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सिरसा का बदहाल सरकारी स्कूल, अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे छात्र

ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने सिरसा के गांव चत्तरगढ़ पट्टी के राजकीय कन्या बाल विद्यालय का दौरा किया. हमारी इस पड़ताल में सामने आया कि प्रशासन इस स्कूल को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं है और शायद इसलिए आज तक छात्रों को पीने का मीठा पानी नहीं मिल रहा है. स्कूल की चारदीवारी नहीं बनाई गई है. साथ ही छात्रों के बैठने के लिए पर्याप्त बैंच भी स्कूल में मौजूद नहीं है.

सुनिए शिक्षा मंत्री
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Published : Nov 22, 2019, 7:10 AM IST

सिरसा: हरियाणा सरकार ने अपने बीते कार्यकाल में विकास के कई दावे किए. साथ ही ये भी दावा किया कि हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों की दशा सुधार दी है, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों के आसपास भी नहीं दिखती. सिरसा के गांव चत्तरगढ़ पट्टी का राजकीय कन्या बाल विद्यालय सरकार के विकास के दावों की पोल खोलता दिखाई पड़ता है.

नहीं बनी चारदीवारी, आवारा पशुओं का जमावड़ा
सिरसा के गांव चत्तरगढ़ पट्टी में साल 2011 में राजकीय कन्या बाल विद्यालय का निर्माण किया गया. स्कूल की इमारत तो बना दी गई, लेकिन शायद प्रशासन को लगा कि स्कूल को चारदीवारी की जरूरत नहीं है इसलिए 8 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी स्कूल की चारदीवारी नहीं बनाई गई.

शिक्षा मंत्री सुनिए: क्या है आपके सरकारी स्कूल की हालत ?

चारदीवारी नहीं बनाए जाने के कारण स्कूल में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. स्कूली छात्र-छात्राओं ने हमें बताया कि कैसे उन्हें आवारा पशुओं का सामना करना पड़ता है. कई बार तो बीच क्लास में आवारा पशु आ जाते हैं. जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है.

रात में शराबियों का अड्डा बनता है ये स्कूल, नहीं कोई सुरक्षा
स्कूल में चारदीवारी नहीं होने के चलते हमेशा असुरक्षा का माहौल बना रहता है. एक तरफ दिन में आवारा पशु स्कूल में घुस जाते हैं, तो दूसरी तरफ रात में स्कूल शराबियों का अड्डा बन जाता है. अब शिक्षा मंदिर रात को शराबियों का अड्डा बन जाता है, लेकिन प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है.

ये भी पढ़ें- नूंह के सरकारी स्कूल में नहीं एक भी शिक्षक, बिन गुरु ज्ञान प्राप्त करते हैं 83 'एकलव्य'!

स्कूल में मीठे पानी को तरसते छात्र, सोया प्रशासन
गांव चत्तरगढ़ पट्टी के राजकीय कन्या बाल विद्यालय में कई तरह की समस्याएं हैं, जिनमें से एक बड़ी समस्या पीने के पानी की है. छात्रों को स्कूल में मीठा पानी पीने को नहीं मिलता है. स्कूली छात्रों ने बताया कि वो खारा पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं अध्यापिका का कहना है कि बच्चे खारा पानी पीना बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं. साथ ही मिड-डे मील भी खारे पानी से बनाया जाता है जो बे-स्वाद लगता है.

खुले आसमान के नीचे चुल्हे पर बनता है मिड-डे मील
ईटीवी भारत की टीम ने जब स्कूल के हालात के बारे में और जानना चाहा, तो हमें मालूम हुआ कि स्कूल में मिड-डे मील भी खुले में बनाया जाता है. अध्यापिक ने बताया कि कई बार बारिश-आंधी में सारा खाना खराब हो जाता है और जिस जगह चुल्हा बनाया गया वो भी खराब हो जाता है.

