सोनीपत: तीन कृषि कानून (Three agriculture law) के विरोध में किसान दिल्ली से लगती सीमाओं पर डटे हैं. 26 मई को किसान आंदोलन (Farmers agitation) के 6 महीने पूरे हो चुके हैं. एक बार फिर से किसान आंदोलन (Farmers movement) को और तेज करने के लिए अलग-अलग रणनीति बना रहे हैं. इस बीच किसान नेता गुरनाम चढूनी (Farmer leader gurnam singh chaduni) ने भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन (Bhartiya kisan majdoor federation) के नाम से नया संगठन बनाने का एलान किया है.
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चढूनी ने इस फेडरेशन में पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों के 38 संगठनों के शामिल होने का दावा किया है. चढ़ूनी ने कहा कि किसान-मजदूर फेडरेशन के जरिए किसान आंदोलन को तो मजबूती मिलेगी ही. साथ ही इसके जरिए देशभर में चल रहे दूसरे आंदोलनों को भी उठाया जाएगा.
क्या घट रहा हरियाणा में चढूनी का कद?
किसान नेता राकेश टिकैत (Farmers leader Rakesh Tikait) शुरू से ही हरियाणा में काफी एक्टिव नजर आए. हरियाणा के दर्जनभर गांवों में किसान महापंचायत (Kisan mahapanchayat Haryana) कर राकेश टिकैत ने अपनी पैठ को मजबूत किया. जिसकी वजह से हरियाणा की बागडोर संभाल रहे गुरनाम सिंह चढूनी का रुतबा कम होता नजर आया. ताजा हालात ये हैं कि राकेश टिकैत पूरे किसान आंदोलन (Farmer protest) को लीड करते नजर आ रहे हैं. राकेश टिकैत की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से चढूनी के हाथों से हरियाणा की बागडोर धीरे-धीरे खिसकती नजर आ रही है. अब हरियाणा में राकेश टिकैत का कद लगातार बढ़ रहा है. शायद यही वजह है कि गुरनाम चढूनी ने नया संगठन बनाने का एलान किया है.
ना नजरें मिली और ना ही विचार!
माना ये भी जा रहा है कि राकेश टिकैत की हरियाणा में बढ़ती लोकप्रियता के चलते चढूनी और टिकैत में दूरी बढ़ती जा रही है. इसकी बानगी 13 फरवरी को बहादुरगढ़ में हुई महापंचायत में भी देखने को मिली. इस महापंचायत में गुरनाम सिंह चढूनी और किसान नेता राकेश टिकैत के अलावा दर्शन पाल और तमाम नेता मौजूद थे, लेकिन मंच पर ना तो किसान नेताओं की आपस में नजरें मिली और ना ही विचार मिले.
'दूरी'....समझ आए ना!
मीडिया से बात करते हुए भी चढूनी और टिकैत ने अलग-अलग बयान दिए. राकेश टिकैत अपने बयान में आंदोलन को 2 अक्टूबर तक ले जाने की बात करते नजर आए तो वहीं गुरनाम सिंह ने बयान को पूरी तरह से निराधार बयाया. चढूनी ने कहा कि ये बयान पूरी तरह से गलत है और ये संयुक्त किसान मोर्चा का बयान नहीं है. इतना ही नही चढूनी जहां हरियाणा सरकार को गिराने का बयान देते नजर आए तो वहीं टिकैत ने कहा कि सरकार गिरना उनका मकसद नहीं है. उनका लक्ष्य कानून रद्द करवाना है.
यूपी के किसान भी करें बीजेपी नेताओं का विरोध
बुधवार यानी 26 मई को अंबाला के शंभू बॉर्डर पर किसानों की ओर से काला दिवस मनाया गया. जिसकी अगुवाई किसान नेता गुरनाम चढूनी ने की. इस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान चढूनी ने कहा कि यूपी के किसान हरियाणा से ज्यादा ताकत वाले हैं. उन्हें भी हरियाणा के किसानों के जैसे वहां के बीजेपी नेताओं का घेराव करना चाहिए. यूपी के किसानों से समर्थन की बात पर गुरनाम सिंह ने कहा कि हरियाणा छोटा सा स्टेट है और हम गांवों में बीजेपी नेताओं को भगाने का काम कर रहे हैं तो वहीं यूपी तो बहुत बड़ा स्टेट है और वहां के लोग हम से ताकतवर भी हैं. ऐसे में उन्हें भी नेताओं का विरोध करना चाहिए.
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ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में यूपी किसानों पर दिए इस बयान पर गुरनाम चढूनी ने कहा कि राकेश टिकैत के साथ इस पूरे मामले पर उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है. किसान आंदोलन को तेज करने के लिए उन्होंने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों से बीजेपी के नेताओं का विरोध करने की अपील की है.
संचालन के लिए बनेगी 5 सदस्यीय कमेटी
भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन (Bhartiya kisan majdoor federation) के गठन पर चढूनी ने कहा कि इस फेडरेशन के जरिए देशभर के सभी किसानों और संगठनों को आंदोलन से जोड़ा जाएगा. इसके संचालन के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी. गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ये भी दावा किया है कि किसान-मजदूर फेडरेशन असल में संयुक्त किसान मोर्चे का सहयोगी होगा. किसान-मजदूर फेडरेशन का काम स्थाई होगा. इस आंदोलन के अलावा भी किसी राज्य में कोई संगठन आंदोलन करता है तो उसका भी सहयोग किया जाएगा.