सिरसा: देश के अलग-अलग हिस्सों में कृषि कानूनों को लेकर लगातार विरोध जारी है. सरकार भले ही कृषि कानूनों को किसानों के हित में बता रही है, लेकिन किसान सरकार की बात सुनने को तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि ये तीनों कृषि कानून किसानों को पूंजिपतियों के हाथों की कठपुतली बनाने के लिए तैयार किया गया है.
सिरसा में भी किसान कृषि कानूनों का लगातार विरोध कर रहे हैं. जिले के किसान इस दशहरे पर कृषि कानूनों के विरोध में अपने गांवों में रावण की जगह पीएम नरेंद्र मोदी का पुतला दहन करने का निर्णय लिया है. किसानों का कहना है कि हम रावण का नहीं रावण के बुराइयों को दशहरा के अवसर पर जलाते हैं. ठीक उसी प्रकार हम पीएम का नहीं पीएम नरेंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में पुतला जलाएंगे.
किसान नेता विकल पचार ने कहा कि देश की आजादी के 70 साल बाद किसान को लोकसभा और राज्यसभा में बेचा गया है. किसान लगातार पटरियों पर बैठकर सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहा है, लेकिन सरकार कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है. इसलिए किसान संगठनों ने फैसला किया है कि इस साल पीएम का पुतला दहन किया जाएगा.
किसान नेता ने कहा कि दशहरा के अवसर पर रावण का पुतला दहन ना करके किसानों के लिए रावण बने नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया जाएगा. ताकि सरकार इन तीन काले कानूनों को वापस ले और किसानों को लाभकारी मुल्य देने के लिए एक कानून बनाए.
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