सिरसा: दिवाली के बाद से दिल्ली ही नहीं बल्कि हरियाणा की आबोहवा भी दूषित हो गई है. पहले जहां लोगों ने जमकर पटाखे फोड़े अब किसान पराली भी जला रहे हैं. जिससे लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. अगर बात सिरसा की करें तो जिले में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है.
सिरसा में पराली जलाने के 166 मामले
कृषि विभाग के उपनिदेशक बाबूलाल ने बताया कि अभी तक सिरसा में पराली जलाने के 166 मामले सामने आए है. जिनमें से पराली जलाने वाले किसानो की पहचान की जा रही है और उसके बाद विभाग के नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
सिरसा में पराली जला रहे किसान
पराली जलाने वाले किसान भागा राम ने कहा कि पराली जलाने के अलावा उनके पास कोई साधन नहीं है. पराली जलाने से उनकी अगली गेहूं के फसल की पैदावार अच्छी होती है. उन्होंने कहा कि सरकार पराली जलाने से रोकती तो है, लेकिन उन्हें पराली की जगह कोई दूसरा विकल्प नहीं देती है.
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दूषित हवा में सांस लेना हुआ दूभर
वहीं किसानों और सरकार के बीच आम जनता पिस रही है, जो हर बार की तरह इस बार भी पराली से निकलने वाले धुएं से परेशान है. डॉक्टर्स की मानें तो जब पराली का धुआं हवा में मिलता है तो ठंडे तापमान के साथ स्मॉग बना देता है. स्मॉग की स्थिति में सांस की बीमारी होती है और अस्थमा रोगियों को सावधान रहना जरूरी है, क्योंकि स्मॉग उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. नेत्र विशेषज्ञ भी ऐसे माहौल में विशेष सावधानी बरतने की हिदायत देते हैं.