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सरकार ने बनाया 'जीरो बर्निंग' पराली का टारगेट, सिरसा के 25 गांव रेड जोन में - sirsa red zone villages

हरियाणा सरकार ने सिरसा के 25 गांवों को रेड जोन में शामिल किया है. ये वो गांव हैं जहां सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आते हैं. वहीं जिले के 51 गांव ऑरेंज जोन में शामिल हैं. उधर, किसान सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं. उनका कहना है कि पराली ना जलाएं तो उसका क्या करें?

stubble burning management policy
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Published : Sep 13, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Sep 13, 2020, 7:24 PM IST

सिरसा: अक्टूबर और नवंबर का महीना आते ही हरियाणा में पराली एक बड़ी समस्या बन जाती है. इस दौरान पराली के कारण पूरे उत्तर भारत में जबरदस्त प्रदूषण होता है, इसलिए इस बार प्रशासन और सरकार ने पहले ही पराली जलाने को लेकर योजना बनानी शुरू कर दी है.

इसी कड़ी में सिरसा के 25 गांवों को प्रशासन ने रेड जोन में शामिल किया है. रेड जोन में वो गांव शामिल किए गए हैं, जहां पांच या इससे अधिक बार पराली जलाने के मामले सेटेलाइट से पकड़े गए हैं. वहीं 51 अन्य गांवों को ऑरेंज जोन में माना गया है, जहां दो या इससे अधिक के केस लिए गए हैं.

पराली प्रबंधन को लेकर सरकार की योजना से किसान नाखुश, देखें ये स्पेशल रिपोर्ट

ये भी पढे़ं- पराली जलाने के जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मुख्य सचिव ने दिए निर्देश

प्रशासन और सरकार के इस फैसले से सिरसा के किसान नाखुश दिखाई दे रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करती है, लेकिन जो दूसरी समस्याएं किसानों के सामने बनी हुई हैं, उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता.

किसान नेता विकल पचार कहते हैं कि सरकार को सिर्फ पराली मुद्दा दिखता है, लेकिन उसका समाधान सरकार नहीं करना चाहती. वो कहते हैं कि ना तो सरकार किसानों को पराली खत्म करने के लिए यंत्र देती है और ना ही पराली ना जलाने वाले किसानों को आज तक सब्सिडी दी गई है.

किसानों को एक बेहतर विकल्प की तलाश

बता दें कि, हरियाणा सरकार ने सिरसा में पराली को लेकर 76 गांवों को चिन्हित किया है. इनमें से 25 गांव रेड जोन और 51 गांव ऑरेंज जोन में शामिल हैं. सरकार ने इन गांवों में निगरानी के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिए हैं, लेकिन असल समस्या किसानों के सामने है. ज्यादातर किसानों का अभी भी यही सवाल है कि अगर वो पराली को ना जलाएं तो आखिर उसका करें क्या? किसान सरकार से बस एक बेहतर विकल्प चाहते हैं.

रेड जोन में आने वाले गांव

अलीकां, बणी, चामल, दादू, दड़बा कलां, धोतड़, फरवाईं, जीवन नगर, जोधकां, करीवाला, कासन खेड़ा, माधोसिघाना, मत्तड़, नहरांवाली, नरेलखेड़ा, नटार, पनिहारी, रंगड़ी खेड़ा, रानियां, रोड़ी, शाहपुर बेगू, सिकंदरपुर, सुचान, सुरतिया, तलवाड़ा खुर्द.

ऑरेंज जोन में शामिल गांव

भादड़ा, बप्पां, दौलतपुर खेड़ा, लहंगेवाला, नागोकी, नेजाडेला खुर्द, पक्कां, रंगा,देसूजोधां, पन्नीवाला मोरिका, फूलो, हुमायूखेड़ा, कुत्ताबढ़, मल्लेकां, ममेरां, ठोबरिया, बग्गूवाली, कैरांवाली, मोडियाखेड़ा, देसूमलकाना, केवल, खुइयां मलकाना, तख्तमल, अभोली, बाहिया, धनूर, ढूढियांवाली, फिरोजाबाद, हरिपुरा, कुस्सर, मोहम्मदपुरिया, मौजदीन, नगराना, ओटू, बाजेकां, बनसुधार, भावदीन, दड़बी, हांडीखेड़ा, झोरड़नाली, कंगनपुर, केलनिया, नीलांवाली, मंगाला, मीरपुर, मोहम्मदपुर सलार, नेजाडेला कलां, रसालपुर, शहीदांवाली, शमशाबाद, वैदवाला.

