सोनीपत: किसान आंदोलन अब स्थगित हो चुका (Farmer Protest Postponed) है. ज्यादातर किसान अब अपने गांवों में पहुंच चुके हैं. दिल्ली की सीमाओं पर चले इस आंदोलन में युवा किसानों की भागीदारी काबिले तारीफ थी. आज सोनीपत कुंडली बॉर्डर से युवा किसान एक ट्रक में झोपड़ी रख कर ले जाते हुए नजर (farmers Took Hut) आए.
युवा किसानों का कहना था कि अब वह किसान आंदोलन में बनी अपनी झोपड़ी को ज्यो के त्यों को लेकर जा रहे हैं ताकि उनके गांव में आने वाली पीढ़ी किसान आंदोलन के बारे में जानकारी ले सकें. ये किसान पंजाब से आए हुए हैं. इन्हीं झोपड़ियों में रहकर किसानों ने किसान आंदोलन किया और सरकार को मजबूर किया कि वह तीनों कृषि कानूनों रदद् करें और उनकी मांगे माने. आखिरकार सरकार झुकी और किसानों की सभी मांगे पूरी की.
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गौरतलब है कि 9 दिसंबर को किसान मोर्चा के आह्वान के बाद किसान 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमाओं को खाली कर रहे हैं. सोनीपत कुंडली बॉर्डर से भी अब किसान अपनी झोपड़ी और टेंट खाली कर घर जा चुके हैं.
युवा किसान सुखविंदर और जितेंद्र ने बताया कि जब किसान आंदोलन शुरू हुआ तो हमने यहां आकर अपने घर बसाए थे. अब अपने घरों को लेकर हम वापस अपने गांव जा रहे हैं. हम अपनी झोपड़ी को इसलिए लेकर जा रहे हैं ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी किसान आंदोलन को याद कर सके और इस संघर्ष को कभी ना भूले.
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