सोनीपत: शुक्रवार को सोनीपत में प्राकृतिक खेती पर आयोजित किसान सम्मेलन में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि अगर हर परिवार को बीमारियों से बचाना है तो किसान को प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा. जिसमें गाय की भूमिका अहम हो सकती है. क्योंकि गाय के गोबर को हम बड़ी मात्रा में खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं.
कुदरती खेती का महत्व
सोनीपत में आयोजित किसान सम्मेलन में आचार्य देवव्रत ने कुदरती खेती के महत्व से अवगत कराते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसानों की आय को दोगुनी करने का सपना पूरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि वे गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्रधानाचार्य के रूप में 35 वर्ष तक कार्यरत रहे. इस दौरान वे 200 एकड़ भूमि में खेती करते रहे, किंतु उनका खर्च बढ़ता गया और उत्पादन घटता चला गया. जिसका सीधा कारण यूरिया व कीटनाशकों का प्रयोग था. इसके बाद उन्होंने जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाया.
रासायनिक खेती से नुकसान
आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती से उनका उत्पादन बढ़ने के साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती चली गई. उन्होंने कहा कि करीब 50-60 वर्ष पूर्व कहीं भी खेती में यूरिया-डीएपी का उपयोग नहीं होता था. यूरिया-डीएपी विदेशी देन है जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जाता है और उत्पादन घटता जाता है.
गाय का खेती में महत्व
देवव्रत ने कहा कि एक गाय के गोबर से 30 एकड़ में खेती के लिए प्राकृतिक खाद तैयार हो जाती है, जिसे जीवामृत (तरल) व धनजीवामृत (ठोस) खाद कहा जाता है. उन्होंने दोनों खादों को तैयार करने की विधि भी सिखाते हुए किसानों को प्रोत्साहित किया ताकि वे अपनी आय बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती करें.