स्कूली छात्रों की सरकार से क्या है मांग ?
स्कूली छात्रों से जब हमने ये सवाल किया कि वो सरकार से मांग करना चाहते हैं, तो ज्यादातर छात्रों का कहना था कि वो चाहते हैं उनका स्कूल प्राइवेट स्कूल जैसा होना चाहिए. छोटे-छोटे बच्चों की मांग है कि स्कूल की चारदीवारी बनाई जाए, ताकि आवारा पशु स्कूल में न घुस सकें.

छात्रों ने ये भी बताया कि उनके स्कूल में टेबल और मेज की भी काफी कमी है. स्कूल में बच्चों के मुकाबले मेज-टेबल काफी कम हैं जिस कारण उन्हें स्कूल के बाहर पार्क में बैठकर पढ़ना पड़ता है. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो प्रशासन और हरियाणा सरकार ईटीवी भारत हरियाणा की पड़ताल में पूरी तरह से फेल साबित हुई है.

ये भी पढ़ें- सुनिए शिक्षा मंत्री: बघौला सरकारी स्कूल में बच्चे ज्ञान के लिए दांव पर लगा रहे हैं जान

सिरसा: हरियाणा सरकार ने अपने बीते कार्यकाल में विकास के कई दावे किए. साथ ही ये भी दावा किया कि हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों की दशा सुधार दी है, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों के आसपास भी नहीं दिखती. सिरसा के गांव चत्तरगढ़ पट्टी का राजकीय कन्या बाल विद्यालय सरकार के विकास के दावों की पोल खोलता दिखाई पड़ता है.

नहीं बनी चारदीवारी, आवारा पशुओं का जमावड़ा
सिरसा के गांव चत्तरगढ़ पट्टी में साल 2011 में राजकीय कन्या बाल विद्यालय का निर्माण किया गया. स्कूल की इमारत तो बना दी गई, लेकिन शायद प्रशासन को लगा कि स्कूल को चारदीवारी की जरूरत नहीं है इसलिए 8 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी स्कूल की चारदीवारी नहीं बनाई गई.

शिक्षा मंत्री सुनिए: क्या है आपके सरकारी स्कूल की हालत ?

चारदीवारी नहीं बनाए जाने के कारण स्कूल में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. स्कूली छात्र-छात्राओं ने हमें बताया कि कैसे उन्हें आवारा पशुओं का सामना करना पड़ता है. कई बार तो बीच क्लास में आवारा पशु आ जाते हैं. जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है.

रात में शराबियों का अड्डा बनता है ये स्कूल, नहीं कोई सुरक्षा
स्कूल में चारदीवारी नहीं होने के चलते हमेशा असुरक्षा का माहौल बना रहता है. एक तरफ दिन में आवारा पशु स्कूल में घुस जाते हैं, तो दूसरी तरफ रात में स्कूल शराबियों का अड्डा बन जाता है. अब शिक्षा मंदिर रात को शराबियों का अड्डा बन जाता है, लेकिन प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है.

ये भी पढ़ें- नूंह के सरकारी स्कूल में नहीं एक भी शिक्षक, बिन गुरु ज्ञान प्राप्त करते हैं 83 'एकलव्य'!

स्कूल में मीठे पानी को तरसते छात्र, सोया प्रशासन
गांव चत्तरगढ़ पट्टी के राजकीय कन्या बाल विद्यालय में कई तरह की समस्याएं हैं, जिनमें से एक बड़ी समस्या पीने के पानी की है. छात्रों को स्कूल में मीठा पानी पीने को नहीं मिलता है. स्कूली छात्रों ने बताया कि वो खारा पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं अध्यापिका का कहना है कि बच्चे खारा पानी पीना बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं. साथ ही मिड-डे मील भी खारे पानी से बनाया जाता है जो बे-स्वाद लगता है.

खुले आसमान के नीचे चुल्हे पर बनता है मिड-डे मील
ईटीवी भारत की टीम ने जब स्कूल के हालात के बारे में और जानना चाहा, तो हमें मालूम हुआ कि स्कूल में मिड-डे मील भी खुले में बनाया जाता है. अध्यापिक ने बताया कि कई बार बारिश-आंधी में सारा खाना खराब हो जाता है और जिस जगह चुल्हा बनाया गया वो भी खराब हो जाता है.

