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सिरसा: संतनगर की भगत हॉकी एकाडमी में जबरदस्त खिलाड़ी हो रहे तैयार, लड़कियां कर रहीं कमाल

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Published : Aug 26, 2019, 11:52 PM IST

हॉकी का नाम लेते ही जहन में एक ही नाम आता है और वो है सिरसा संतनगर का खेल स्टेडियम. हॉकी को नई पहचान दिलाने के लिए यहां खिलाड़ियों की नई फौज तैयार की जा रही है.

संतनगर की भगत हॉकी अकादमी में जबरदस्त खिलाड़ी हो रहे तैयार

सिरसाः संतनगर गांव का खेल स्टेडियम मेडल्स की मशीन बन गया है. भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सरदारा सिंह यही पर प्रेक्टिस किया करते थे. खास बात ये है कि यहां भगत सिंह हॉकी एकेडमी फ्री में ही लड़कियों को ट्रेनिंग दे रही है. हॉकी के साथ शॉटपुट, बेसबॉल, क्रिकेट और एथेलेटिक्स के गेम्स भी करवाए जाते हैं.

सिरसा में तैयार हो रही खिलाड़ियों की फौज

अकेडमी के संचालक का कहना है कि संतनगर का नाम हॉकी की दुनिया में शान से लिया जाता है. इसी के मद्देनजर यहां बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है. अकेडमी में प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों का कहना है कि उनका प्रयास रहता है कि बच्चे को शुरू से ही तैयार किया जाए. अगर बच्चा 5 या 6 साल की उम्र में प्रशिक्षण लेने लग जाए तो उसमें प्रतिभा ज्यादा होती है.

इस अकेडमी में बेटियों को ज्यादा तवज्जों दी जाती है. उनकी निशुल्क ट्रेनिंग के साथ ये अकेडमी जरूरत का सामान उपलब्ध करवाती है. दो साल में यहां से लगभग 12 लड़कियां प्रदेश स्तर पर हॉकी में गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीत चुकी हैं.

सिरसाः संतनगर गांव का खेल स्टेडियम मेडल्स की मशीन बन गया है. भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सरदारा सिंह यही पर प्रेक्टिस किया करते थे. खास बात ये है कि यहां भगत सिंह हॉकी एकेडमी फ्री में ही लड़कियों को ट्रेनिंग दे रही है. हॉकी के साथ शॉटपुट, बेसबॉल, क्रिकेट और एथेलेटिक्स के गेम्स भी करवाए जाते हैं.

सिरसा में तैयार हो रही खिलाड़ियों की फौज

अकेडमी के संचालक का कहना है कि संतनगर का नाम हॉकी की दुनिया में शान से लिया जाता है. इसी के मद्देनजर यहां बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है. अकेडमी में प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों का कहना है कि उनका प्रयास रहता है कि बच्चे को शुरू से ही तैयार किया जाए. अगर बच्चा 5 या 6 साल की उम्र में प्रशिक्षण लेने लग जाए तो उसमें प्रतिभा ज्यादा होती है.

इस अकेडमी में बेटियों को ज्यादा तवज्जों दी जाती है. उनकी निशुल्क ट्रेनिंग के साथ ये अकेडमी जरूरत का सामान उपलब्ध करवाती है. दो साल में यहां से लगभग 12 लड़कियां प्रदेश स्तर पर हॉकी में गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक जीत चुकी हैं.

Intro:एंकर - हाॅकी जो कि भारत का राश्ट्रीय खेल है। सिरसा जिले में हाॅकी का नाम लेते ही सभी के जहन में एक ही गांव का नाम आता है संतनगर। वही संतनगर जिस गांव से हाॅकी की राश्ट्रीय टीम का हिस्सा रहे हैं सरदारा सिंह। उसी गांव संत नगर में एक ऐसी एकैडमी जो लडकियों को हाॅकी में एक अलग पहचान दिलाने के लिए शुरू की गई है। हम बात कर रहे हैं संतनगर में स्थित भगत हाॅकी अकैडमी की जो निशुल्क लडकियों को हाॅकी का प्रशिक्षण तो दे रही रही है इसके साथ साथ एथेलेटिक्स व बेसबाॅल के लिए भी लडकियों को तैयार कर रही है।

