रोहतक: हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से परेशान होकर दिल्ली रोड स्थित ओमेक्स सिटी में रहने वाले 75 साल के बुजुर्ग किसान ने न्याय की गुहार लगाई है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इच्छा मृत्यु की मांग की है. उन्होंने इस संबंध में डाक विभाग के जरिए राष्ट्रपति भवन में रजिस्ट्री के जरिए पत्र भेज दिया है. ओमेक्स सिटी में रहने वाले बुजुर्ग किसान वजीर सिंह हुड्डा का कहना है, कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की तानशाही के चलते वे बहुत परेशान हो चुके है. उनके पास आय का कोई साधन नहीं है.
बुजुर्ग किसान ने बताई बताया पूरा मामला: उन्होंने वर्ष 1992 में रोहतक मिल्क प्लांट के पीछे साढ़े 14 एकड़ भूमि खरीदी थी, लेकिन वर्ष 2006 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के जरिए सड़क बनाने के नाम पर अधिग्रहित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. यह किसी निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अधिग्रहित प्रक्रिया शुरू की गई थी. बाद में वर्ष 2008 में प्रति एकड़ 23 लाख 20 हजार रुपये के मुआवजे का अवॉर्ड हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने सुना दिया. जिसके खिलाफ उन्होंने वर्ष 2008 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में केस कर दिया.
कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं मिला मुआवजा: यही नहीं इस जमीन पर निर्मित करीब एक हजार गज में बने मेरे मकान को भी अधिग्रहित कर लिया. उन्होंने बताया कि बाद में हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2010 को फैसला सुनाया कि या तो सड़क को शिफ्ट किया जाए या फिर वजीर सिंह हुड्डा को मार्केट रेट के हिसाब से मुआवजा दिया जाए. इसके बाद 7 मई 2010 को हाईकोर्ट ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को आदेश दिया, कि इस मामले में समझौता किया जाए. 17 मार्च 2010 को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और मेरे बीच समझौता हुआ.
कोर्ट में वजीर का झूठा शपथ पत्र दिया: समझौता में तय हुआ कि कलेक्टरेट के हिसाब से 12 हजार रुपये प्रति गज के मुताबिक मिलेगा. जबकि उस समय जमीन का मार्केट रेट 16 हजार 200 रुपये प्रति गज था. इस समझौते को उन्होंने मान लिया था और मकान का 40 लाख रुपये मुआवजा देना तय हुआ. लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के तत्कालीन संपदा अधिकारी संजय राय ने झूठा शपथ पत्र दे दिया, कि वजीर सिंह ने समझौता करने से इंकार कर दिया है.
कोर्ट नहीं स्वीकारा झूठा शपथ पत्र: हालांकि हाईकोर्ट ने संपदा अधिकारी के इस शपथ पत्र को स्वीकार नहीं किया और हरियाणा सरकार से इस बारे में शपथ पत्र देने के लिए कहा. बाद में हरियाणा सरकार के फाइनेंसर कमिश्नर डीएस ढेसी ने भी झूठा शपथ पत्र दे दिया, कि वजीर सिंह हुड्डा ने समझौता करने से इंकार कर दिया. जबकि वजीर सिंह हुड्डा इस बारे में लिखित में समझौता करने की बात कह चुका था. यही नहीं 11 अगस्त 2015 को मुझे मजबूर किया गया, कि एक करोड़ रुपये 12 प्रतिशत ब्याज के हिसाब से भरे जाएं अन्यथा केस नहीं चलेगा.
आज तक नहीं मिला न्याय: जिसमें बाद उन्होंने यह राशि भर दी. वर्ष 2019 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायाधीश दया चौधरी ने भी पूरे मामले को समझ कर न्याय देने की बात कही थी. लेकिन आज तक मुझे इस केस में न्याय नहीं मिल पाया है. वजीर सिंह हुड्डा का कहना है कि वे अपनी जमीन का मुआवजा 24 फरवरी 2013 के फैसले के तहत क्लेकटर के हिसाब से लेना चाहते हैं. लेकिन हरियाणा सरकार जान बूझकर मामले को लटका रही है. बुजुर्ग किसान का कहना है, कि उन्होंने हाईकोर्ट का हर आदेश माना है.
ये भी पढ़ें: पानीपत में महिला हेड कांस्टेबल की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप
वजीर ने इच्छा मृत्यु की मांग की: उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसी आदेश की पालना नहीं की. केस के लंबा चलने और हरियाणा सरकार की गलत नीति के चलते उसके परिजनों ने भी उसे छोड़ दिया है और वे अकेले रोहतक की ओमेक्स सिटी में रह रहे हैं. उनके पास आय का भी कोई साधन नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे में मेरे सामने मौत के अलावा कोई रास्ता नहीं हैं. इसलिए महामहिम राष्ट्रपति महोदया से अनुराध है, कि उन्हें इच्छा मृत्यु प्रदान की जाए.
'हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के संज्ञान में नहीं पहुंचा मामला': उधर, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कार्यवाहक प्रशासक धीरेंद्र खड़गटा का कहना है, कि अभी यह मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है. मामला संज्ञान में आते ही नियमानुसार और कानूनी प्रक्रिया अनुसार समाधान किया जाएगा. शिकायतकर्ता उनके कार्यालय आकर उनसे मुलाकात कर सकता है.
ये भी पढ़ें: हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम को बंद करने काम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किया: अजय सिंह चौटाला