सिरसा: हरियाणा सरकार ने अपने बीते कार्यकाल में विकास के कई दावे किए. साथ ही ये भी दावा किया कि हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों की दशा सुधार दी है, लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों के आसपास भी नहीं दिखती. सिरसा के गांव चत्तरगढ़ पट्टी का राजकीय कन्या बाल विद्यालय सरकार के विकास के दावों की पोल खोलता दिखाई पड़ता है.
नहीं बनी चारदीवारी, आवारा पशुओं का जमावड़ा
सिरसा के गांव चत्तरगढ़ पट्टी में साल 2011 में राजकीय कन्या बाल विद्यालय का निर्माण किया गया. स्कूल की इमारत तो बना दी गई, लेकिन शायद प्रशासन को लगा कि स्कूल को चारदीवारी की जरूरत नहीं है इसलिए 8 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी स्कूल की चारदीवारी नहीं बनाई गई.
चारदीवारी नहीं बनाए जाने के कारण स्कूल में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. स्कूली छात्र-छात्राओं ने हमें बताया कि कैसे उन्हें आवारा पशुओं का सामना करना पड़ता है. कई बार तो बीच क्लास में आवारा पशु आ जाते हैं. जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होती है.
रात में शराबियों का अड्डा बनता है ये स्कूल, नहीं कोई सुरक्षा
स्कूल में चारदीवारी नहीं होने के चलते हमेशा असुरक्षा का माहौल बना रहता है. एक तरफ दिन में आवारा पशु स्कूल में घुस जाते हैं, तो दूसरी तरफ रात में स्कूल शराबियों का अड्डा बन जाता है. अब शिक्षा मंदिर रात को शराबियों का अड्डा बन जाता है, लेकिन प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है.
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स्कूल में मीठे पानी को तरसते छात्र, सोया प्रशासन
गांव चत्तरगढ़ पट्टी के राजकीय कन्या बाल विद्यालय में कई तरह की समस्याएं हैं, जिनमें से एक बड़ी समस्या पीने के पानी की है. छात्रों को स्कूल में मीठा पानी पीने को नहीं मिलता है. स्कूली छात्रों ने बताया कि वो खारा पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं अध्यापिका का कहना है कि बच्चे खारा पानी पीना बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं. साथ ही मिड-डे मील भी खारे पानी से बनाया जाता है जो बे-स्वाद लगता है.
खुले आसमान के नीचे चुल्हे पर बनता है मिड-डे मील
ईटीवी भारत की टीम ने जब स्कूल के हालात के बारे में और जानना चाहा, तो हमें मालूम हुआ कि स्कूल में मिड-डे मील भी खुले में बनाया जाता है. अध्यापिक ने बताया कि कई बार बारिश-आंधी में सारा खाना खराब हो जाता है और जिस जगह चुल्हा बनाया गया वो भी खराब हो जाता है.
स्कूली छात्रों की सरकार से क्या है मांग ?
स्कूली छात्रों से जब हमने ये सवाल किया कि वो सरकार से मांग करना चाहते हैं, तो ज्यादातर छात्रों का कहना था कि वो चाहते हैं उनका स्कूल प्राइवेट स्कूल जैसा होना चाहिए. छोटे-छोटे बच्चों की मांग है कि स्कूल की चारदीवारी बनाई जाए, ताकि आवारा पशु स्कूल में न घुस सकें.
छात्रों ने ये भी बताया कि उनके स्कूल में टेबल और मेज की भी काफी कमी है. स्कूल में बच्चों के मुकाबले मेज-टेबल काफी कम हैं जिस कारण उन्हें स्कूल के बाहर पार्क में बैठकर पढ़ना पड़ता है. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो प्रशासन और हरियाणा सरकार ईटीवी भारत हरियाणा की पड़ताल में पूरी तरह से फेल साबित हुई है.
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