक दिन में 3 से 4 एकड़ धान की रोपाई करते थे, लेकिन ये गांव के मजदूर हैं. ये एक दिन में 2-3 किल्ले ही धान की रोपाई कर पाते हैं. लेकिन कोई बात नहीं. कम ही सही लेकिन धान की रोपाई का काम तो शुरू हो गया. सबसे ज्यादा जरूरी समय से काम होना है.

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