सिरसा: अक्टूबर और नवंबर का महीना आते ही हरियाणा में पराली एक बड़ी समस्या बन जाती है. इस दौरान पराली के कारण पूरे उत्तर भारत में जबरदस्त प्रदूषण होता है, इसलिए इस बार प्रशासन और सरकार ने पहले ही पराली जलाने को लेकर योजना बनानी शुरू कर दी है.

इसी कड़ी में सिरसा के 25 गांवों को प्रशासन ने रेड जोन में शामिल किया है. रेड जोन में वो गांव शामिल किए गए हैं, जहां पांच या इससे अधिक बार पराली जलाने के मामले सेटेलाइट से पकड़े गए हैं. वहीं 51 अन्य गांवों को ऑरेंज जोन में माना गया है, जहां दो या इससे अधिक के केस लिए गए हैं.

पराली प्रबंधन को लेकर सरकार की योजना से किसान नाखुश, देखें ये स्पेशल रिपोर्ट

ये भी पढे़ं- पराली जलाने के जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मुख्य सचिव ने दिए निर्देश

प्रशासन और सरकार के इस फैसले से सिरसा के किसान नाखुश दिखाई दे रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करती है, लेकिन जो दूसरी समस्याएं किसानों के सामने बनी हुई हैं, उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता.

किसान नेता विकल पचार कहते हैं कि सरकार को सिर्फ पराली मुद्दा दिखता है, लेकिन उसका समाधान सरकार नहीं करना चाहती. वो कहते हैं कि ना तो सरकार किसानों को पराली खत्म करने के लिए यंत्र देती है और ना ही पराली ना जलाने वाले किसानों को आज तक सब्सिडी दी गई है.

किसानों को एक बेहतर विकल्प की तलाश

बता दें कि, हरियाणा सरकार ने सिरसा में पराली को लेकर 76 गांवों को चिन्हित किया है. इनमें से 25 गांव रेड जोन और 51 गांव ऑरेंज जोन में शामिल हैं. सरकार ने इन गांवों में निगरानी के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिए हैं, लेकिन असल समस्या किसानों के सामने है. ज्यादातर किसानों का अभी भी यही सवाल है कि अगर वो पराली को ना जलाएं तो आखिर उसका करें क्या? किसान सरकार से बस एक बेहतर विकल्प चाहते हैं.

रेड जोन में आने वाले गांव

अलीकां, बणी, चामल, दादू, दड़बा कलां, धोतड़, फरवाईं, जीवन नगर, जोधकां, करीवाला, कासन खेड़ा, माधोसिघाना, मत्तड़, नहरांवाली, नरेलखेड़ा, नटार, पनिहारी, रंगड़ी खेड़ा, रानियां, रोड़ी, शाहपुर बेगू, सिकंदरपुर, सुचान, सुरतिया, तलवाड़ा खुर्द.

ऑरेंज जोन में शामिल गांव

भादड़ा, बप्पां, दौलतपुर खेड़ा, लहंगेवाला, नागोकी, नेजाडेला खुर्द, पक्कां, रंगा,देसूजोधां, पन्नीवाला मोरिका, फूलो, हुमायूखेड़ा, कुत्ताबढ़, मल्लेकां, ममेरां, ठोबरिया, बग्गूवाली, कैरांवाली, मोडियाखेड़ा, देसूमलकाना, केवल, खुइयां मलकाना, तख्तमल, अभोली, बाहिया, धनूर, ढूढियांवाली, फिरोजाबाद, हरिपुरा, कुस्सर, मोहम्मदपुरिया, मौजदीन, नगराना, ओटू, बाजेकां, बनसुधार, भावदीन, दड़बी, हांडीखेड़ा, झोरड़नाली, कंगनपुर, केलनिया, नीलांवाली, मंगाला, मीरपुर, मोहम्मदपुर सलार, नेजाडेला कलां, रसालपुर, शहीदांवाली, शमशाबाद, वैदवाला.

Last Updated : Sep 13, 2020, 7:24 PM IST
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