Body:वीओ 1 - सामने दिखाई दे रही तस्वीरें सिरसा के गांव संतनगर की भगत हाॅकी अकैडमी की हैं। जहां लडकियों को तीन खेलों हाॅकी, एथेलेटिक्स व बेसबाॅल का प्रशिक्षण बिल्कुल फ्री दिया जाता है। इसके साथ ही सभी खेलों में प्रयोग होने वाला खेल का सामान भी इसी अकैडमी द्वारा खिलाडियों को दिया जाता है। इस अकैडमी में लडके व लडकियां एक साथ अभ्यास करते हुए दिखाई देते हैं ताकि लडकियों को अच्छा प्रशिक्षण मिल सके। इतना ही नहीं इस अकैडमी में लडकियों के लिए अलग से महिला प्रशिक्षक लडकियों को प्रशिक्षण देती हैं। अगर हम बात करें तो इस अकैडमी में लडके और लडकियां दोनों ही प्रशिक्षण लेने आते हैं लेकिन लडके केवल भगत पब्लिक स्कूल के ही हैं और लडकियां किसी भी गांव स्कूल या शहर से इस अकैडमी में प्रशिक्षण ले सकती हैं। यहां खेलने आने वाले खिलाडियों ने इस अकैडमी कें बारे में कहा कि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होने दी जाती। जिस भी सामान की आवश्यकता होती है वह तुरंत उपलब्ध हो जाता है। इस अकैडमी में कुल 60 खिलाडी प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं।
बाईट - प्रीत, सिमरन, सिमरनप्रीत, मनजीत सिंह खिलाडी।

वीओ 2 - वहीं अगर हम बात करें तो इस अकैडमी के संचालक का कहना है कि संतनगर का नाम हाॅकी की दुनियां में बडी शान से लिया जाता है। इसी के मध्यनजर उन्होंने हाॅकी के लिए अकैडमी खोलने का मन बनाया और तीन साल पहले इसकी छोटी सी शुरूआत कर दी। अकैडमी के संचालक का कहना है कि इस अकैडमी को शुरू करने का मुख्य उददेश्य केवल और केवल लडकियों को हाॅकी के लिए तैयार करना था। आज लगभग 60 बच्चे इस अकैडमी में प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं जिनमें से 40 लडकियां हैं। इस अकैडमी में लडके केवल भगत पब्लिक स्कूल के ही प्रशिक्षण लेते हैं जबकि लडकियां आस पास के गांवों से जो कि सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करती हैं प्रशिक्षण के लिए आती हैं।यहां किसी भी खिलाडी से किसी प्रकार की कोई फीस नहीं ली जाती।
बाईट - नवप्रीत सिंह, संचालक।

वीओ 3 - वहीं अगर हम बात करें तो इस अकैडमी में प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों का कहना है कि उनका प्रयास रहता है कि बच्चे को शुरू से ही तैयार किया जाए। जब बच्चा 5 या 6 साल का होता है तो अगर वह प्रशिक्षण लेने लग जाए तो जब स्कूली खेलों में खेलने जाता है तो उसकी प्रतिभा अलग ही होगी। इसलिए वे छोटे बच्चों को तीन खेलों के लिए तैयार करते हैं।
बाईट - गुरदीप, नवजोत कोच।

Conclusion:वीओ 4 - हरियाणा सरकार का नारा बेटी बचाओ बेटी पढाओ बेटी खिलाओ को यह अकैडमी सही साबित करती नजर आ रही है। अगर इस अकैडमी की उपलब्धियों की बात करें तो लगभग 12 लडकियां प्रदेश स्तर पर हाॅकी में गोल्ड सिल्वर व कांस्य पदक जीत चुकी हैं। अकादमी में जो भी लडकी प्रशिक्षण लेने के लिए आती है वह किसी न किसी खेल में प्रदेश स्तर का पदक अवश्य लेकर आई है। संचालक का कहना है कि ग्रामीण इलाके से लडकियों को उपर उठाने का वे एक छोटा सा प्रयास कर रहे हैं जो कि सार्थक होता नजर आ रहा है।
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