स्कूली छात्रों की सरकार से क्या है मांग ?
स्कूली छात्रों से जब हमने ये सवाल किया कि वो सरकार से मांग करना चाहते हैं, तो ज्यादातर छात्रों का कहना था कि वो चाहते हैं उनका स्कूल प्राइवेट स्कूल जैसा होना चाहिए. छोटे-छोटे बच्चों की मांग है कि स्कूल की चारदीवारी बनाई जाए, ताकि आवारा पशु स्कूल में न घुस सकें.

छात्रों ने ये भी बताया कि उनके स्कूल में टेबल और मेज की भी काफी कमी है. स्कूल में बच्चों के मुकाबले मेज-टेबल काफी कम हैं जिस कारण उन्हें स्कूल के बाहर पार्क में बैठकर पढ़ना पड़ता है. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो प्रशासन और हरियाणा सरकार ईटीवी भारत हरियाणा की पड़ताल में पूरी तरह से फेल साबित हुई है.

ये भी पढ़ें- सुनिए शिक्षा मंत्री: बघौला सरकारी स्कूल में बच्चे ज्ञान के लिए दांव पर लगा रहे हैं जान

Intro:एंकर - हरियाणा सरकार अपने पिछले पांच साल के कार्यों और विकास और खासकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर भले ही बड़े बड़े दावे कर रही हो। लेकिन सिरसा के गाँव चतरगढ़ पटी का राजकीय कन्या बाल विद्यालय हरियाणा सरकार के विकास की पोल खोलता दिख रहा है। और सिरसा के प्रशासन को भी सवालों के घेरे में ले रहा है। चतरगढ़ पटी के इस विद्यालय की हालत बद से बतर हो गई है। आलम यह है कि यह विद्यालय नशेड़ियों का अड्डा बन गया है।Body:

वीओ - हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग भले ही शिक्षा व्यवस्था को लेकर अपने बड़े बड़े दावे कर रही हो लेकिन सिरसा के गाँव चतरगढ़ पटी का राजकीय कन्या बाल विद्यालय हरियाणा सरकार और सिरसा के प्रशासन के शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है। साल 2011 में बना चत्तरगढ़पट्टी का यह स्कूल बदहाल हालत में है। स्कूल की मुख्य द्वार की बात तो दूर , स्कूल की चार दीवारी सालों से नही बनाई गई है। जिसकी वजह से स्कूल में आवारा पशुओं का झुंड घूमता रहता है। आलम यह है कि रात को यह स्कूल नशेड़ियों का पसंदीदा अड्डा बन जाता है। जिससे इस स्कूल के छात्रों और अध्यापकों में डर का माहौल बना हुआ है। एक तरफ जहां सरकार बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा देती है वहीं दूसरी तरफ बेटियों के इस स्कूल को सालों से एक चार दीवारी तक नही दे पाई है। जहां एक तरफ स्कूल में चार दीवारी नहीं है वहीं दूसरी तरफ बच्चों का मिडे मिल का खाना खुले आसमान में और लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है। अगर मौसम बारिश का हो तो वही मिडे मिल बच्चों के क्लास रूम में बनाया जाता है जिसमे लकड़ी का धुआं बच्चों की आंखों में लगता है जो काफी हानिकारक है। अध्यापकों का कहना है कि न चाहते हुए भी हमे ये करना पड़ता है। इस स्कूल में पीने का पानी भी एक मुख्य समस्या है , और बच्चों के बैठने की व्यवस्था अध्यापक अपने खर्चे पर करते हैं। छात्रों और अध्यापकों की सरकार से मांग है कि वह उन्हें वह सुविधाएं मुहैया करवाये जो शहर के अन्य सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में दी जाती है।

बाइट - अध्यापक & स्टूडेंट्सConclusion:
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