सोनीपत: गोहाना में धान की रोपाई का काम शुरु हो चुका है. प्रवासी मजदूर ना मिलने पर ग्रामीण मजदूर ही धानों को रोपाई कर रह हैं. ग्रामीणों को ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि कोरोना महामारी के चलते प्रवासी मजदूर अपने घर लौट चुके हैं. प्रवासी मजदूरों के जाने से किसान की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन ग्रामीण मजदूर मिलने से किसान को काफी राहत मिली है. एक दिन में 13 मजदूर करीब 2 एकड़ धान की रोपाई कर देते हैं.
गोहाना के ग्रामीण एरिया में बहुत से ऐसे मजदूर थे. जो अन्य प्रकार के काम करते थे, लेकिन कोरोना के चलते उनके कामधंधे सब ठप पड़े हैं. ऐसे में इन मरजूरों ने धान की रोपाई का शुरू कर दिया है. इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है. मजदूरों के जाने से जो चिंता की शिकन माथे पर आ गई थी. अब वो हटने लगी है. ग्रामीण मजदूर मिलने से समय पर किसानों के धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है.
इस बारे में जब सुंदर नाम के मजदूर से बात की गई तो उसने बताया कि वो पिछले 4 महीने से घर पर बैठा है. उनके पास कोई काम नहीं था. अब धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है. इससे परिवार की थोड़ी बहुत पेट पालना हो जाएगी. इससे पहले मेहनत मजदूरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये सब बंद हैं. अब धान की रोपाई कर परिवार का गुजारा कर रहे हैं. इसके लिए पूरे दिन काम करने पर उन्हें 400 रुपये देहाड़ी मिलती है.
वहीं इस बारे में जब मजदूरों के ठेकेदार राजू से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो प्रवासी मजदूर थे, वो एक दिन में 3 से 4 एकड़ धान की रोपाई करते थे, लेकिन ये गांव के मजदूर हैं. ये एक दिन में 2-3 किल्ले ही धान की रोपाई कर पाते हैं. लेकिन कोई बात नहीं. कम ही सही लेकिन धान की रोपाई का काम तो शुरू हो गया. सबसे ज्यादा जरूरी समय से काम होना है.