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खाप पंचायतों ने आपात बैठक में लिया फैसला, 'जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक जारी रहेगा आंदोलन' - Haryana Khap Panchayat Meeting

पिछले एक साल से चल रहा किसान आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन को लेकर एक आपात बैठक (Haryana Khap Panchayat Meeting) बुलाई. इस बैठक में खाप पंचायतों ने अभी आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है. उनका कहना है कि जब तक सारी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

Haryana Khap Panchayat Meeting Sonipat
Haryana Khap Panchayat Meeting Sonipat
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Published : Dec 1, 2021, 5:04 PM IST

सोनीपत: दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन लगातार जारी है. सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को लेकर आज खाप पंचायतों ने एक इमरजेंसी बैठक ( Haryana Khap Panchayat Meeting Sonipat) बुलाई. इसमें फैसला लिया गया कि जब तक सरकार सभी मांगें पूरी नहीं करेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा. खाप नेताओं ने कहा कि हमें हरियाणा की बीजेपी सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. वह 2016 वाला प्रकरण दोहरा सकती है. 2016 में भी हरियाणा की बीजेपी सरकार ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने का ऐलान किया था, लेकिन आज तक हरियाणा के युवा जेलों में बंद हैं.

तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को केंद्र सरकार ने मान लिया है. केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह इन कानूनों को वापस ले चुकी है. हालांकि अब किसान संगठन अपनी अन्य मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में खाप पंचायतें भी अहम भूमिका निभा रही हैं. बुधवार को सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में खाप पंचायतों ने एक तत्काल बैठक बुलाई. जिसमें फैसला लिया गया कि जब तक सरकार उनकी सभी मांगें लिखित रूप में किसानों को नहीं देगी जब तक खाप पंचायतें भी इस आंदोलन का हिस्सा रहेंगी.

खाप पंचायतों ने आपात बैठक में लिया फैसला, 'जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक जारी रहेगा आंदोलन'

ये भी पढ़ें- Farmers Protest: हरियाणा के किसान संगठनों की बैठक खत्म, आंदोलन जारी रखने का ऐलान

खाप नेता जयभगवान ने बताया कि हरियाणा की खाप पंचायतें लगातार किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी देती आ रही हैं. आज हमने सर्वजातीय खाप इमरजेंसी बैठक बुलाई क्योंकि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. हम सरकार का धन्यवाद करने यहां नहीं आए हैं, अगर सरकार एमएसपी की गारंटी पर कानून बनाए और किसान आंदोलन में दर्ज हुए मुकदमे वापस ले तो हम सरकार का धन्यवाद करेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के स्मारक के लिए कुंडली सिंघु बॉर्डर पर जमीन भी दी जाए और उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए.

बता दें कि, आज ही कुंडली बॉर्डर पर हरियाणा के 26 किसान संगठनों ने भी बैठक की है. बैठक के बाद किसान नेता मंदीप सिंह ने कहा कि जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जाएगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इसके अलावा सरकार जब तक एमएससी की गारंटी पर कानून नहीं बना देती और किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस नहीं लिए जाते हैं. तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

ये भी पढ़ें- सिंघु बॉर्डर पर आज होने वाली किसान संगठनों की बैठक रद्द

गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर आज 40 किसान संगठनों की इमरजेंसी बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में इस बैठक को रद्द कर दिया गया. वहीं हरियाणा के किसान संगठनों और पंजाब के किसान संगठनों ने बुधवार को अलग-अलग बैठकें की. पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने मंगलवार को भी सिंघु बॉर्डर पर बैठक की थी. जिसके बाद किसान नेता सतनाम सिंह ने बताया था कि केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की कमेटी के लिए पांच नाम मांगे हैं. साथ ही गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का प्रस्ताव भेजा है.

सतनाम सिंह के इस बयान के बाद आंदोलन के जल्द खत्म होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन देर रात संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया था कि आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कि सरकार लिखित में किसानों की मांगें नहीं मान लेती. बहरहाल संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर यानी की आज की आपातकालीन बैठक को तो रद्द कर दिया. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में ही तमाम फैसले लिए जाएंगे. इसी बैठक में किसान आंदोलन की रणनीति तय होगी और 5 प्रतिनिधि तय किए जाएंगे जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचात करेंगे.

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सोनीपत: दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन लगातार जारी है. सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को लेकर आज खाप पंचायतों ने एक इमरजेंसी बैठक ( Haryana Khap Panchayat Meeting Sonipat) बुलाई. इसमें फैसला लिया गया कि जब तक सरकार सभी मांगें पूरी नहीं करेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा. खाप नेताओं ने कहा कि हमें हरियाणा की बीजेपी सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. वह 2016 वाला प्रकरण दोहरा सकती है. 2016 में भी हरियाणा की बीजेपी सरकार ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने का ऐलान किया था, लेकिन आज तक हरियाणा के युवा जेलों में बंद हैं.

तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को केंद्र सरकार ने मान लिया है. केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह इन कानूनों को वापस ले चुकी है. हालांकि अब किसान संगठन अपनी अन्य मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में खाप पंचायतें भी अहम भूमिका निभा रही हैं. बुधवार को सोनीपत कुंडली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में खाप पंचायतों ने एक तत्काल बैठक बुलाई. जिसमें फैसला लिया गया कि जब तक सरकार उनकी सभी मांगें लिखित रूप में किसानों को नहीं देगी जब तक खाप पंचायतें भी इस आंदोलन का हिस्सा रहेंगी.

खाप पंचायतों ने आपात बैठक में लिया फैसला, 'जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक जारी रहेगा आंदोलन'

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खाप नेता जयभगवान ने बताया कि हरियाणा की खाप पंचायतें लगातार किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी देती आ रही हैं. आज हमने सर्वजातीय खाप इमरजेंसी बैठक बुलाई क्योंकि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. हम सरकार का धन्यवाद करने यहां नहीं आए हैं, अगर सरकार एमएसपी की गारंटी पर कानून बनाए और किसान आंदोलन में दर्ज हुए मुकदमे वापस ले तो हम सरकार का धन्यवाद करेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के स्मारक के लिए कुंडली सिंघु बॉर्डर पर जमीन भी दी जाए और उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए.

बता दें कि, आज ही कुंडली बॉर्डर पर हरियाणा के 26 किसान संगठनों ने भी बैठक की है. बैठक के बाद किसान नेता मंदीप सिंह ने कहा कि जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जाएगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इसके अलावा सरकार जब तक एमएससी की गारंटी पर कानून नहीं बना देती और किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस नहीं लिए जाते हैं. तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

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गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर आज 40 किसान संगठनों की इमरजेंसी बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में इस बैठक को रद्द कर दिया गया. वहीं हरियाणा के किसान संगठनों और पंजाब के किसान संगठनों ने बुधवार को अलग-अलग बैठकें की. पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने मंगलवार को भी सिंघु बॉर्डर पर बैठक की थी. जिसके बाद किसान नेता सतनाम सिंह ने बताया था कि केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की कमेटी के लिए पांच नाम मांगे हैं. साथ ही गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का प्रस्ताव भेजा है.

सतनाम सिंह के इस बयान के बाद आंदोलन के जल्द खत्म होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन देर रात संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया था कि आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कि सरकार लिखित में किसानों की मांगें नहीं मान लेती. बहरहाल संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर यानी की आज की आपातकालीन बैठक को तो रद्द कर दिया. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में ही तमाम फैसले लिए जाएंगे. इसी बैठक में किसान आंदोलन की रणनीति तय होगी और 5 प्रतिनिधि तय किए जाएंगे जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचात करेंगे.

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