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कृषि कानूनों पर फूटा किसानों का गुस्सा, बोले- बीजेपी के राज में जीरी गई ब्याज में - बरोदा गांव रोजगार विधानसभा उपचुनाव 2020

किसानों ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा की कांग्रेस सरकार में उनको धान की फसल के सही दाम मिले, लेकिन बीजेपी ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा. यहां एक नारा भी बरोदा गांव के किसानों ने दिया. किसानों ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा के राज में जीरी गई जहाज में और बीजेपी के राज में जीरी गई ब्याज में.

baroda assembly by election 2020
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Published : Oct 23, 2020, 7:34 AM IST

बरोदा: हरियाणा की बरोदा विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव होना है. इससे पहले बरोदा की जनता किन मुद्दों को लेकर वोट डालेगी ये जानने के लिए ईटीवी भारत हरियाणा की टीम पहुंची बरोदा विधानसभा के बरोदा गांव. ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में लोग बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार से खासे नाराज दिखे. शिक्षा का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य का क्षेत्र हो, किसान के मुद्दे हो या फिर गांव का विकास बरोदा गांव के लोगों के मुताबिक बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार सभी मोर्चों पर फेल साबित हुई है.

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में ज्यादा रोष दिखा. गांव के किसानों ने बताया कि भले ही सरकार एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर धान की खरीद का दावा कर रही है. लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है. एमएसपी पर खरीद नहीं होने की वजह से किसानों की फसल औने-पौने दामों पर बिकी है.

कृषि कानूनों पर फूटा बरोदा की जनता का गुस्सा, क्लिक कर देखें रिपोर्ट

किसानों में रोष

किसानों ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा की कांग्रेस सरकार में उनको धान की फसल के सही दाम मिले, लेकिन बीजेपी ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा. यहां एक नारा भी बरोदा गांव के किसानों ने दिया. किसानों ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा के राज में जीरी गई जहाज में और बीजेपी के राज में जीरी गई ब्याज में.

आपको बता दें कि बरोदा हलके का नाम बरोदा गांव के नाम से पड़ा और बरोदा इस विधानसभा का सबसे बड़ा गांव है. यहां पर 11 हजार से ज्यादा वोटर हैं. इस गांव की भौगोलिक स्थिति की अगर बात करें तो ये गोहाना तहसील से 15 किलोमीटर दूर है और सोनीपत बस स्टैंड से 70 किलोमीटर दूर है. जहां पर ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की हालात बहुत ही ख़राब है.

युवा भी सरकार से नाराज

बरोदा गांव के लोगों ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान कहा कि यहां अधिकतर लोग खेती बाड़ी पर निर्भर हैं और बीजेपी सरकार जो कृषि के क्षेत्र में 3 नए कानून लेकर आई है उनसे ये अच्छे खासे नाराज हैं. एक युवा किसान ने कहा कि पिछली सरकार में 1 महीने में 3 हफ्ते नहरी पानी मिलता था, लेकिन अब स्थिति बिल्कुल उलट है अब तो मुश्किल से 2 महीने ही सिंचाई के लिए नहर में पानी आता है, वहीं पानी निकासी के लिए भी हमें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- बरोदा उपचुनाव: किसानों की नाराजगी बीजेपी को पड़ सकती है भारी, देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

एक युवा ने सरकार की व्यवस्था की पोल खोलते हुए बताया कि हमारे इस हलके का विकास ना तो कांग्रेस राज में हुआ और ना ही इस बीजेपी राज में. कोई उद्योग यहां नहीं खोला गया. जिसकी वजह से युवाओं को केवल खेती-बाड़ी पर ही निर्भर होना पड़ रहा है. युवाओं ने कहा कि हमारे यहां कोई भी बड़ा उद्योग स्थापित नहीं हुआ और ना ही कोई बड़ी यूनिवर्सिटी है. स्वास्थ्य क्षेत्र में भी हमारा इलाका पिछड़ा हुआ है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में जिस तरह से बरोदा की जनता ने अपने विचार रखे. उससे देखकर तो लग रहा है कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की सरकार के कामकाज से लोग खुश नहीं हैं. खासकर किसान वर्ग बीजेपी से ज्यादा नाराज है.

बरोदा: हरियाणा की बरोदा विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव होना है. इससे पहले बरोदा की जनता किन मुद्दों को लेकर वोट डालेगी ये जानने के लिए ईटीवी भारत हरियाणा की टीम पहुंची बरोदा विधानसभा के बरोदा गांव. ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में लोग बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार से खासे नाराज दिखे. शिक्षा का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य का क्षेत्र हो, किसान के मुद्दे हो या फिर गांव का विकास बरोदा गांव के लोगों के मुताबिक बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार सभी मोर्चों पर फेल साबित हुई है.

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में ज्यादा रोष दिखा. गांव के किसानों ने बताया कि भले ही सरकार एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर धान की खरीद का दावा कर रही है. लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है. एमएसपी पर खरीद नहीं होने की वजह से किसानों की फसल औने-पौने दामों पर बिकी है.

कृषि कानूनों पर फूटा बरोदा की जनता का गुस्सा, क्लिक कर देखें रिपोर्ट

किसानों में रोष

किसानों ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा की कांग्रेस सरकार में उनको धान की फसल के सही दाम मिले, लेकिन बीजेपी ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा. यहां एक नारा भी बरोदा गांव के किसानों ने दिया. किसानों ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा के राज में जीरी गई जहाज में और बीजेपी के राज में जीरी गई ब्याज में.

आपको बता दें कि बरोदा हलके का नाम बरोदा गांव के नाम से पड़ा और बरोदा इस विधानसभा का सबसे बड़ा गांव है. यहां पर 11 हजार से ज्यादा वोटर हैं. इस गांव की भौगोलिक स्थिति की अगर बात करें तो ये गोहाना तहसील से 15 किलोमीटर दूर है और सोनीपत बस स्टैंड से 70 किलोमीटर दूर है. जहां पर ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की हालात बहुत ही ख़राब है.

युवा भी सरकार से नाराज

बरोदा गांव के लोगों ने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान कहा कि यहां अधिकतर लोग खेती बाड़ी पर निर्भर हैं और बीजेपी सरकार जो कृषि के क्षेत्र में 3 नए कानून लेकर आई है उनसे ये अच्छे खासे नाराज हैं. एक युवा किसान ने कहा कि पिछली सरकार में 1 महीने में 3 हफ्ते नहरी पानी मिलता था, लेकिन अब स्थिति बिल्कुल उलट है अब तो मुश्किल से 2 महीने ही सिंचाई के लिए नहर में पानी आता है, वहीं पानी निकासी के लिए भी हमें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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एक युवा ने सरकार की व्यवस्था की पोल खोलते हुए बताया कि हमारे इस हलके का विकास ना तो कांग्रेस राज में हुआ और ना ही इस बीजेपी राज में. कोई उद्योग यहां नहीं खोला गया. जिसकी वजह से युवाओं को केवल खेती-बाड़ी पर ही निर्भर होना पड़ रहा है. युवाओं ने कहा कि हमारे यहां कोई भी बड़ा उद्योग स्थापित नहीं हुआ और ना ही कोई बड़ी यूनिवर्सिटी है. स्वास्थ्य क्षेत्र में भी हमारा इलाका पिछड़ा हुआ है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में जिस तरह से बरोदा की जनता ने अपने विचार रखे. उससे देखकर तो लग रहा है कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की सरकार के कामकाज से लोग खुश नहीं हैं. खासकर किसान वर्ग बीजेपी से ज्यादा नाराज है.

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