सिरसाः पारंपरिक खेती कर कर्ज के बोझ में डूबते किसानों ने कमाई का एक नया रास्ता ढूंढ निकाला है. किसानों ने फूलों को खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति कर्ज से निकलकर खुशहाली की ओर बढ़ाई है.
जगजाहिर है कि कुछ समय पहले बाजार में फूलों की मांग काफी सीमित थी, इसलिए किसान भी इसकी खेती ज्यादा नहीं करते थे. लेकिन दिनों दिन बढ़ती फूलों की मांग को देखते हुए किसानों ने भी पारंपरिक खेती छोड़ इसे अपनाया है.
इन फूलों की करते हैं खेती
सिरसा के छतरिया गांव के रहने वाले किसान बलदेव के पास 8 एकड़ जमीन है. जिस पर 20 सालों से वो पारंपरिक खेती करते आ रहे थे और कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे थे, लेकिन कुछ साल पहले उसने फूलों की खेती को अपनाया.
लगभग 6 मरले जमीन पर फूलों की खेती शुरू कर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. आज वो 6 एकड़ में अलग-अलग तरह के फूल जैसे गुलाब, गेंदा, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी, रजनीगंधा की खेती कर रहे हैं.
रोजगार का अहम रास्ता
साथ ही बलदेव अपने भाई और बीए कर चुके अपने बेटों को भी इसी खेती पर लगा कर सिरसा के साथ साथ अन्य स्थानों पर फूलों का व्यापार कर रहे हैं. आज उनकी अच्छी आमदनी हो रही है. बलदेव का कहना है कि वो अपने परिवार के पालन पोषण के साथ-साथ दूसरें लोगों को भी रोजगार देते हैं.
उन्होंने कहा कि आजकल युवा जिस प्रकाश से नशे की ओर बढ़ रहे हैं. उन्हें देखते हुए मैंने अपने बेटों के साथ अपने परिवार के अन्य युवाओं को भी इस खेती का साथ जोड़ दिया है. बलदेव ने बताया कि अब उन युवाओं के पास इतना वक्त ही नहीं रहता कि वो नशे की ओर जाने के बारे में सोच भी सके.
हर तरह की वैरायटी कर रहे तैयार
उन्होंने बताया कि वो पत्ते की वैराइटी भी तैयार कर रहे है जिससे बूके तैयार किए जाते हैं. अब उससे आमदनी अच्छी हो रही है. उन्होंने बताया कि आमदनी के साथ-साथ हमारे बच्चे अच्छे पढ़ लिख गए हैं. अब हमारे बच्चे हमारे काम में हाथ बंटा रहे हैं. वहीं उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारियों का भी भरपूर सहयोग उन्हें मिला है. इससे उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं आती.
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